मुंबई, पांच अगस्त (भाषा) बैंक अपना ऋण कारोबार बढ़ाने के लिए सिर्फ केंद्रीय बैंक के धन पर स्थायी रूप से निर्भर नहीं रह सकते हैं। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को यह बात कही। दास ने कहा कि बैंकों को ऋण वृद्धि के लिए अधिक जमा जुटाने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि बैंकों ने रेपो दरों में बढ़ोतरी का प्रभाव अपनी जमा दरों पर डालना शुरू कर दिया है और यह प्रवृत्ति जारी रहने की उम्मीद है।
दास ने नीतिगत घोषणा के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘‘जब कोई ऋण की मांग होती है, तो बैंक उस ऋण वृद्धि को तभी बनाए रख सकते हैं और उसका समर्थन कर सकते हैं, जब उनके पास अधिक जमा राशि हो। वे ऋण वृद्धि का समर्थन करने के लिए केंद्रीय बैंक के धन पर हर वक्त निर्भर नहीं रह सकते हैं… उन्हें अपने खुद के संसाधन और कोष जुटाना होगा।’’
छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने शुक्रवार को रेपो दर को 0.50 प्रतिशत बढ़ाकर 5.40 प्रतिशत कर दिया।
आरबीआई के डिप्टी गवर्नर माइकल पात्रा ने उम्मीद जताई की जमाओं की रफ्तार बहुत जल्द ऋण के साथ तालमेल बैठा लेगी।
आंकड़ों के मुताबिक, 15 जुलाई को समाप्त पखवाड़े में बैंक ऋण 12.89 प्रतिशत और जमाएं 8.35 प्रतिशत बढ़ीं।
दास ने उम्मीद जताई की दरों में बढ़ोतरी का असर बैंकों द्वारा जमा दरों में बढ़ोतरी के रूप में दिखाई देगा।
उन्होंने कहा, ‘‘पहले ही रुझान शुरू हो गए हैं। हाल के हफ्तों में कई बैंकों ने अपनी जमा दरों में वृद्धि की है और यह प्रवृत्ति जारी रहेगी।’’
भाषा पाण्डेय अजय
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