नयी दिल्ली, 30 जुलाई (भाषा) सेवानिवृत्ति कोष का प्रबंधन करने वाले निकाय ईपीएफओ ने शेयरों में निवेश की सीमा को 15 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत करने के प्रस्ताव पर अभी विचार नहीं किया है। कर्मचारियों के प्रतिनिधियों ने इस बारे में व्यापक विचार-विमर्श की मांग की थी।
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के न्यासी हरभजन सिंह ने पीटीआई-भाषा से बातचीत में कहा, ‘‘शेयर या शेयर संबंधित योजनाओं में निवेश बढ़ाने का प्रस्ताव 29 और 30 जुलाई को हुई केंद्रीय न्यासी बोर्ड की 231वीं बैठक में विचार के लिए नहीं रखा गया।’’
उन्होंने कहा कि ईपीएफओ कार्यकारिणी की इस सप्ताह की शुरुआत में हुई बैठक में कर्मचारियों के प्रतिनिधियों ने इस प्रस्ताव का विरोध किया था। उनका कहना था कि ईपीएफओ के निवेश प्रारूप में संशोधन के पहले शेयर बाजारों की अस्थिर प्रकृति को देखते हुए इस पर अधिक विस्तृत विचार-विमर्श करने की जरूरत है।
इस सुझाव को देखते हुए न्यासी बोर्ड की बैठक के संशोधित एजेंडे के तहत शेयरों या संबंधित योजनाओं में निवेश बढ़ाने के प्रस्ताव को वापस ले लिया गया। शेयर से संबंधित योजनाओं में निवेश-योग्य निधियों के आवंटन को मौजूदा 15 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत करने का प्रस्ताव था।
फिलहाल ईपीएफओ निवेश-योग्य जमा का पांच प्रतिशत से लेकर 15 प्रतिशत तक शेयर या शेयर संबंधित योजनाओं में निवेश कर सकता है।
ईपीएफओ को सलाह देने वाली वित्त लेखा एवं निवेश समिति (एफएआईसी) ने इस सीमा को संशोधित कर 20 प्रतिशत तक करने के प्रस्ताव का समर्थन एवं अनुमोदन किया है। इस सिफारिश पर ईपीएफओ की शीर्ष निर्णायक इकाई सीबीटी को विचार एवं अनुमोदन करना था लेकिन विरोध की वजह से ऐसा नहीं किया जा सका।
इस महीने की शुरुआत में श्रम और रोजगार राज्य मंत्री रामेश्वर तेली ने लोकसभा में एक लिखित जवाब में निवेश सीमा बढ़ाने संबंधी सिफारिश की जानकारी दी थी। लेकिन कर्मचारी संगठनों ने शेयर बाजारों में ईपीएफओ के किसी भी निवेश का विरोध करते हुए कहा है कि इसे सरकारी गारंटी नहीं हासिल है।
भाषा राजेश राजेश प्रेम
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