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Sunday, 3 November, 2024
होमदेश‘आओ पुलिस को सबक सिखा दें’- DSP को रौंदने वाले खनन माफिया ने ‘बंदूक दिखा उनकी टीम को धमकाया था’

‘आओ पुलिस को सबक सिखा दें’- DSP को रौंदने वाले खनन माफिया ने ‘बंदूक दिखा उनकी टीम को धमकाया था’

तीन माह बाद सेवानिवृत्त होने जा रहे 59 वर्षीय तावड़ू डीएसपी सुरेंद्र सिंह को मंगलवार को हरियाणा के नूंह में अवैध ढंग से पत्थर ले जा रहे खनन माफिया के एक डंपर ने कुचल दिया था.

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नूंह: हरियाणा स्थित नूंह के पचगांव गांव में मंगलवार सुबह करीब 11 बजे तावड़ू के 59 वर्षीय पुलिस उपाधीक्षक सुरेंद्र सिंह तीन अन्य पुलिसकर्मियों के साथ अरावली में एक ओवरलोडेड डंपर का पीछा कर रहे थे.

डंपर सवार चार युवकों ने कथित तौर पर कट्टा (देसी रिवाल्वर) दिखाकर डीएसपी और उनकी टीम को धमकाया. बाद में डीएसपी सुरेंद्र सिंह को उसी डंपर से कुचल दिया. डीएसपी तीन महीने बाद ही रिटायर होने वाले थे.

डीएसपी की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि अन्य लोगों ने इधर-उधर भागकर अपनी जान बचाई. इस घटना ने पूरे देश को झकझोरकर रख दिया है और अरावली क्षेत्र में कथित तौर पर जारी अवैध खनन एक बार फिर सुर्खियों में है.

सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस मामले में सवाल उठाया है कि कोई भी व्यक्ति किसी तरह के ‘संरक्षण’ के बिना ऐसा अपराध कैसे कर सकता है. वहीं, नूंह पुलिस ने हत्या में किसी भू-माफिया की संलिप्तता से इनकार किया है.

नूंह के पुलिस अधीक्षक (एसपी) वरुण सिंगला ने दिप्रिंट को बताया, ‘इसमें कोई माफिया शामिल नहीं है. खनन बड़े पैमाने पर या संगठित तरीके से नहीं बल्कि स्थानीय, ग्राम स्तर पर होता है. यहां पर जहां कहीं भी छोटी-छोटी पहाड़ियां हैं, स्थानीय निवासी आमतौर पर अपने छोटे-मोटे लाभ के लिए उनका खनन करते रहते हैं.’

उन्होंने आगे कहा, ‘पुलिस विभाग इस तरह के अवैध खनन को रोकने के लिए खनन विभाग के साथ मिलकर सख्त कदम उठाता रहता है. हम उनके दस्तावेजों की जांच के बाद वाहन को खनन विभाग को सौंप देते हैं. अगर दस्तावेज सही नहीं हैं तो उन पर मोटर व्हीकल एक्ट के तहत जुर्माना लगाया जाता है.’

एफआईआर—जिसकी प्रति दिप्रिंट के पास मौजूद है, के मुताबिक, सुरेंद्र सिंह के साथ एएसआई संजय कुमार, गनमैन अमित कुमार और ड्राइवर अमित भी थे. एफआईआर में कहा गया है कि छह पहियों वाला डंपर भारी पत्थर ले जा रहा था.

एफआईआर के मुताबिक, डंपर में सवार लोग कथित तौर पर वाहन से ऊपर की ओर जा रहे थे, और डीएसपी और उनकी टीम की नजर में आने के बाद उन्होंने वाहन से पत्थर हटाने शुरू कर दिए.

डीएसपी और उनकी टीम ने जब इन लोगों को रोका तो उन्होंने कथित तौर पर उन्हें जान से मारने की धमकी दी. एफआईआर में एक संदिग्ध के हवाले से कहा गया है कि उन्हें ‘पुलिसकर्मियों को सबक सिखाना चाहिए ताकि वे खनन अधिनियम के तहत उन पर फिर जुर्माना न लगा पाएं.’

एफआईआर में डंपर चालक की पहचान मित्तर के रूप में की गई है जिसने पीछे बिना किसी नंबर प्लेट वाले डंपर से डीएसपी को रौंद दिया.

इस मामले में एक आरोपी हिरासत में है, जिसकी पहचान पचगांव गांव के मूल निवासी इक्कर के रूप में हुई है. कथित तौर पर डीएसपी और उनकी टीम के साथ टकराव के दौरान घुटने में लगी गोली के कारण इक्कर का इलाज चल रहा है. मित्तर और दो अन्य अज्ञात लोगों समेत तीनों आरोपी फरार हैं.

इस मामले में आईपीसी की धारा 302 (हत्या), 307 (हत्या का प्रयास), 333 (लोक सेवक को जानबूझकर ड्यूटी से रोकने के लिए गंभीर चोट पहुंचाना), 353 (लोक सेवक को कर्तव्य के पालन से रोकने के लिए हमला या आपराधिक बल का इस्तेमाल), 186 (लोकसेवक को जान-बूझकर सार्वजनिक कार्य न करने देना) और 120बी (आपराधिक साजिश) आदि के तहत एफआईआर दर्ज की गई है.

इसमें खान एवं खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम, सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान की रोकथाम अधिनियम, और शस्त्र अधिनियम भी लागू किया गया है.

