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Thursday, 21 November, 2024
होमएजुकेशनआखिर हो क्या रहा है? दो हफ्ते में पांच स्टूडेंट के ‘आत्महत्या’ करने से तमिलनाडु के स्कूलों में मानसिक स्वास्थ्य पर उठा सवाल

आखिर हो क्या रहा है? दो हफ्ते में पांच स्टूडेंट के ‘आत्महत्या’ करने से तमिलनाडु के स्कूलों में मानसिक स्वास्थ्य पर उठा सवाल

हाई-प्रोफाइल कल्लाकुरिची केस के मद्देनजर विशेषज्ञ इस माह ‘कॉपीकैट इफेक्ट’ यानी देखा-देखी आत्महत्याओं में तेजी की आशंका जता रहे हैं, और उनका कहना है कि स्कूलों को मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों को हल करना चाहिए.

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कुड्डालोर/तिरुवल्लूर: उसका सुसाइड नोट ‘टंगलिश’ में लिखा था, जिसमें तमिल शब्दों को अंग्रेजी में लिखा गया था, और उसे रेफ्रिजरेटर पर छोड़ दिया गया था. रूल वाली नोटबुक में साफ-सुथरी कर्सिव स्क्रिप्ट में उसने अपने माता-पिता को लिखा था कि उसे उनका प्यार बहुत आएगा और वह मां को किस करना चाहती है. उसने कहा कि वह उनसे बहुत प्यार करती है, लेकिन, ‘मैंने इस बारे में कई बार सोचा और अब लगता है कि मैं वास्तव में मुझसे यह नहीं हो पाएगा.’

कुड्डालोर जिले के विरुधाचलम में 12वीं कक्षा की एक छात्रा स्कूल जाना फिर शुरू करने के बाद से अपना पहला पेपर देकर लौटी थी, जो कि तमिल भाषा का पेपर था. उसने सोचा कि उसका प्रदर्शन इतना बुरा रहा है कि उसने उसी रात अपनी जान ले ली.
उसकी तमिल परीक्षा की कॉपी अभी जांची नहीं गई है.

उसी दिन, तिरुवल्लूर जिले में एक अन्य छात्रा ने अपने छात्रावास में आत्महत्या कर ली. उसका परिवार इसके पीछे कुछ गड़बड़ होने का आरोप लगा रहा है और अकादमिक तनाव से लेकर एक वार्डन के सख्त रवैये तक तमाम अटकलें लगाई जा रही हैं.

25 जुलाई सोमवार को दोनों की मौत हो गई. दोनों 12वीं की छात्रा थीं और दोनों कम से कम पांच स्टूडेंट की संदिग्ध आत्महत्याओं की कड़ी का एक हिस्सा हैं जो तमिलनाडु में पिछले कुछ ही हफ्तों में हुई हैं. हालांकि, जांचकर्ता हर मामले को अलग-अलग देख रहे हैं, लेकिन इन मौतों ने युवा, प्रतिभाशाली छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य को लेकर बुनियादी ढांचे के अभाव पर सवाल खड़े किए हैं.

पहली मौत 13 जुलाई को कल्लाकुरिची में हुई थी, जिसे लेकर हिंसक विरोध प्रदर्शन हुआ और मीडिया में भी इसे काफी कवरेज दिया गया, और इसके बाद विरुधाचलम और तिरुवल्लूर के किलाचेरी में सुसाइड की दोनों घटनाएं हुईं. इसके अलावा शिवगंगा में एक लड़के—जिसने अपने सुसाइड नोट में अकादमिक दबाव को जिम्मेदार बताया और शिवाकाशी में एक लड़की ने आत्महत्या कर ली. लड़की के माता-पिता का कहना है कि उसने ‘मासिक धर्म के दर्द’ की वजह से आत्महत्या की.

ये सभी स्कूली बच्चे थे, जो 11वीं या 12वीं कक्षा में पढ़ रहे थे.

आत्महत्या रोकथाम केंद्र स्नेहा की संस्थापक और आत्महत्याओं की रोकथाम और रिसर्च पर विश्व स्वास्थ्य संगठन के नेटवर्क की सदस्य डॉ. लक्ष्मी विजयकुमार ने कहा, ‘यह अब सुसाइड क्लस्टर बन गया है. निश्चित तौर पर देखा-देखी आत्महत्याएं करना बढ़ा है.’

उन्होंने कहा कि कॉपीकैट सुसाइड की घटनाएं तब होती हैं जब किसी एक आत्महत्या पर बहुत अधिक ध्यान दिया जाता है या उसे ‘सनसनीखेज’ बना दिया जाता है.

