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Saturday, 16 November, 2024
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पंजाब में चालू सत्र में धान का कुल रकबा घटकर 30.84 लाख हेक्टेयर पर

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चंडीगढ़, तीन अगस्त (भाषा) खरीफ सत्र में धान की बुवाई पूरी होने के साथ पंजाब में धान का कुल रकबा सालाना आधार पर लगभग दो प्रतिशत की घटकर 30.84 लाख हेक्टेयर रहा। पिछले साल यह 31.41 लाख हेक्टेयर था।

पंजाब कृषि विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यहां कहा, ‘‘इस सत्र में धान की खेती का रकबा 30.84 लाख हेक्टेयर रहा।’’

अधिकारी ने बताया कि इस सत्र में बासमती धान का रकबा करीब 4.60 लाख हेक्टेयर रहने का अनुमान है।

राज्य को धान की सीधी बुवाई (डीएसआर) पद्धति के प्रयास को कम प्रतिक्रिया मिली है।

खरीफ बुवाई के सीजन में 12 लाख हेक्टेयर के लक्ष्य की तुलना में इस पद्धति के तहत सिर्फ 82,000 हेक्टेयर क्षेत्र में धान की सीधी रोपाई की जा सकी।

मुख्यमंत्री भगवंत मान सरकार द्वारा पूरी कोशिश के बावजूद डीएसआर तकनीक के तहत खेती का रकबा लक्ष्य से काफी कम रह गया।

किसानों ने मुख्य रूप से मई में डीएसआर पद्धति से धान की बुवाई के लिए खेतों की सिंचाई के लिए अपर्याप्त बिजली को जिम्मेदार ठहराया है।

डीएसआर तकनीक के तहत धान के बीजों को एक मशीन की मदद से खेत में रोपा जाता है, जो चावल की बिजाई और हर्बीसाइड का स्प्रे एक साथ करती है।

पारंपरिक विधि के अनुसार, पहले धान के पौधों को किसान नर्सरी में उगाते हैं और फिर इन पौधों को उखाड़कर एक निचली जमीन वाले खेत में लगाया जाता है।

डीएसआर विधि को सिंचाई के लिए बहुत कम पानी की आवश्यकता होती है। इससे रिसाव में सुधार होता है, कृषि श्रम पर निर्भरता कम होती है और मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार होता है तथा धान और गेहूं दोनों की उपज में पांच से दस प्रतिशत की वृद्धि होती है।

यह पारंपरिक पोखर विधि की तुलना में लगभग 15-20 प्रतिशत पानी बचाने में भी मदद करती है।

राज्य सरकार ने डीएसआर तकनीक का विकल्प चुनने वाले किसानों को 1,500 रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से धनराशि देने की घोषणा की थी।

भाषा राजेश राजेश जतिन अजय

अजय

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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