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Tuesday, 5 November, 2024
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एकनाथ शिंदे कैंप ने चुनाव आयोग को लिखा पत्र, खुद को शिवसेना माने जाने की लगाई गुहार

सोमवार को शिंदे समूह ने शिवसेना की मौजूदा राष्ट्रीय कार्यकारिणी को भंग कर दिया और शिंदे को प्रमुख नेता के रूप में नई नियुक्तियां कीं.

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मुंबई: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना के विद्रोही समूह ने चुनाव आयोग से संपर्क कर अपने गुट की पहचान ‘शिवसेना’ के रूप में करने की मांग की है. दिप्रिंट को इस बात की जानकारी मिली है.

शिवसेना के 19 में से 12 सांसदों ने शिंदे खेमे के प्रति अपने समर्थन की बात कहने के कुछ घंटे बाद यह कदम उठाया और मंगलवार को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखकर कहा कि उनके समूह के नेता राहुल शेवले और चीफ व्हिप भावना गवली होंगी.

नाम न छापने की शर्त पर शिंदे खेमे के एक वरिष्ठ विधायक ने कहा, ‘शिंदे सर ने मंगलवार शाम दिल्ली में चुनाव आयोग के अधिकारियों से मुलाकात की. उन्होंने समूह की ओर से पत्र सौंपा. पत्र कहता है कि कैसे हमारे पास शिवसेना के विधायकों और सांसदों का बहुमत है, हमारे पास एक राष्ट्रीय कार्यकारिणी है, इसलिए हमें आधिकारिक शिवसेना के रूप में मान्यता दी जानी चाहिए.’

सोमवार को शिंदे समूह ने शिवसेना की मौजूदा राष्ट्रीय कार्यकारिणी को भंग कर दिया और शिंदे को प्रमुख नेता के रूप में नई नियुक्तियां कीं. हालांकि, समूह ने अब तक अपने तर्क के अनुसार किसी को भी पार्टी अध्यक्ष के रूप में नियुक्त नहीं किया है क्योंकि उनका कहना है कि वे असली शिवसेना हैं और अभी भी पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को अपना नेता मानते हैं.

चुनाव आयोग के एक अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर दिप्रिंट को बताया, ‘पत्र देर रात प्राप्त हुआ था. इस विवरणों के लिए इस पर विचार किया जा रहा है.


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पैरेंट पार्टी बनाम गुट: चुनाव आयोग की शक्तियां

चुनाव चिह्न (आरक्षण और आवंटन) आदेश, 1968 के अनुसार, चुनाव आयोग एक पार्टी के अलग हुए गुट के पक्ष में आदेश दे सकता है और ‘सभी उपलब्ध तथ्यों और मामले की परिस्थितियों और वर्गों या समूहों के ऐसे प्रतिनिधियों और अन्य व्यक्तियों को सुनना चाहते हैं.’ यह न तो मूल पक्ष और न ही टूटे हुए गुट के पक्ष में फैसला सुना सकता है.

आदेश में आगे कहा गया है, ‘आयोग का निर्णय ऐसे सभी प्रतिद्वंद्वियों या समूहों पर बाध्यकारी होगा.’

इस महीने की शुरुआत में, ठाकरे के नेतृत्व वाली सेना ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर शिंदे खेमे के किसी भी अनुरोध पर विचार करने से पहले उन्हें पार्टी के चुनाव चिह्न के बारे में सुनने को कहा था.

पिछले महीने, शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना के विधायकों के एक समूह ने सीएम के रूप में शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार के खिलाफ विद्रोह कर दिया, जिससे सरकार गिर गई. एमवीए सरकार में शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और कांग्रेस शामिल थीं.

आखिरकार, शिंदे ने महाराष्ट्र विधानसभा में शिवसेना के 55 विधायकों में से 39 के समर्थन से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ सरकार बनाई.

ठाकरे के नेतृत्व वाली सेना ने न केवल बागी विधायकों को अयोग्यता नोटिस जारी किया, बल्कि शिंदे और कुछ अन्य वरिष्ठ पार्टी नेताओं जैसे रामदास कदम और आनंदराव अडसुल को भी बाहर कर दिया, जो शिंदे खेमे में शामिल हो गए थे.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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