नयी दिल्ली, चार अगस्त (भाषा) देश के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) गिरीश चंद्र मुर्मू ने बृहस्पतिवार को कहा कि लेखा परीक्षकों को उन नागरिकों को मूल्य प्रदान करने और उनके हित में काम करने के लिये एक सुसंगत रणनीति विकसित करने की आवश्यकता है जिनके लिये वे अंततः जिम्मेदार हैं।
कैग ने सुप्रीम ऑडिट संस्थानों के अंतरराष्ट्रीय संगठन (आईएनटीओएसएआई) अनुपालन ऑडिट उप-समिति (सीएएस) की दो दिवसीय 19वीं सालाना बैठक के उद्घाटन के मौके पर यह बात कही। इसका आयोजन एसएआई इंडिया ने बेंगलुरू में किया।
उद्घाटन सत्र को पहले से रिकॉर्ड अपने संदेश के जरिये संबोधन में मुर्मू ने अनुपालन ऑडिट उप-समिति के सुप्रीम ऑडिट संस्थानों के अंतरराष्ट्रीय संगठन के मानक निर्धारण तथा क्षमता निर्माण में योगदान का जिक्र किया।
कैग ने कहा कि 2023 से अपनाई जाने वाली नई आईएनटीओएसएआई रणनीतिक योजना सार्वजनिक लेखा परीक्षा समुदाय को नये दृष्टिकोण, नजरिया और नई प्राथमिकताएं प्रदान करेगी।
उन्होंने कहा कि नई योजना ने लेखापरीक्षा से जुड़ी चिंताओं के केंद्र में समानता और समावेश को रखा गया है। असमानता की समस्या कई स्तरों पर है। इसमें स्त्री-पुरुष, वित्तीय, जातीय, सांस्कृतिक, भाषाई, क्षेत्रीय असमानता शामिल हैं।
मुर्मू ने कहा, ‘‘लेखा परीक्षक के रूप में हमें एक समेकित रणनीति विकसित करने की आवश्यकता है जो समस्या के सभी आयामों को दूर करे और हमें उन नागरिकों को मूल्य प्रदान करने में सक्षम बनाए जिनके लिये हम अंततः जिम्मेदार हैं।’’
उन्होंने यह भी कहा कि सुप्रीम ऑडिट संस्थानों (साई) को चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों को देखते हुए मजबूत होना चाहिए और उपयोगकर्ताओं तथा रिपोर्ट के अंतिम लाभार्थियों के साथ सक्रिय रूप से जुड़कर अपनी प्रासंगिकता साबित करनी चाहिए।
बैठक में मालदीव के महालेखा परीक्षक हुसैन नियाजी और ट्यूनीशिया के कोर्ट ऑफ अकाउंट्स में चैंबर अध्यक्ष ओल्फा मामलौक तथा एसएआई के प्रतिनिधि एवं पर्यवेक्षक शामिल हैं।
भाषा
रमण अजय
अजय
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.