बर्मिंघम, चार अगस्त (भाषा) राष्ट्रमंडल खेलों की ऊंची कूद स्पर्धा में पदक जीतने वाले पहले भारतीय बने तेजस्विन शंकर स्थगित किए गए एशियाई खेलों में डेकॉथलन में भाग लेना चाहते हैं और साथ ही सभी खिलाड़ियों के लिए राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लेना अनिवार्य नहीं होने पर वह भी इससे छूट देने की मांग करेंगे।
दिल्ली के इस 23 वर्षीय एथलीट को यदि एशियाई खेलों में डेकॉथलन में भाग लेने का मौका नहीं मिलता तब भी वह इसका अभ्यास जारी रखना चाहते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘यह निश्चित है। मैं एशियाई खेलों में डेकॉथलन में भाग लेना चाहता हूं। मैं अब आगे इसी की तैयारी करना चाहता हूं। अगर मुझे डेकॉथलन मैं भाग लेने का मौका नहीं मिलता मैं तब भी इसका अभ्यास जारी रखूंगा। घुटने में दर्द के कारण मैं ऊंची कूद में उतनी कूद नहीं लगा पा रहा हूं जितना मैं चाहता हूं ।’’
तेजस्विन ने राष्ट्रमंडल खेलों में 2.25 मीटर कूद लगाकर कांस्य पदक जीता। उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 2.29 मीटर है लेकिन उनका लक्ष्य यहां तक पहुंचना नहीं था।
उन्होंने कहा, ‘‘ इस तरह की प्रतियोगिताओं में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन इतने मायने नहीं रखता जितना कि पदक। परिस्थितियां काफी मायने रखती हैं। कल जब हमारी स्पर्धा चल रही थी तो अन्य स्पर्धा भी उसी समय संपन्न हो रही थी जिससे की एकाग्रता भंग हो रही थी।’’
तेजस्विन ने स्पष्ट किया कि यदि सभी खिलाड़ियों के लिए राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लेना अनिवार्य नहीं होता है तो वह अभी से इससे छूट देने की मांग करेंगे।
शंकर से पूछा गया कि अगर भारतीय एथलेटिक्स महासंघ भविष्य में राष्ट्रीय प्रतियोगिता में भाग लेना अनिवार्य कर देता है तो उनका रवैया क्या होगा, उन्होंने कहा, ‘‘अगर नीति सभी पर लागू होती है तो फिर हर किसी को उसका पालन करना होगा लेकिन अगर यह कुछ चुनिंदा खिलाड़ियों पर ही लागू होती है तो फिर हमें इस बार की तरह कुछ विकल्प ढूंढने होंगे। ’’
उन्होंने कहा, ‘‘उम्मीद है कि इसमें हर किसी को शामिल किया जाएगा। अगर ऐसा होता है तो फिर मैं निश्चित तौर पर उस में भाग लूंगा। समस्या यह है कि मैं कॉलेज स्तर पर प्रतिस्पर्धा कर रहा था और सबसे अहम बात यह है कि मैं वहां छात्र था। आप अपनी मर्जी से छुट्टी के लिए आवेदन नहीं कर सकते हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यह मेरे लिए बहुत बड़ी समस्या बन गई। मैं हमेशा भारत का प्रतिनिधित्व करना चाहता हूं और इसके लिए मुझे राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लेना होगा। लेकिन इसके साथ ही मैं स्कूल भी जाता था। एक ही समय में दो चीजें नहीं हो सकती हैं इसलिए मुझे कोई एक छोड़ना होगा।’’
शंकर ने कहा कि इस तरह की स्थिति संभवत आगे पैदा नहीं होगी क्योंकि उन्होंने अमेरिका में अपनी पढ़ाई समाप्त कर दी है।
उन्होंने कहा, ‘‘अब ऐसा मसला होने की संभावना नहीं है क्योंकि मैंने अपनी पढ़ाई पूरी कर ली है। उम्मीद है कि अब हम भविष्य पर गौर करेंगे।’’
भाषा
पंत नमिता
नमिता
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