उन्होंने कहा, ‘लोग खुद को उस व्यक्ति या उसकी स्थितियों से खुद को जोड़ने लगते हैं. हम अपने शोध नतीजों के आधार पर मानते हैं कि जब भी आत्महत्या की कोई घटना सनसनीखेज बनती हैं, तो इसी तरह की आत्महत्याओं में 15 फीसदी की वृद्धि हो जाती है.’

हालांकि, भले ही कोई हाई-प्रोफाइल मामला सुसाइड के लिए उकसाता हो, लेकिन आम तौर पर उनके पीछे तमाम अस्थिर कारण होते हैं.

‘मेरी बेटी अकेली थी’

कुड्डालोर की छात्रा अंग्रेजी में स्कूल टॉपर थी, जिसने 11वीं कक्षा में 93 प्रतिशत अंक प्राप्त किए थे. सुसाइड के अगले दिन उसकी अंग्रेजी की परीक्षा होने वाली थी, उसके बाद सप्ताह के बाकी दिनों में गणित, भौतिकी और रसायन विज्ञान की परीक्षा थी.
लेकिन तमिल परीक्षा का पेपर खराब होने को लेकर उसकी कथित धारणा उसके लिए अपना जीवन खत्म करने की एक बड़ी वजह थी.

उसकी मां ने कहा, ‘इसका कोई तुक नहीं बनता है.’ वह अभी भी सदमे की स्थिति में है, और अस्पताल से छुट्टी ले चुकी हैं जहां वह एक नर्स के तौर पर काम करती है. वह सोमवार रात कुछ सामान खरीदने के लिए घर से बाहर गई हुई थीं और जब लौटीं तो बेटी को मृत पाया.

उनकी भाभी ने बताया, ‘वह बेहद प्रतिभाशाली लड़की थी, और बहुत स्मार्ट भी थी. वह एक आईएएस अफसर बनना चाहती थी और कृषि विभाग में काम करना चाहती थी. वह रविवार को एकदम ठीकठाक थी, हमने पूरा दिन एक साथ बिताया. सोमवार सुबह भी वह ठीक नजर आ रही थी. बस एक ही बात थी….’ उन्होंने थोड़ा हिचकिचाते हुए कहा.

उन्होंने कहा, ‘शायद फिर से स्कूल जाना उसे बहुत पसंद नहीं आया था. वह ऑनलाइन क्लासेज में सहज थी. मुझे लगता है कि स्कूल लौटने पर दबाव कुछ ज्यादा ही बढ़ गया था.’

कुड्डालोर के छात्र को कला से काफी लगाव था | वंदना मेनन/ दिप्रिंट

छात्रा का स्कूल फिजिकल क्लासेज के लिए जून में फिर से खुला था. उसकी एकदम नई-नई स्कूल की किताबें अभी भी उसके कमरे में बड़े करीने से रखी हुई हैं, उसका बैग हुक पर लटका नजर आ रहा है.

उसकी मां ने कहा कि वह हमेशा से ही आत्म-प्रेरित और महत्वाकांक्षी रही, और अच्छी तरह जानती थी कि उसे क्या करना है.
उसके मैथ्स टीचर पीटर एंथोनी स्वामी ने कहा वह एक अच्छी छात्रा थी, जिसने सभी विषयों में लगातार अच्छा स्कोर किया था. स्वामी उसके स्कूल शक्ति मैट्रिकुलेशन हाई स्कूल के वाइस-प्रिंसिपल भी हैं.

क्या काफी ज्यादा कवरेज पाने वाला कल्लाकुरिची मामला उसे आत्महत्या के लिए उकसाने वाला हो सकता है? उसके परिवार के सदस्य ऐसा नहीं सोचते हैं. उन्हें इस पर ही संदेह है कि उसने इसके बारे में सुना भी होगा.

उन्होंने कहा कि वह अपना समय छोटा भीम जैसे कार्टून ड्रा करने और देखने में बिताना पसंद करती थीं, और वास्तव में खबरों पर बहुत ज्यादा ध्यान नहीं देती थी.

फिर भी, किशोरी हर दिन घंटों अकेले समय बिताती थी. वह शाम 5.30 बजे घर लौटती और रात को माता-पिता के वापस आने तक अकेली ही रहती थी.

उसकी मां ने कहा, ‘वह काफी शांत रहती थी. हमें नहीं पता था कि उसके भीतर इतनी गहरी अशांति थी.’

छात्रा जनवरी 2022 में गिर गई थी और उसके जबड़े में चोट लग गई थी, और जब वह बोलती थी तो कभी-कभी दर्द होता था, जो केवल उसकी चुप्पी को बढ़ाता था.

उसकी मां ने कहा, ‘वह अकेली थी…मेरी बेटी अकेली थी.’


