सुरथकल (मंगलुरु): कर्नाटक का दक्षिण कन्नड़ क्षेत्र, जिसने पिछले आठ दिनों की अवधि में तीन हत्याओं को होते देखा है, तनाव से सुलग रहा है और पुलिस को संदेह है कि ये हत्याएं ‘एक दूसरे से जुड़ी और बदले की भावना वालीं’ हो सकती हैं. अब, जांच के दौरान नए विवरण सामने आने के साथ, जांचकर्ताओं ने 37 लोगों को हिरासत में लिया है – जिनमें से ज्यादातर हिंदू संगठनों के सदस्य हैं – और उनका मानना है कि पहली हत्या एक ‘विचित्र सी घटना’ थी, जिसके बाद ‘सांप्रदायिक घटनाओं का एक सिलसिला हुआ है.
इस सब की शुरुआत 21 जुलाई को मंगलुरु से 80 किलोमीटर दूर स्थित बेल्लारे शहर में एक 19 वर्षीय मुस्लिम प्रवासी मजदूर मसूद की हत्या के साथ हुई थी. फिर, पिछले मंगलवार को, 34 वर्षीय प्रवीण नेट्टारू, सत्तारूढ़ भाजपा की युवा शाखा भारतीय जनता युवा मोर्चा का एक प्रमुख चेहरा और स्थानीय व्यवसायी जो मसूद के घर से लगभग 8 किमी दूर रहते थे, की बेल्लारे में दो बाइक सवार हमलावारों ने तलवार से काटकर हत्या कर दी थी.
नेट्टारू की हत्या के 48 घंटों के भीतर, एक तेल रिफाइनरी फर्म हिंदुस्तान पेट्रोलियम कारपोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल), में काम करने वाले एक शख्स – 23 वर्षीय महमद फाजिल – की गुरुवार रात चार अज्ञात हमलावरों ने हत्या कर दी. पुलिस के शीर्ष स्तर के सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि फ़ाज़िल की हत्या के सिलसिले में कुल 37 लोगों को हिरासत में लिया गया है, जिनमें से अधिकांश बजरंग दल के सदस्य हैं.
इस तीन हत्याओं के संबंध में तीन प्राथमिकियां दर्ज की गई हैं, जिन्हें विशेष रूप से सिर्फ दिप्रिंट द्वारा देखा गया है. मसूद की हत्या के लिए दर्ज पहली प्राथमिकी शुरू में दंगा और हत्या के प्रयास से संबंधित आईपीसी की धाराओं के तहत दर्ज की गई थी, लेकिन बाद में इसमें हत्या का आरोप भी जोड़ा गया. नेट्टारू की हत्या के बाद दूसरी प्राथमिकी हत्या के आरोप में दर्ज की गई थी, जबकि फाजिल की हत्या के लिए दायर की गई तीसरी प्राथमिकी खतरनाक हथियारों से दंगा करने, आपराधिक धमकी देने और हत्या से जुडी धाराओं के तहत दर्ज की गई थी.
