नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी (आप) ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पर मूल्यवृद्धि के मुद्दे पर बुधवार को निशाना साधा और कहा कि उन्हें सब कुछ ‘अच्छा-अच्छा’ प्रतीत होता है, लेकिन आम लोगों से पूछा जाना चाहिए कि क्या वास्तव में ऐसा है.
आप ने कहा कि वित्त मंत्री को पता होगा कि महंगाई के मुद्दे पर संसद के दोनों सदनों में अपने जवाब से वह क्या साबित करना चाह रही थीं, लेकिन आम लोगों को महंगाई का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है.
आप के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने वित्त मंत्री के जवाब पर एक संवाददाता सम्मेलन में सवालों का जवाब देते हुए कहा, ‘उन्होंने (वित्तमंत्री) यह स्वीकार नहीं किया कि भारतीय रुपये का मूल्य (डॉलर के मुकाबले) गिर रहा है. उन्होंने यह स्वीकार नहीं किया कि खाद्य पदार्थों के दाम बढ़ गए हैं. उन्हें सब कुछ अच्छा-अच्छा लगता है.’
उन्होंने कहा, ‘आम लोगों से पूछें कि क्या उनके जीवन में सब कुछ अच्छा है.’
सिंह ने कहा कि ‘अच्छे दिन’ केवल भाजपा के सभी नेताओं और पार्टी के मंत्री पद वाले लोगों के लिए आये हैं, लेकिन आम लोग अब भी अपने जीवन में ऐसे दिन देखने का इंतजार कर रहे हैं.
उन्होंने सवाल किया, ‘क्या अच्छे दिन मजदूरों, ऑटो-रिक्शा चालकों और झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वालों के जीवन में आये हैं?’
प्याज की कीमतों में 2019 में वृद्धि के मुद्दे पर सीतारमण की प्रतिक्रिया का उल्लेख करते हुए आप नेता ने आरोप लगाया, ‘वह महान हैं. जब प्याज की कीमत बढ़ीं, तो उन्होंने कहा कि वह प्याज नहीं खाती हैं.’
सिंह ने कहा, ‘वह कीमतों में वृद्धि कैसे देखेंगी? आप उनसे पूछेंगे कि दूध की कीमत कैसे बढ़ी और वह जवाब देंगी कि वह दूध नहीं पीती हैं. आप उनसे गेहूं, दाल, चावल की कीमतों में वृद्धि के बारे में पूछेंगे और वह कहेंगी कि वह गाजर और मूली खाकर जी रही हैं.’
मंगलवार को राज्यसभा में मूल्यवृद्धि पर एक चर्चा का जवाब देते हुए, वित्त मंत्री ने मुद्रास्फीति से निपटने के लिए अपने कदमों का पुरजोर बचाव किया था. उन्होंने मौजूदा कीमतों की तुलना संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) के सत्ता से बाहर होने से छह महीने पहले की दरों से की और कहा कि जीएसटी व्यवस्था में परिवारों पर कर के बोझ में वृद्धि नहीं हुई है.
दैनिक जरूरत की चीजों की कीमतों में वृद्धि पर विपक्ष के निशाना साधने के बीच, सीतारमण ने टमाटर, प्याज और आलू की मौजूदा कीमत की तुलना नवंबर 2013 की दरों से की और कहा कि दरें स्थिर हैं.
वित्त मंत्री ने सोमवार को लोकसभा में स्वीकार किया था कि देश मुद्रास्फीति के दबाव का सामना कर रहा है, लेकिन कहा था कि केंद्र सरकार ने कोविड-19 और ओमीक्रोन जैसी दिक्कतों के बावजूद इसे सात प्रतिशत से नीचे रखने में सफल रहा है.
उन्होंने मूल्यवृद्धि पर चर्चा का जवाब देते हुए निचले सदन में कहा था कि खुदरा मुद्रास्फीति को सात प्रतिशत से नीचे लाने के प्रयास किए जा रहे हैं.
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