नई दिल्ली: चीन द्वारा लड़ाकू विमानों की सहायता से वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर समझौतों का बार-बार उल्लंघन करने – जिसकी वजह से भारतीय वायु सेना को अपने विमान तैनात करने पर मजबूर होना पड़ता है – से लेकर एक ऐसा नया हाईवे बना रहा है जो सभी मौजूदा तनाव वाले बिंदुओं को आपस में जोड़ेगा और सीमा के करीब नए सैन्य उपकरणों और सैन्य तैनाती को ज्यादा गति देगा, चीन भारत के साथ दो साल से अधिक समय से चल रहे सैन्य गतिरोध के दौरान लगातार दबाव बनाए हुए है.
रक्षा और सुरक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि चीन की मंशा ‘अंगारों को सुलगाते रहने’ और भारत द्वारा वांछित किसी भी वास्तविक डी-एस्केलेशन के लिए नहीं जाना है.
चीनियों द्वारा वर्तमान में की जा रही उकसावे वाली कार्रवाई एक हवाई अभ्यास के माध्यम से की जा रही है जिसके तहत उसके लड़ाकू विमान और यहां तक कि ड्रोन भी दोनों पक्षों के बीच 10 किलोमीटर के कॉन्फिडेंस बिल्डिंग मिजर (सीबीएम) वाले समझौते का बार-बार उल्लंघन कर रहे हैं.
इस समझौते के मुताबिक दोनों पक्षों को अपने-अपने लड़ाकू विमानों को एलएसी के 10 किलोमीटर के दायरे में आने देना से बचना होता है.
हालांकि, उकसावे का सिलसिला जारी है. सूत्रों ने कहा कि इन उल्लंघनों को भारतीय पक्ष ने 17 जुलाई को हुई पिछली कोर कमांडर स्तर की वार्ता के दौरान उठाया था. उन्होंने बताया कि चीनी जेट इस बातचीत के बाद भी सहमत दायरे में उड़े हैं.
रक्षा और सुरक्षा प्रतिष्ठान से जुड़े एक सूत्र ने कहा, ‘अभी तक चीन द्वारा भारतीय हवाई क्षेत्र का ऐसा कोई उल्लंघन नहीं किया गया है जिससे स्थानीय समझौते का उल्लंघन होता हो. हम सतर्क हैं और जब भी हमें कुछ दिखाई देता है तो हम सामरिक (टैक्टिकल) कदम उठाते हैं.’
चीनियों द्वारा की जा रही एक और प्रमुख उकसावे की कार्रवाई एलएसी के पास एक नया राजमार्ग बनाने की उनकी योजना है जो अक्साई चीन के विवादित क्षेत्र और पूर्वी लद्दाख में मौजूदा फ्लैशप्वाइंट (तनाव वाले बिंदुओं) के बीच से होकर गुजरेगा.
जी-695 राष्ट्रीय एक्सप्रेसवे के रूप में संदर्भित किया जाने वाला यह राजमार्ग चीन द्वारा हाल ही में सबके सामने पेश किए गए उस नए राष्ट्रीय कार्यक्रम का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य 2035 तक 345 नई बुनियादी ढांचा संबंधी परियोजनाओं का निर्माण करना है और इसके तहत कुल 4,61,000 किलोमीटर के राजमार्ग और मोटरवे का निर्माण भी शामिल है.
यह राजमार्ग चीन को आवश्यकता पड़ने पर एलएसी पर सैनिकों को और तेजी के साथ लामबंद करने साथ उन्हें अग्रिम स्थलों पर ले जाने के लिए एक और पहुंच का बिंदु (एक्सेस पॉइंट) प्रदान करेगा. यह सीमा पर तैनात पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के सैनिकों के लिए साजोसामान का आसान प्रबंधन भी सुनिश्चित करेगा.
यह तनाव केवल लद्दाख से लगी 1,597 किलोमीटर की सीमा तक ही सीमित नहीं है बल्कि यह एलएसी के पूर्वी क्षेत्र तक फैला हुआ है जहां चीनी पक्ष एलएसी के करीब गांवों को बसाने सहित बुनियादी ढांचे के निर्माण में व्यस्त हैं.
यह भी पढ़ें: दलित, OBC या ब्राह्मण? UP में नए अध्यक्ष के चुनाव में जातिगत समीकरणों को लेकर दुविधा में BJP
अनुभव प्राप्त कर रहे चीनी सैनिक
चीनी विकास कार्यक्रम के बारे में बात करते हुए सूत्रों ने कहा कि चीन वायु सेना के मामले में तिब्बत क्षेत्र में अपनी अपेक्षाकृत कमजोर स्थिति का मुकाबला करने की कोशिश कर रहा है. उसने पिछले दो साल एलएसी के करीब अपने सैन्य हवाई ठिकानों (एयर बेसेस) पर बुनियादी ढांचे के निर्माण में बिताए हैं, जिनमें शिगात्से, एचजोटन, काशगर सहित अन्य ठिकाने शामिल हैं.
इन हवाई अड्डों को अब बड़ी संख्या में विमानों की तैनाती की सुविधा के अलावा लंबे रनवे, कठोर और भूमिगत शेल्टर्स (विमानों को रखने की जगह) आदि मिल गए हैं.
सूत्रों ने यह भी कहा कि चीन लगातार वास्तविक नियंत्रण रेखा पर आर्मरड पर्सनेल कर्रिएर्स (सैनिकों के लिए बख्तरबंद वाहन), तोपखाने और वायु रक्षा प्रणालियों की अपनी नवीनतम श्रृंखला को शामिल कर रहा है.
चीन ने अपने संचार नेटवर्क को गति देने के लिए अपनी सीमा पर जी 5 कनेक्शन भी लगाने शुरू किए हैं और अपने निगरानी उपकरणों को इसी फ्रीक्वेंसी पर स्विच कर रहा है.
एक दूसरे स्रोत ने कहा, ‘चीन सैनिकों की भी तेजी से रोटेशन (एक सैनिक की जगह दूसरे की तैनाती) कर रहा है. हालांकि हम भी सैनिकों का योजनाबद्ध रोटेशन करते हैं हमारे उलट चीन अपने उपकरणों को भी बदलता रहता है.’
सूत्रों का कहना है कि चीनी कई स्थानों पर अपने सैनिकों के लिए हजारों बिलेट (निजी आवास का भाग जहां सैनिक अस्थायी रूप से टिकते हैं) के अलावा सड़क के बुनियादी ढांचे के निर्माण पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कर्मियों और उपकरणों की तेजी से तैनाती हो सके.
एक तीसरे सूत्र ने कहा, ‘सैनिकों का तेजी से रोटेशन यह सुनिश्चित करने के लिए किया जा रहा है कि बड़ी संख्या में चीनी सैनिकों को यहां की परिस्थिति का अनुभव हो और वे इससे सीखें. यह उनके लिए लंबे समय में फायदेमंद होगा क्योंकि आमतौर पर वे ऐसी स्थिति के लिए अभ्यस्त नहीं हैं.’
(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
यह भी पढ़ें: BJP के फेरबदल में ‘संतोष के खास’ अरुण कुमार को कर्नाटक से क्यों हटाया गया