नयी दिल्ली, 22 जुलाई (भाषा) कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने शुक्रवार को कहा कि किसानों और खेती-बाड़ी का सम्मान किया जाना चाहिए।
मंत्री यहां आजादी का अमृत महोत्सव के अवसर पर भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के सहयोग से आयोजित ‘स्वदेशी और वैश्विक समृद्धि के लिए भारतीय कृषि का उपयोग’ विषय पर आयोजित दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे।
तोमर के हवाले से आधिकारिक बयान में कहा गया है, ‘‘किसान निराश, भूखा या गरीब नहीं है, बल्कि इन शब्दावलियों से बचने की जरूरत है। किसान गरीब हो सकता है, उसके पास छोटे-छोटे खेत हो सकते हैं, लेकिन इसके बावजूद वह न केवल अपने परिवार का समर्थन करता है, बल्कि देश की कृषि अर्थव्यवस्था में किसान अपना योगदान भी देता है। किसानों और खेती के साथ सम्मान का व्यवहार किया जाना चाहिए।’’
मंत्री ने कहा कि जब प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों की आय का समर्थन करने के लिए एक योजना बनाई, तो उन्होंने उनको गौरव दिलाने के लिए इसे किसान सम्मान निधि के रूप में नामित किया।
तोमर ने कहा, ‘इस योजना के तहत किसानों को हर साल 6,000 रुपये दिए जाते हैं और अब तक करीब साढ़े ग्यारह करोड़ किसानों को उनके बैंक खातों में सीधे जमा करके करीब 2 लाख करोड़ रुपये दिए जा चुके हैं।’
देश को एक स्वस्थ और अग्रणी राष्ट्र बनाने के लिए सरकार विभिन्न मोर्चों पर काम कर रही है और यह गांवों, गरीब लोगों और किसानों को प्राथमिकता देती है।
उन्होंने कहा, ‘गांवों का विकास, गरीबी उन्मूलन, असमानता का उन्मूलन, किसानों की समृद्धि और कृषि का विकास मोदी सरकार की प्राथमिकता है।’’
तोमर ने कहा, ‘केंद्र एवं राज्य सरकारें तथा वैज्ञानिक इस प्राथमिकता पर काम कर रहे हैं, जबकि किसान भी कड़ी मेहनत कर रहे हैं। इसके परिणामस्वरूप, हम देखते हैं कि भारत दिन-ब-दिन समृद्धि की ओर बढ़ रहा है।’
उन्होंने कृषि क्षेत्र में मौजूदा चुनौतियों का समाधान करने की आवश्यकता पर बल दिया।
तोमर ने कहा कि लोगों को कृषि की ओर आकर्षित करने और इस क्षेत्र में मुनाफा बढ़ाने के लिए उत्पादकता और आय बढ़ाने पर ध्यान देने की जरूरत है।
तोमर ने कहा, ‘किसान की लागत कम हो, उसे तकनीक का सहारा मिले, खेती में निजी निवेश के दरवाजे खुले, किसान लाभकारी फसलों की ओर बढ़े, बाजार पहुंच बढ़े और किसानों का शोषण न हो, हमारी ऐसी प्रशासनिक व्यवस्था के लिए प्रयास करने का लक्ष्य होना चाहिए।’
भाषा राजेश राजेश रमण
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