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Friday, 8 November, 2024
होमदेशबिहार के मुस्लिम बहुल सीमांचल जिलों में सरकारी स्कूलों में जुमे की छुट्टी को लेकर BJP-JDU में तनातनी बढ़ी

बिहार के मुस्लिम बहुल सीमांचल जिलों में सरकारी स्कूलों में जुमे की छुट्टी को लेकर BJP-JDU में तनातनी बढ़ी

शिक्षा मंत्री ने उन स्कूलों की ‘स्टेटस रिपोर्ट’ तो मांगी है जो नमाज अदा करने के लिए शुक्रवार को बंद रहते हैं, लेकिन अवकाश बदलकर रविवार को किए जाने पर कुछ नहीं बोला है, जैसा कि भाजपा चाहती है.

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पटना: बिहार के शिक्षा मंत्री विजय चौधरी ने राज्य के सीमांचल क्षेत्र के सरकारी स्कूलों पर एक ‘स्टेटस रिपोर्ट’ मांगी है जो रविवार की बजाये शुक्रवार को बंद रहते हैं. इसमें किशनगंज, पूर्णिया, अररिया और कटिहार जैसे मुस्लिम बहुल जिले शामिल हैं. मुस्लिम समुदाय के शिक्षकों और छात्रों को जुमे की नमाज में शामिल होने के लिए यह अनुमति दी गई है.

चौधरी ने गुरुवार को मीडिया से बातचीत में कहा था, ‘मैंने जिलाधिकारियों (डीएम) से कहा है कि वे इस पर रिपोर्ट दें कि यह प्रथा कब और कैसे शुरू हुई.’ हालांकि, शिक्षा मंत्री और जनता दल (यूनाइटेड) नेता ने स्कूल की छुट्टी में बदलाव किए जाने के बारे में कुछ नहीं कहा.

इस महीने के शुरू में पड़ोसी राज्य झारखंड के बाद यह मुद्दा बिहार में उठा. झारखंड सरकार ने जहां शुक्रवार को बंद रहने वाले स्कूलों में छुट्टी को बदलकर रविवार कर दिया है, वहीं भाजपा चाहती है कि बिहार में भी ऐसा ही किया जाए.

इस बीच किशनगंज, पूर्णिया, अररिया और कटिहार के जिला अधिकारी इस बारे में कुछ पता नहीं लगा पाए हैं कि यह ट्रेंड कब और कैसे शुरू हुआ था.

किशनगंज के डीएम श्रीकांत शास्त्री ने प्रिंट को बताया, ‘यह व्यवस्था काफी लंबे समय से चली आ रही है. मैंने जिला शिक्षा अधिकारी से इस पर एक रिपोर्ट मांगी है.’

शिक्षा मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि शिक्षा मंत्रालय का अनुमान है कि जुमे की छुट्टी क्षेत्र के करीब 500 स्कूलों में हो सकती है, लेकिन सही संख्या का पता तभी चलेगा जब जिला प्रशासन इसका पता लगाने के लिए बाकायदा एक सर्वेक्षण करेगा.
डिप्टी सीएम ताराकिशोर प्रसाद ने कहा, ‘जहां तक सरकार की बात है तो सभी सरकारी संस्थान उन्हें दिए गए दिशा-निर्देशों के तहत चलाए जा रहे हैं.’

इस बीच, शिक्षा उप निदेशक चंद्रशेखर राय ने कहा, ‘मुझे ऐसा कोई पत्र नहीं मिला है जिसमें कहा गया हो कि छुट्टी रविवार की जगह शुक्रवार को रखी जाए.’ इसके साथ उन्होंने यह संकेत देने की कोशिश की कि यह व्यवस्था संभवत: स्थानीय स्तर पर की गई होगी.

शुक्रवार की छुट्टी के मुद्दे ने एनडीए के सहयोगी जदयू, भाजपा और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) के बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार के कामकाज के तरीके को लेकर दरार बढ़ा दी है. वहीं, विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने इसे राज्य को ‘सांप्रदायिक आधार पर बांटने’ का भाजपा का एक प्रयास बताया है.

सबसे पहले झारखंड में उठा मुद्दा

जुमे की नमाज अदा करने के लिए शुक्रवार को स्कूलों की साप्ताहिक छुट्टी का मामला सबसे पहले पड़ोसी झारखंड में सामने आया, जहां राज्य सरकार ने 14 जुलाई को जामताड़ा और दुमका जिलों के 43 स्कूलों की प्रबंध समितियों को भंग कर दिया.
झारखंड सरकार ने इसके साथ ही इन स्कूल की छुट्टी बदलकर रविवार को कर दी है.

जदयू की सहयोगी भाजपा चाहती है कि बिहार सरकार राज्य में झारखंड की तरह की कदम उठाए.

