मुंबई, पांच अगस्त (भाषा) देश के प्रमुख बैंकरों ने रिजर्व बैंक की तरफ से नीतिगत दर में बढ़ोतरी का स्वागत करते हुए कहा है कि इस कदम से मुद्रास्फीति को काबू में करने और रुपये की गिरावट रोकने में मदद मिलेगी।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को प्रमुख ब्याज दर रेपो को 0.50 प्रतिशत बढ़ाकर 5.40 प्रतिशत कर दिया। यह मई के बाद से तीसरी वृद्धि है। ताजा वृद्धि के साथ रेपो दर या अल्पकालिक उधारी दर महामारी से पहले के स्तर 5.15 प्रतिशत को पार कर गई है। रेपो दर पर ही वाणिज्यिक बैंक केंद्रीय बैंक से उधार लेते हैं।
भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के चेयरमैन दिनेश खारा ने कहा कि इस कदम से मुद्रास्फीति को नीचे लाने और बाजारों में वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी।
एचडीएफसी बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री अभीक बरुआ ने नीतिगत फैसले को नए वैश्विक रुझानों के अनुरूप बताया। उन्होंने कहा कि आरबीआई ने मुद्रास्फीति के प्रति आक्रामक रुख अपनाया, जो अभी भी ऊंची बनी हुई है। हालांकि, वृद्धि की गति काफी सकारात्मक है।
बरुआ ने उम्मीद जताई कि केंद्रीय बैंक आगामी नीतिगत समीक्षा बैठकों में दरों में बढ़ोतरी जारी रखेगा और साल के अंत तक ब्याज दर को 5.75 प्रतिशत तक ले जाएगा।
एसबीआई समूह के मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्य कांति घोष के अनुसार यह दर वृद्धि तीन संभावनाओं को दर्शाती है। पहली, पिछली 0.50 प्रतिशत वृद्धि का अभी तक मुद्रास्फीति पर कोई सीधा प्रभाव नहीं पड़ा है और लंबी अवधि में मुद्रास्फीति प्रभावित होगी। दूसरी, आरबीआई इस समय मुद्रास्फीति में कमी का पूर्वानुमान नहीं लगाना चाहता क्योंकि वह अनिश्चित वैश्विक वातावरण में वक्र से आगे रहना चाहता है। तीसरा, 0.50 प्रतिशत की यह वृद्धि एक संकेत है कि आरबीआई घरेलू मुद्रा की रक्षा के लिए अधिक गंभीर है।
सिटी इंडिया के मुख्य कार्यकारी आशु खुल्लर ने कहा कि आरबीआई ने व्यापक स्थिरता को बनाए रखने के अपने संकल्प का प्रदर्शन किया है।
इंडियन बैंक के प्रबंध निदेशक और सीईओ शांतिलाल जैन ने कहा कि एकल प्राथमिक डीलरों को अधिकृत डीलर श्रेणी के बैंकों के रूप में विदेशी मुद्रा सेवाओं की पेशकश करने की अनुमति देने से विदेशी मुद्रा बाजार मजबूत होगा।
भाषा पाण्डेय प्रेम
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