नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को फ्रांस से 36 राफेल लडाकू विमान खरीदे जाने के मामले पर सुनवाई हुई. मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एसके कौल और जस्टिस केएम जोसेफ की बेंच ने किया. शीष अदालत ने याचिकाकर्ताओं, सरकार और वायुसेना अधिकारियों का पक्ष विस्तार से सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया.
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर वायुसेना के अधिकारी को भी बयान के लिए कोर्ट में बुला लिया गया था. आपको बता दें कि केंद्र ने कीमत का जो ब्योरा सीलबंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट को सौंपा हैं, कोर्ट उसकी भी जांच करने वाला है.
Rafale Jet Deal Case: AG KK Venugopal appearing for the Centre says, pricing details have been given in a sealed cover but there are factors like inter governmental agreement which barred its disclosure.
— ANI (@ANI) November 14, 2018
इससे पहले अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने बहस में केंद्र की ओर से कोर्ट को सौंपे गए सीलबंद लिफाफे में केवल विमानों की कीमत बताने की जानकारी देते हुए कहा कि दोनों देशों के बीच इस समझौते की जानकारी नहीं दी गई है. उन्होंने कहा कि इस सौदे की कीमतों के बारे में नहीं बल्कि इसके तकनीकी और रक्षा पहलू को लेकर जानकारी गोपनीय रखी गई है.
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान याचिककर्ताओं के वकील प्रशांत भूषण के लिए उस समय थोड़ा असहज स्थिति पैदा हो गई, जब चीफ जस्टिस गोगोई ने एक नोट में दिए तथ्यों को लेकर उन्हें टोक दिया.
Rafale Jet Deal Case: SC lawyer Prashant Bhushan submits, on pricing there can’t be any secrecy issue when govt itself disclosed the price in Parliament. It’s a bogus argument for govt to say they can’t disclose pricing. In new deal, Rafale jets cost 40% more than earlier deal
— ANI (@ANI) November 14, 2018
भूषण ने कोर्ट में एक दस्तावेज दाखिल किया था जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने एक गलती पकड़ते हुए कहा कि जल्दबाजी में वो गलत जानकारी न दें. इसके बाद भूषण ने स्वीकार किया कि जल्दबाजी में उनसे गलती हुई. भूषण ने कहा कि राफेल सौदा विमानों की पुरानी कीमतों के मुकाबले 40 प्रतिशत महंगे में हुई है.
Rafale deal case: Petitioner advocate ML Sharma tells Supreme Court that report filed by the government in the court reveals that there has been serious fraud while making the decision post May 2015.The petitioner urges Supreme Court that the matter be heard by a five-judge bench
— ANI (@ANI) November 14, 2018
इससे पहले सुनवाई की शुरुआत में याचिकाकर्ता वकील मनोहर लाल शर्मा ने कोर्ट से 5 जजों की बेंच बनाकर इस मामले में सुनवाई की मांग की. उन्होंने कहा कि सरकार ने अदालत को जो सीलबंद लिफाफे सौंपे हैं उसके मुताबिक इस सौदे में भारी भ्रष्टाचार हुआ है.