रांची, 25 जुलाई (भाषा) बारिश में कमी झारखंड के किसानों के लिए परेशानी का सबब बनी हुई है। सोमवार को यहां बारिश की कमी 49 प्रतिशत के स्तर पर पहुंच गई। इस तरह झारखंड देश में उत्तर प्रदेश के बाद वर्षा की कमी वाला दूसरा सबसे बड़ा राज्य हो गया है।
देश में सात राज्यों में बारिश की कमी का सामना करना पड़ रहा है, जिसमें उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा 54 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है। भारत मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार, झारखंड के ठीक बिहार में 45 प्रतिशत वर्षा की कमी है।
झारखंड में पिछले कुछ दिनों में अच्छी बारिश हुई है, जिससे 22 जुलाई से बरसात का घाटा दो प्रतिशत कम हो गया है, लेकिन किसानों के अनुसार यह बरसात धान की बुवाई के लिए पर्याप्त नहीं है।
रांची मौसम विज्ञान केंद्र के प्रभारी अभिषेक आनंद ने कहा, ‘‘झारखंड देश के उन कुछ राज्यों में से है, जो वर्षा की कमी का सामना कर रहे हैं। राज्य में वर्षा का वितरण अच्छा है, लेकिन बरसात की मात्रा बहुत कम है। जबतक एक मजबूत प्रणाली नहीं होगी, तबतक वर्षा की कमी पूरी नहीं होगी।’’
उन्होंने कहा कि अच्छी बारिश के लिए उत्तर बंगाल की खाड़ी के ऊपर एक गहरे दबाव का क्षेत्र जरूरी है।
उन्होंने कहा, ‘‘मानसून खत्म होने में हमारे पास दो महीने से ज्यादा का समय है। हमें उम्मीद है कि स्थिति में सुधार होगा।’’
आनंद ने कहा कि अगले तीन दिनों में काफी व्यापक बारिश की भविष्यवाणी की गई है। ‘‘28 और 29 जुलाई को, राज्य के कुछ हिस्सों में भारी बारिश हो सकती है।’’
अधिकारियों ने बताया कि राज्य में धान की कुल बुवाई अब भी 14.11 प्रतिशत है, जबकि बुवाई का आदर्श मौसम 20 जुलाई को समाप्त हो चुका है।
किसानों ने कहा कि अगर पर्याप्त बारिश हुई तो वे 15 अगस्त तक बुवाई जारी रखेंगे।
हालांकि, कृषि विशेषज्ञों ने किसानों को वैकल्पिक फसलों के लिए जाने की सलाह दी क्योंकि देरी से धान की बुवाई से अपेक्षित परिणाम नहीं मिलेंगे।
भाषा राजेश राजेश अजय
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