डीएसपी सुरेंद्र सिंह हिसार के रहने वाले थे और उसका परिवार कुरुक्षेत्र में रहता है. उनके परिवार में पत्नी और दो बच्चे हैं—एक बेटी बेंगलुरू में एक बैंक अधिकारी है, और बेटा कनाडा में पढ़ता है. नूंह के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में पोस्टमार्टम के बाद उनका पार्थिव शरीर उनके पैतृक गांव हिसार ले जाया गया, जहां उनके बेटे के कनाडा से आने के बाद उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा.

पुलिस फिलहाल पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने का इंतजार कर रही है, लेकिन अस्पताल के सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि सुरेंद्र सिंह के शरीर का ऊपरी हिस्सा खासकर उनकी छाती और सिर गंभीर रूप से कुचल गया था.


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‘ऐसी घटनाएं नई नहीं, यह सब राजनीतिक संरक्षण के बिना संभव नहीं’

अरावली में काम करने वाले एक सामाजिक कार्यकर्ता ने नाम न छापने की शर्त पर दिप्रिंट को बताया कि ये घटनाएं ‘नई नहीं हैं.’

एक्टिविस्ट ने कहा, ‘कोई भी समझ सकता है कि दो या तीन ग्रामीण बिना किसी राजनीतिक संरक्षण के ऐसे वरिष्ठ पुलिस अधिकारी को मारने की हिम्मत कैसे कर सकते हैं. हमें ग्रामीणों ने बताया है कि आसपास के गांवों के ऐसे लोगों को पत्थर तोड़ने के लिए प्रतिदिन 500 रुपये की दिहाड़ी पर लगाया जाता है. वहीं, इन पत्थरों को ले जाने के लिए वाहन चलाने वालों को प्रतिदिन 1,000 रुपये के हिसाब से दिए जाते हैं.’

अरावली बचाओ नागरिक आंदोलन की ज्योति राघवन ने कहा कि डीएसपी सुरेंद्र सिंह की ‘बेरहमी से की गई हत्या’ एक हतप्रभ कर देने वाली घटना है.

उन्होंने दिप्रिंट से कहा, ‘अरावली बचाओ नागरिक आंदोलन के सदस्यों ने मार्च 2021 से हरियाणा के गुड़गांव, नूंह और फरीदाबाद जिलों में अरावली की पहाड़ियों में 16 जगहों पर अवैध पत्थर और रेत खनन का पता लगाया है और इस संबंध में बाकायदा दस्तावेज तैयार कर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के समक्ष मामला दर्ज किया है. उम्मीद है कि यह त्रासद घटना इस तरह के अवैध माफिया तत्वों से निपटने के बाबत हरियाणा सरकार के लिए कड़े कदम उठाने की एक वेक अप कॉल साबित होगी.’

पिछले माह नागरिक संगठन की तरफ से दर्ज कराए गए मामले के मद्देनजर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने अवैध गतिविधियों के सबूत के लिए क्षेत्र के सर्वेक्षण के लिए एक सरकारी समिति के गठन का आदेश जारी किया था.

पुलिस, सरकारी अफसरों पर पहले भी हो चुके हैं हमले

नूंह के एसपी वरुण सिंगला ने कहा कि इलाके में लगातार छापेमारी की जा रही है.

सिंगला ने कहा, ‘अवैध खनन की गतिविधियों में शामिल लोग स्थानीय हैं. चूंकि यह पहाड़ी क्षेत्र है, इसलिए यहां अवैध खनन की काफी गुंजाइश रहती है. लेकिन ये सब इसलिए होता है क्योंकि ये ड्राइवर लापरवाह होते हैं और दूसरों की जान की परवाह नहीं करते हैं. अगर कोई उन्हें रोकना चाहता है, तो वे चालान और वाहन जब्त होने से बचाने की कोशिश करते हैं. ऐसा करने के लिए, वे किसी भी हद तक जा सकते हैं.’ उन्होंने दिप्रिंट को बताया कि पिछले साल एक ओवरलोडेड डंपर से उनका वाहन भी क्षतिग्रस्त हो गया था.

सिंगला के मुताबिक, पिछले साल दिसंबर में उन्होंने और उनकी टीम ने 12 ओवरलोडेड वाहनों को रोका और जब वे ड्राइवरों से पूछताछ कर रहे थे, तभी एक डंपर ने उनके वाहन को टक्कर मार दी. उन्होंने बताया, ‘पुलिसकर्मी वाहन से कूद गए, लेकिन एक कांस्टेबल घायल हो गया.’

2019 में फिरोजपुर झिरका में छापेमारी के दौरान रेत माफिया के 25 से अधिक संदिग्ध सदस्यों ने कथित तौर पर मेवात प्रशासन और पुलिस की एक टीम पर हमला किया था. इस घटना में एक एसडीएम और एक पुलिस उपाधीक्षक घायल हो गए थे.

इस माह के शुरू में हरियाणा के मुख्य सचिव संजीव कौशल ने सभी उपायुक्तों और पुलिस अधीक्षकों को अवैध खनन करने वालों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई का निर्देश दिया था. उन्होंने राज्य के खनन विभाग के अधिकारियों से कहा था कि वे व्यक्तिगत रूप से उन स्थानों का दौरा करें जहां अवैध खनन जारी है, और इस संबंध में एक रिपोर्ट पेश करें.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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