पुलिस सूत्रों ने कहा कि मामले के जांचकर्ताओं को कर्नाटक की नंबर प्लेट वाली एक सफेद ईऑन कार का भी विवरण मिला है, जिसमें फाजिल के हमलावरों ने कथित तौर पर उसकी हत्या करने से पहले उसका पीछा किया था. सूत्रों ने यह भी कहा कि कार का मालिक प्रमुख संदिग्धों में से एक है. मामले में की जा रही जांच के बारे में जानकारी रखने वाले एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया:’हमने पूछताछ के लिए अब तक 37 लोगों को हिरासत में लिया है. इनमें से ज्यादातर बजरंग दल के सदस्य हैं. पूछताछ के दौरान, उन्होंने हमें कुछ जानकारी दी है जो फाजिल की हत्या को प्रवीण की हत्या से जोड़ती है. यह बदला लेने के उसी चक्र का हिस्सा है जो बेल्लारे में मसूद की हत्या के साथ शुरू हुआ था.‘
अधिकारी ने आगे कहा कि जांचकर्ता अब कड़ियों को जोड़ने की प्रक्रिया में हैं. उन्होंने कहा, ‘सबसे पहले हुई मसूद की हत्या एक अजीब सी घटना थी जो योजनाबद्ध नहीं थी, लेकिन इसके बाद सांप्रदायिक घटनाओं का एक सिलसिला सा घटित हुआ है. एक तरह का संदेश भेजने के लिए एक प्रमुख हिंदू चेहरे की हत्या कर दी गई और फिर एक युवा मुस्लिम को मार दिया गया. दोनों को तलवार से काट कर मार डाला गया था. जैसे-जैसे जांच का विवरण सामने आया है, ये तीनों हत्याएं आपस में जुड़ी हुई और बदले के भावना वाली प्रतीत होती हैं. हम अन्य विवरणों पर भी काम कर रहे हैं और हमने कुछ संदिग्धों को निगरानी में रखा है.’
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तीन हत्याएं
जब दिप्रिंट ने मसूद के घर का दौरा किया, तो उसके भाई मीरशाद ने बताया कि 20 जुलाई को मसूद दो समूहों के बीच सड़क किनारे हुए एक झगडे में शामिल हो गया था. मीरशाद ने आगे कहा कि इसके बाद उसे माफी मांगने के लिए उसी स्थान पर बुलाया गया जहां विवाद हुआ था, और फिर उसे रॉड और बोतलों से पीटा गया था.
मसूद ने खुद को लगीं चोटों की वजह से अगले दिन दम तोड़ दिया. इस मामले में आठ लोगों को गिरफ्तार किया गया था और वे सभी हिंदू हैं.
इस बीच, भाजयुमो के एक प्रमुख सदस्य और स्थानीय व्यवसायी नेट्टारू की मंगलवार को बाइक सवार दो हमलावरों ने तलवारों से काटकर हत्या कर दी थी. इस मामले में दो लोगों को गिरफ्तार किया गया था और वे दोनों स्थानीय मुसलमान हैं.
नेट्टारू की हत्या के दो दिन बाद, फाजिल की भी मंगलुरु शहर से 15 किलोमीटर दूर सुरथकल में एक शॉपिंग कॉम्प्लेक्स के पास तलवार से काटकर हत्या कर दी गई थी.
क्या कहती हैं प्राथमिकियां?
मसूद की हत्या के संबंध में दर्ज प्राथमिकी के अनुसार, वह एक महीने से भी अधिक समय से बेल्लारे के कलंजा गांव में अपने दादा के घर पर रह रहा था और एक मजदूर के रूप में काम कर रहा था. 19 जुलाई को उसका एक दुकान के पास सुधीर नाम के स्थानीय निवासी से विवाद हो गया. मसूद ने सुधीर को एक बोतल की मदद से धमकाया था.
प्राथमिकी में आगे कहा गया है कि अगले ही दिन सुधीर और उसके दोस्तों ने मसूद के दोस्त और सुधीर को भी जानने वाले एक शख्स इब्राहिम शेख से मसूद को लगभग 11 बजे उसी स्थान पर लाने के लिए कहा. जब मसूद मौके पर पहुंचा तो उन लोगों ने बोतल और रॉड से उसके साथ मारपीट शुरू कर दी. मसूद भागने में कामयाब रहा, लेकिन बाद में तड़के वह खून से लथपथ पाया गया.
दूसरी प्राथमिकी के अनुसार, नेट्टारू की स्थानीय दुकान के कर्मचारियों ने 26 जुलाई को पुलिस में एक शिकायत दर्ज कराई थी कि दुकान के बाहर रात करीब साढ़े आठ बजे उसके साथ मारपीट की गई थी और फिर उसके शरीर से खून बहता पाया गया था. उसी दिन कुछ समय बाद पुत्तूर प्रगति अस्पताल में उसे मृत घोषित कर दिया गया.