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‘न्याय’ की मांग

कुड्डालोर की छात्रा के घर से करीब 30 किलोमीटर दूर उसी जिले के पेरियानेसलूर गांव में एक अन्य माता-पिता बड़े दुख से गुजर रहे हैं, अभी कुछ ही देर पहले रामलिंगम ने अपने घर पर अपराध शाखा-अपराध जांच विभाग (सीबी-सीआईडी) की टीम से बात की है.

कल्लाकुरिची में उनकी बेटी की मृत्यु की स्मृति में एक बैनर कुड्डालोर जिले के पेरियानेसलूर गांव में रामलिंगम के घर के बाहर लटका हुआ है | वंदना मेनन/ दिप्रिंट

13 जुलाई को कल्लाकुरिची के एक छात्रावास में उनकी बेटी की मौत के मामले पर राज्य भर में हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए हैं, जिसमें भीड़ ने स्कूल बसों और संपत्ति को आग लगा दी और न्याय दिलाने की मांग की. 12वीं कक्षा की छात्रा ने अपने सुसाइड नोट में कथित तौर पर अपने फैसले के लिए टीचर्स को जिम्मेदार ठहराया था, लेकिन उसके माता-पिता का दावा है कि कहीं न कहीं कुछ गड़बड़ है उसने सुसाइड नहीं किया होगा.

कल्लाकुरिची मौत पहला हाई-प्रोफाइल केस था, जो अब संदिग्ध आत्महत्याओं का एक ‘क्लस्टर’ बन चुका है.

इस मामले के बाद हिंसा की घटनाएं कई दिनों तक सुर्खियों में रहीं. पुलिसकर्मियों ने रामलिंगम के घर के आसपास डेरा डाल रखा है और उनकी बेटी के चेहरे वाला एक बड़ा बैनर उनके घर के बाहर लटका है. उनकी बेटी के अंतिम संस्कार में हजारों लोग शामिल हुए थे, और उन्हें स्थानीय प्रेस की आदत हो गई है.

सीबी-सीआईडी की टीम पूछताछ कर रामलिंगम के घर से निकल रही थी. रामलिंगम की तरफ से अपनी बेटी की मौत संदेहास्पद बताए जाने के बाद 18 जुलाई के मद्रास हाई कोर्ट ने अपने एक आदेश में शैक्षणिक संस्थानों में होने वाली आत्महत्या की सभी घटनाओं की जांच सीबी-सीआईडी को सौंपने का निर्देश दिया. (चूंकि कुड्डालोर की एक अन्य छात्रा ने अपने घर में सुसाइड की थी, उसके मामले की जांच अपराध शाखा नही कर रही है.)

रामलिंगम ने कहा, ‘मैंने उन्हें पहले ही वह सब कुछ बता दिया है जो मुझे पता है और जिस पर मुझे संदेह है. अब सच्चाई का पता तो उन्हें ही लगाना है.’

सीबी-सीआईडी के अतिरिक्त पुलिस उपाधीक्षक (एडीएसपी) गोमती ने दिप्रिंट को बताया कि अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी क्योंकि जांच अभी शुरुआती चरण में है.

‘इसे समझना कोई आसान काम नहीं’

शुक्रवार को आलस भरी दोपहर के बीच किलाचेरी के सैक्रेड हार्ट गर्ल्स हायर सेकेंडरी स्कूल के आसपास करीब 50 से अधिक पुलिसकर्मी अपनी छानबीन में लगे थे, जबकि शिक्षक स्कूल के बरामदे में अपना काम निपटा रहे थे.

सीबी-सीआईडी ने तिरुवल्लुर मामले को भी अपने हाथ में ले लिया है, लेकिन क्षेत्र की पुलिस को यह सुनिश्चित करना है कि कहीं यहां पर भी कल्लाकुरिची जैसी कानून-व्यवस्था की स्थिति न उत्पन्न हो जाए, और पड़ोसी कृष्णागिरी जिले से भी अमला बुलाया गया है.

किलाचेरी में लड़कियों का छात्रावास जहां 25 जुलाई को तिरुवल्लूर की छात्रा की मृत्यु हो गई थी| वंदना मेनन/ दिप्रिंट

तिरुवल्लुर की छात्रा के माता-पिता ने गड़बड़ी का आरोप लगाया है, और क्षेत्र में अफवाहें फैल रही हैं. अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति आयोग भी 28 जुलाई को जांच के लिए आया था क्योंकि वह एक दलित छात्रा थी.

12वीं कक्षा की छात्रा ने कोई सुसाइड नोट नहीं छोड़ा, लेकिन उसकी मौत को लेकर स्थानीय स्तर पर तमाम तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं, जिसमें एक सख्त छात्रावास वार्डन से लेकर ‘प्रेम संबंध’ तक चर्चा में हैं.

