मुंबई, दो अगस्त (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) का समग्र वित्तीय समावेश सूचकांक (एफआई-सूचकांक) मार्च, 2022 में बढ़कर 56.4 पर पहुंच गया जो सभी मानदंडों में वृद्धि को दर्शाता है। यह सूचकांक देश में विभिन्न क्षेत्रों में वित्तीय समावेशन की स्थिति को बताता है।
सूचकांक वित्तीय समावेश के विभिन्न पहलुओं पर शून्य और 100 के बीच जानकारी देता है। इसमें शून्य पूरी तरह से वित्तीय समावेश की कमी को बताता है, वहीं 100 पूर्ण वित्तीय समावेश को दर्शाता है।
रिजर्व बैंक ने बयान में कहा, ‘‘वित्तीय समावेश सूचकांक मार्च, 2022 में 56.4 रहा। एक साल पहले मार्च, 2021 में यह 53.9 था। सभी उप-सूचकांकों में दर्ज की गयी।’’
केंद्रीय बैंक ने पिछले साल अगस्त में कहा था कि सरकार और संबंधित क्षेत्रीय नियामकों के परामर्श से बैंक, निवेश, बीमा, डाक के साथ-साथ पेंशन क्षेत्र के विवरण को शामिल करते हुए इसे एक व्यापक सूचकांक के रूप में तैयार किया गया है।
एफआई सूचकांक में तीन प्रमुख मानदंडों को शामिल किया गया है। ये मानदंड हैं…पहुंच (35 प्रतिशत), उपयोग (45 प्रतिशत) और गुणवत्ता (20 प्रतिशत)। इनमें से प्रत्येक में विभिन्न आयाम शामिल हैं, जिनकी गणना कई संकेतकों के आधार पर की जाती है।
वित्तीय समावेश सूचकांक को बिना किसी ‘आधार वर्ष’ के तैयार किया गया है। इस प्रकार, यह वित्तीय समावेश की दिशा में विभिन्न वर्ष के दौरान सभी हितधारकों के संचयी प्रयासों को दर्शाता है।
सूचकांक का प्रकाशन हर साल किया जाता है।
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रमण अजय
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