फाजिल की हत्या के संबंध में दर्ज की गई तीसरी प्राथमिकी में कहा गया है कि शिकायतकर्ता ने इस बात का उल्लेख किया था कि एक कार, जिसमें 3-4 लोग सवार थे, और दो बाइकें फाजिल का पीछा करते हुए स्थानीय बाजार में स्थित एक दुकान तक गई थीं. फाजिल ने जब दुकान के अंदर छिपने की कोशिश की तो तलवारें लिए हुए तीन नकाबपोश लोग कार से उतरे और चिल्लाने लगे कि वे फाजिल को मार डालेंगे. प्राथमिकी में कहा गया है कि उन्होंने फाजिल की हत्या कर दी और मौके (घटना स्थल) से जाने से पहले शिकायतकर्ता तथा अन्य स्थानीय निवासियों को धमकाया.
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सूरथकाल में धारा 144 लागू
फाजिल की हत्या के बाद पुलिस ने गुरुवार को सुरथकल में धारा 144 लागू कर दी, जो एक क्षेत्र विशेष में चार या अधिक लोगों के इकट्ठा होने पर रोक लगाती है. फिर शनिवार को एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने वहां शांति समिति की बैठक की, जिसका स्थानीय मुस्लिम नेताओं ने बहिष्कार किया.
इस बैठक में मंगलुरु के पुलिस आयुक्त एन शशि कुमार और अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (कानून व्यवस्था) आलोक कुमार भी मौजूद थे. बैठक के संक्षिप्त विवरण – जिसे दिप्रिंट द्वारा भी देखा गया है – भाजपा और कांग्रेस सहित राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों, जो इस बैठक में उपस्थित थे, ने मांग की: ‘शांति समिति की बैठकें बेल्लारे और अन्य स्थानीय जगहों पर भी होनी चाहिए और मुख्यमंत्री को तीनों हत्या पीड़ितों के परिवारों का दौरा करना चाहिए. प्रत्येक मृतक के परिवार को एकसमान मुआवजा दिया जाना चाहिए, और जो कोई भी भड़काऊ भाषण देता है, उसके खिलाफ कानून के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया जाना चाहिए.‘
बैठक में भाग लेने वालों, जिसमें स्थानीय निवासी भी शामिल थे, ने यह भी दावा किया कि मुख्यमंत्री ‘राजा’ की तरह हैं और उन्हें सभी तक पहुंचना चाहिए और उनके साथ समान व्यवहार करना चाहिए. जाहिर तौर पर इसका मंतव्य मुखयमतो बसवराज बोम्मई ने नेट्टारू के परिवार से जाकर मिलने, लेकिन मसूद के घर से नहीं जाने से था, जबकि दोनों एक ही शहर में रहते थे.
बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि पुलिस सोशल मीडिया पर किये जा रहे पोस्टस पर कड़ी निगरानी रखेगी, किसी भी तरह की भड़काऊ सामग्री तुरंत हटवा दिया जाएगा और इस पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी. स्थिति पर नजर रखने के लिए स्थानीय स्तर पर एक मोहल्ला कमेटी का भी गठन किया जाएगा.
दिप्रिंट ने सूरथकल स्थित फाजिल के गांव का दौरा किया, जहां उसको दफनाए जाने की तैयारी चल रही थी. फाजिल के भाई अब्दुल हमीद ने कहा, ‘वह कभी राजनीति में शामिल नहीं रहा था. उसने दो साल पहले स्नातक किया था और एचपीसीएल में काम कर रहा था. उसे कभी धमकी भरा कॉल या कोई धमकी भरा संदेश नहीं मिला था. हमें तो यह एक अकारण और अचानक से हुई हत्या जैसा दिखता है.’
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