हालांकि, डॉ. विजयकुमार के मुताबिक, आत्महत्या के कारणों को समझने का एकमात्र तरीका ‘साइकोलॉजिकल एटॉप्सी’ है, जिसमें पीड़ित के बारे पूरी जांच उसकी कलाकृतियों या उसकी लिखी सामग्री के माध्यम से की जाती है, और उसके उनके प्रियजनों और उसका इलाज करने वालों के साथ भी गहन बातचीत की जाती है.

उन्होंने दिप्रिंट से बातचीत में कहा कि स्कूलों को स्टूडेंट के साथ नियमित तौर पर जुड़े रहने और मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देने के लिए पीर काउंसलर तैयार करने की जरूरत है.

डॉ. विजयकुमार ने कहा, ‘आत्महत्या की कोई अकेली, सरल व्याख्या संभव नहीं है. इसके पीछे हमेशा कई तरह के फैक्टर होते हैं, और अंतिम फैक्टर किसी को घातक कदम उठाने के लिए उकसा सकता है. कई चीजों का गलत होना आत्महत्या का कारण हो सकता है.’


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तमिलनाडु के स्कूलों में मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की 2020 की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में कथित तौर पर तमिलनाडु में स्टूडेंट सुसाइड के मामलों की दर उच्चतम है. राज्य में हर दिन औसतन लगभग 46 लोग आत्महत्या करते हैं और इन पीड़ितों में हर दिन कम से कम छात्र होते हैं.

आत्महत्या के कारण के तौर पर शिक्षा संबंधी चुनौतियां कोई नई बात नहीं हैं—कई आत्महत्याओं को कथित तौर पर मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लिए राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) से जोड़ा गया है. यहां तक, द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) ने 2019 के चुनावी घोषणापत्र में परीक्षा रद्द करने का वादा भी किया था.

यही नहीं, कम उम्र वाले छात्रों के लिए भी खुद को परिस्थितियों के अनुरूप ढालना एक कड़ी चुनौती बनता जा रहा है.
वाइस-प्रिंसिपल स्वामी ने कहा, ‘कोविड ने वास्तव में छात्रों को बुरी तरह प्रभावित किया है.’ वह अपने शक्ति स्कूल में एक प्रमाणित काउंसलर का इंतजाम करने की तैयारी कर रहे हैं जो छात्रों को प्रेरक भाषण देकर उनका तनाव घटाने में मदद करे.

उन्होंने आगे कहा, ‘छात्र डरते हैं. ऑनलाइन कक्षाएं लेना और परीक्षाएं देना आसान था. साथ ही, पिछले साल, हमने कोविड के कारण पाठ्यक्रम को तो घटा दिया था. लेकिन इस साल उन्हें पूरा कोर्स पढ़ना है.’

तमिलनाडु सरकार भी इस मुद्दे को हल करने की कोशिश कर रही है और स्कूलों को छात्रों और शिक्षकों दोनों की मदद के लिए जरूरी बुनियादी ढांचा मुहैया करा रही है.

बढ़ती आत्महत्याओं के मद्देनजर तमिलनाडु के स्कूल शिक्षा मंत्री अंबिल महेश पोय्यामोझी ने कहा, ‘राज्य के 413 शिक्षा ब्लॉकों में से प्रत्येक में 800 डॉक्टरों की नियुक्ति की जाएगी जो छात्रों को अध्ययन, करियर और व्यवहार में बदलाव जैसे विभिन्न पहलुओं पर परामर्श और मार्गदर्शन प्रदान करेंगे.’

मंत्री ने कहा कि उनका विभाग छात्रों का मनोबल बढ़ाने और तनाव कम करने के उद्देश्य से स्कूलों में नाटकों के आयोजन, फिल्म स्क्रीनिंग और साहित्यिक मंचों की मेजबानी की योजना भी बना रहा है.

एक टेस्ट और एक नोट

कुड्डालोर की छात्रा की मां ने रोते हुए बताया कि वह हमेशा सोचती थी कि उनका परिवार सहयोगी है, जैसा स्कूल था. उसके शिक्षक हमेशा ही उसकी प्रशंसा करते थे, और वह अपनी परीक्षाओं के लिए पहले से तैयारी कर रही थी. एक तमिल परीक्षा इतना बड़ा कदम उठाने की वजह कैसे हो सकती है?

तभी उसके पिता ने नजरें जमीन से ऊपर उठाते हुए एक कपड़े के तौलिये से अपने आँसू पोंछे. फिर उन्होंने पूछा, ‘क्या उसकी तमिल परीक्षा के अंक आ गए है? क्या वह पास हो गई है?’
नहीं, उत्तर पुस्तिका की अभी तक जांच नहीं हुई है.

‘ओह! तो, हम कभी नहीं जान पाएंगे.’

यदि आपमें आत्महत्या का भाव आ रहा है या आप उदास महसूस कर रहे हैं, तो कृपया अपने राज्य में एक हेल्पलाइन नंबर पर कॉल करें.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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