भाजपा के मंत्री नीरज कुमार बबलू ने सवाल उठाते हुए कहा, ‘यह (शुक्रवार की छुट्टी) बच्चों को स्कूल में पढ़ाई की उम्र से ही धर्म के आधार पर बांट रही है. बड़ी संख्या में हिंदू समुदाय के लोग मंगलवार को पूजा में शामिल होते हैं तो क्या मंगलवार को सरकारी स्कूल बंद कर देने चाहिए?’ साथ ही इस पर जोर दिया कि ज्यादातर बच्चे और अभिभावक रविवार को ही छुट्टी रखने के पक्ष में हैं.

बहरहाल, इस मुद्दे पर बिहार में एनडीए के सहयोगियों के बीच वाकयुद्ध छिड़ गया है.

जदयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने इस हफ्ते के शुरू में भाजपा के राज्यसभा सदस्य राकेश सिन्हा की टिप्पणियों पर कड़ी आपत्ति जताई थी, जिन्होंने जुमे की नमाज के लिए रविवार के बजाये शुक्रवार को स्कूलों में साप्ताहिक अवकाश रखने पर सवाल उठाया था.

सिन्हा ने दिल्ली में कहा था, ‘तुर्की (मुस्लिम बहुल) जैसे देश में भी शुक्रवार को अवकाश नहीं होता है और अगर धर्म के आधार पर छुट्टियां दी जाने लगें तो देश चलाना मुश्किल हो जाएगा.

इस पर कुशवाहा ने ट्विटर पर दिए एक जवाब में भाजपा नेता पर गैर-मुद्दे को लेकर हंगामा खड़ा करने की कोशिश करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा, ‘इन सज्जन को पता होना चाहिए कि शुक्रवार को छुट्टियां केवल स्कूलों (मुस्लिम बहुल छात्रों वाले) में ही नहीं दी जाती हैं, बल्कि संस्कृत विश्वविद्यालयों में भी यूनिवर्सिटी कैलेंडर के मुताबिक अष्टमी पर छुट्टियां दी जाती हैं.’
इस बीच, जदयू और भाजपा की सहयोगी हम भी कुशवाहा के समर्थन में सामने आई है.

हम के प्रवक्ता दानिश रिजवान ने कहा, ‘जम्मू और कश्मीर में स्कूल शुक्रवार को बंद रहते हैं, इस पर कोई विवाद नहीं हुआ है. भाजपा इसे यहां मुद्दा क्यों बनाना चाहती है?’


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छुट्टियों पर राजनीति

स्कूल के साप्ताहिक अवकाश को लेकर विवाद ऐसे समय सामने आया है जब भाजपा पटना में एक मेगा शो की तैयारी रही है और उसने राज्य में 200 विधानसभा सीटों पर अपनी उपस्थिति मजबूत करने का इरादा जताया है. 2020 के विधानसभा चुनावों के लिए सीट बंटवारे का फॉर्मूला तय करते समय जदयू को 122 सीटें मिली थीं, जबकि भाजपा को 121 सीटें मिली थीं. अभी 200 सीटों का लक्ष्य बनाकर, भाजपा ने ये संकेत दे दिया है कि वह भविष्य के चुनावों में जदयू के बिना भी मैदान में उतरने के लिए तैयार रहना चाहती है.

यह मामला ऐसे समय पर भी उठा है जब इस महीने के शुरू में पटना में इस्लामिक संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के तीन कथित कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया था, जिन्होंने कथित तौर पर मुस्लिम युवाओं को जिहाज के प्रशिक्षण के लिए एक शिविर चलाया था.

जदयू के नेताओं में नाराजगी के बीच भाजपा नेताओं के एक वर्ग ने इसे ‘बिहार आतंकी मॉड्यूल’ करार दिया और संकेत दिया कि नीतीश कुमार इस्लामी चरमपंथ के खिलाफ नरम पड़ रहे हैं.

सीमांचल एक ऐसा क्षेत्र है जहां सांप्रदायिक विभाजन के कारण भाजपा हमेशा अच्छा प्रदर्शन करती है. 2019 में भी एनडीए ने इलाके की चार में से तीन लोकसभा सीटों पर जीत हासिल की थी.

इस बीच, विपक्षी दल राजद ने भाजपा की तरफ से शुक्रवार की छुट्टी का मुद्दा उछाले जाने को राज्य में ‘सांप्रदायिक विभाजन’ का प्रयास करार दिया है.

राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने टिप्पणी की, ‘हिजाब विवाद (इस साल के शुरू में कर्नाटक के स्कूलों में हिजाब पहनने को लेकर उठे विवाद) का बिहार पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा, जबकि स्थानीय भाजपा नेताओं ने इस मुद्दे को भी उठाया था. अब उन्होंने इस पुरानी व्यवस्था (शुक्रवार की छुट्टी) को सांप्रदायिक विभाजन तेज करने के लिए उठाया है. जबकि बिहार में राज्य में खराब स्कूली शिक्षा मानकों पर चर्चा करनी चाहिए.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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