नई दिल्ली: क्या राज्यों की जगह शहरी स्थानीय निकायों को प्रोफेशनल टैक्स लगाना और वसूलना चाहिए, और उसका इस्तेमाल शहर के इनफ्रास्ट्रक्चर तथा सेवाओं को सुधारने पर करना चाहिए?
दिप्रिंट को पता चला है कि शहरी शासन का ये एक प्रमुख मुद्दा है, जिसपर केंद्रीय थिंक टैंक नीति आयोग द्वारा आयोजित गवर्निंग काउंसिल की बैठक में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ चर्चा करने की अपेक्षा है. नीति आयोग के अध्यक्ष के नाते, मोदी बैठक की अध्यक्षता करेंगे.
संविधान के अनुच्छेद 276 के अंतर्गत, राज्य सरकारें या नगर पालिकाएं पेशे, व्यवसाय, उद्यम और रोज़गार के सिलसिले में प्रोफेशनल टैक्स लगाती हैं. जो कोई भी वेतन से कमाई कर रहा है, या किसी डॉक्टर या वकील के आदि के तौर पर अपने पेशा चला रहा है, उसके लिए ये कर राशि प्रति करदाता 2,500 रुपए सालाना निर्धारित है.
21 प्रांतों में ये टैक्स राज्य सरकारें लगाती हैं, जबकि केवल कुछ गिने-चुने सूबों- जैसे केरल, तमिलनाडु और गुजरात- में शहरी स्थानीय निकाय इसे लगाने और वसूलने के लिए अधिकृत हैं.
केंद्र सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘पीएम का ये विचार है कि अगर प्रोफेशनल टैक्स लगाने और वसूलने का अधिकार यूएलबीज़ (शहरी स्थानीय निकायों) को दे दिया जाए, तो इससे उनकी (यूएलबीज़) आय में सुधार हो सकता है. इस आय का इस्तेमाल वो शहर के इनफ्रास्ट्रक्चर को सुधारने में कर सकते हैं’.
वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों ने दिप्रिंट को बताया, कि जून में धर्मशाला में हुए सभी प्रदेश मुख्य सचिवों के एक सम्मेलन में, पीएम ने बात की थी कि किस तरह प्रोफेशनल टैकिस लगाने और वसूलने का अधिकार यूएलबीज़ को दिया जा सकता है, जिससे उनकी आय में सुधार हो सकता है.
ऊपर हवाला दिए गए अधिकारी ने कहा, कि पीएम शहरी शासन से जुड़े विषयों में गहरी रूचि रखते हैं, और इस क्षेत्र के सुधार के लिए उन्होंने स्वयं बहुत से नए विचार पेश किए हैं.
कार्रवाई के कई दूसरे बिंदु, जिन्हें शहरी शासन के अंतर्गत अंतिम रूप दिया गया, और जिनपर नीति आयोग गवर्निंग काउंसिल रविवार को चर्चा करेगी, उनमें शहरों की रैंकिंग भी शामिल है जो वित्तीय प्रबंधन,और शहर तथा वॉर्ड सौंदर्यीकरण प्रतियोगिताओं के आधार पर तय की जाएगी.
काउंसिल में, जो नीति आयोग की शीर्ष इकाई है, कृषि और शिक्षा से जुड़े मुद्दों पर भी चर्चा की जाएगी. इन विषयों में फसल विविधीकरण, तिलहन और दालों तथा अन्य कृषि वस्तुओं में आत्म-निर्भरता हासिल करना, और राष्ट्रीय शिक्षा नीति का कार्यान्वयन शामिल है.
काउंसिल, जिससे हर साल बैठक करने की अपेक्षा की जाती है, उसमें सदस्यों के तौर पर राज्यों के सीएम, केंद्र-शासित क्षेत्रों के उप-राज्यपाल, और केंद्रीय मंत्री शामिल होते हैं.
रविवार की गवर्निंग काउंसिल बैठक के एजेण्डे को प्रधानमंत्री कार्यालय ने अंतिम रूप दिया था, और उसे राज्यों तथा केंद्र-शासित क्षेत्रों के साथ साझा किया जा चुका है.
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शहरी स्थानीय निकायों का वित्तीय प्रबंधन
सूत्रों ने बताया कि गवर्निंग काउंसिल शहरों के वित्तीय प्रबंधन पर भी मंथन करेगी.
एजेण्डा का उल्लेख करते हुए केंद्र सरकार के एक दूसरे अधिकारी ने कहा, ‘इसका विचार जून में धर्मशाला में हुए मुख्य सचिवों के राष्ट्रीय सम्मेलन में, पीएम के संबोधन से आया, जहां उन्होंने स्थानीय निकायों की वित्तीय स्थिति को सुधारने, और यूएलबीज़ को आत्म-निर्भर बनाने की ज़रूरत पर बल दिया था’.
राज्यों से कम हस्तांतरण और कम राजस्व वसूली के चलते- चाहे वो संपत्ति कर से हो या सूज़र चार्जेज़ से- भारत में बहुत से यूएलबीज़ का वित्तीय स्वास्थ्य ख़राब हालत में बना हुआ है.
2020 में इंडियन काउंसिल फॉर रिसर्च ऑन इंटरनेशनल इकनॉमिक रिलेशन्स द्वारा किए गए एक अध्ययन में, जो 10 लाख से अधिक आबादी वाली 53 में से 37 नगरपालिकाओं के आंकड़ों पर आधारित था, पता चला कि जीडीपी में नगरपालिकाओं की कुल आय का योगदान, जो 2012-13 में 0.49 प्रतिशत था, 2017-18 में (सबसे आख़िरी अवधि जिसके लिए नगरपालिकाओं ने आंकड़े उपलब्ध कराए) कम होकर 0.45 प्रतिशत रह गया.
नगर पालिकाओं की सिकुड़ती आय का उनके द्वारा उपलब्ध कराई जाने वाली सेवाओं पर सीधा असर पड़ता है. ये असर ख़राब सेवा वितरण में झलकने लगता है, चाहे वो जल आपूर्ति हो, सड़कों की सफाई हो, या फिर कचरा उठाना.
गवर्निंग काउंसिल कुछ यूएलबीज़ को आत्म-निर्भर बनाने के उपायों पर भी विचार-विमर्श करेगी.
दूसरे अधिकारी ने कहा, ‘इसके अलावा काउंसिल नागरिक-केंद्रित सुशासन पर भी चर्चा करेगी, जिसके लिए अन्य बातों के अलावा, शहरों में जीवन सुगमता के लिए, टेक्नॉलजी और डेटा-सक्षम प्लेटफ़ॉर्म के इस्तेमाल पर विचार किया जाएगा’.
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