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Sunday, 3 November, 2024
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सदन में महिला आरक्षण की आवाज उठाने वाली मार्गरेट अल्वा, 4 राज्यों की राज्यपाल और 5 बार सांसद

1974 में अल्वा पहली बार राज्यसभा के लिए चुनी गई और 42 साल की उम्र में वह केंद्रीय मंत्री भी चुनी गईं. गोवा से लेकर उत्तराखंड तक उन्होंने कई राज्यों में राज्यपाल की भूमिका भी निभाई है.

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नई दिल्ली:  कांग्रेस की वरिष्ठ नेता मार्गरेट अल्वा को उपराष्ट्रपति पद के लिए विपक्षी पार्टियों ने अपना उम्मीदवार बनाया है.राजीव गांधी जब देश के प्रधानमंत्री थे तो उनकी सरकार में अल्वा काफी सक्रिय मंत्री रही थीं.

अल्वा जब महिला एवं बाल विकास मंत्रालय का कार्यभार संभाला तो उन्होंने महिलाओं के मुद्दों पर खूब काम किया यही नहीं उन्होंने 1986 में निर्वाचित निकायों में महिलाओं के लिए आरक्षण के लिए पहल करने में अहम भूमिका निभाई थी. वह अल्वा ही थीं जिन्होंने संसद में और पंचायतों में महिलाओं की भागीदारी और उनके लिए 33 फीसदी आरक्षण के कानून लाने की आवाज उठाई थी.

अल्वा बाल एवं महिलाओं के मुद्दों पर लगातार आवाज उठाती रहीं. इस दौरान उन्होंने दूसरी महिला सांसदों के साथ मिलकर महिला आरक्षण को लेकर लगातार कोशिश करती रहीं. लेकिन वह बहुत निराश हुईं थी जब उनकी ही पार्टी के लोग महिला आरक्षण पर उनके बिल लाए जाने की कोशिशों का मजाक उड़ाया था. और

1974 में अल्वा पहली बार राज्यसभा के लिए चुनी गईं और 42 साल की उम्र में वह केंद्रीय मंत्री बनीं. गोवा से लेकर उत्तराखंड तक उन्होंने कई राज्यों में राज्यपाल भी रहीं.

विपक्षी और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के नेता शरद पवार ने घोषणा की कि मार्गरेट अल्वा विपक्ष की ओर से  उपराष्ट्रपति पद की उम्मीदवार होंगी.

शरद पवार ने साथ ही ये कहा कि, ’17 विपक्षी पर्टियों ने सर्वसम्मति से उनके नाम पर सहमति जताई है.’

मार्गरेट अल्वा ने ट्वीट कर कहा कि, ‘उपराष्ट्रपति पद के लिए विपक्ष के उम्मीदवार के रूप में नामित होना मेरे लिए सम्मान की बात है. मैं इस फैसले को बड़ी विनम्रता से स्वीकार करती हूं और मुझ पर विश्वास करने के लिए विपक्ष के नेताओं को धन्यवाद देती हूं.’

बता दें कि शनिवार को ही एनडीए की ओर से बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित किया था. धनखड़ बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की लगातार आलोचना से सुर्खियों में बने रहे थे. 71 वर्षीय जाट नेता जगदीप धनखड़ राजस्थान के रहने वाले हैं.


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मार्गरेट अल्वा का राजनीतिक करियर

अल्वा का लंबा राजनीतिक करियर रहा है. 1974 में मार्गरेट अल्वा पहली बार राज्यसभा के लिए चुनी गईं थी. वो  1992 तक लगातार चार बार राज्यसभा सदस्य रहीं.  पहली बार 1999 में कर्नाटक की कनारा सीट से चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंची.

वह 42 साल की उम्र में केंद्रीय मंत्री बनीं. कर्नाटक की रहने वाली मार्गरेट अल्वा पांच बार सांसद रहने के अलावा राजीव गांधी कैबिनेट और नरसिम्हा राव की सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुकी हैं.

राजीव गांधी सरकार में मार्गरेट को संसदीय मामलों का केंद्रीय राज्य मंत्री बनाया गया था. इसके बाद उन्हें मानव संसाधन विकास मंत्रालय में युवा मामले व खेल, महिला एवं बाल विकास का प्रभारी मंत्री भी बनाया गया. इसके बाद वो 1991 में कार्मिक, पेंशन, जन परिवेदना, प्रशासनिक सुधार की केंद्रीय राज्य मंत्री बनाई गईं.

इसके अलावा मार्गरेट अल्वा 1986 में यूनिसेफ एशिया के बच्चों पर हुई प्रथम कॉन्फ्रेंस व महिला विकास पर हुई सार्क देशों की मंत्री स्तर की बैठक की अल्वा सभापति रही थीं. इस बैठक में सदस्य देशों के शासनाध्यक्षों ने 1987 को बालिका वर्ष घोषित किया था. 1989 में केंद्र सरकार ने महिलाओं के विकास की विस्तृत रणनीति की योजना का मसौदा तैयार करने के मूल समूह का अध्यक्ष बनाया.

मार्गरेट अल्वा का नाम भारतीय राजनीति में नया नही है. मार्गरेट राजस्थान राज्य की राज्यपाल रह चुकी हैं. साथ ही मार्गरेट गोवा की 17वीं राज्यपाल, गुजरात की 23वीं राज्यपाल और उत्तराखंड की चौथी राज्यपाल रह चुकी हैं. 6 अगस्त 2009 से लेकर 14 मई 2012 तक उत्तराखंड की पहली महिला राज्यपाल के रूप में कार्य किया. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की एक वरिष्ठ सदस्य और अखिल भारतीय कांग्रेस समिति की महासचिव हैं.

सोनिया गांधी पर लगाए थे आरोप

गौरतलब है कि, मार्गरेट अल्वा ने सोनिया गांधी पर मनमाने ढंग से फैसले लेने का गंभीर आरोप लगाया था. अल्वा ने उत्तर कन्नड़ जिले की सिरसी विधानसभा सीट से अपने बेटे निवेदित अल्वा के लिए टिकट मांगा. तब कर्नाटक के प्रभारी महासचिव पृथ्वीराज चव्हाण और टिकट देने वाली स्क्रीनिंग कमेटी के मुखिया दिग्विजय सिंह के नियमों के कारण उनके बेटे को टिकट नहीं मिला.

उस दौरान बनाए गए पार्टी के नियम के मुताबिक, सिटिंग सीट को छोड़ किसी नेता के भाई, पत्नी या बेटे को टिकट नहीं दिया जाएगा. मार्गरेट तब कोई सीटिंग एमपी-एमएलए तो थी नहीं. सो उनके बेटे को टिकट नहीं मिला. इसी कारण उनके बेटे को टिकट नहीं मिला.

लेकिन चंद महीने बाद जब राजस्थान और मध्य प्रदेश के चुनाव आए तो काफी नेताओं के परिवारवालों को टिकट बांटे गए. इससे मार्गरेट ने सोनिया गांधी पर गंभीर आरोप लगाए और खरीखोटी सुनाई.

उन्होंने कहा कि, ‘सोनिया गांधी पार्टी में मनमाने ढंग से फैसले लेती हैं. इस बवाल के बाद उन्हें पार्टी महासचिव का पद छोड़ना पड़ा था.

अल्वा ने अपनी किताब में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की कार्यशैली पर कई सवाल खड़े किए थे. किताब में नरसिम्हा राव के साथ सोनिया की तनातनी का भी जिक्र है.


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मार्गरेट अल्वा का जन्म कर्नाटक के मैंगलोर में 14 अप्रैल को 1942 को हुआ था. अपनी पढ़ाई कर्नाटक में ही पूरी की. अल्वा को अपनी पढ़ाई आगे बढ़ाने के लिए बंगलौर ले जाया गया. जहां माउंट कार्मेल कॉलेज और राजकीय लॉ कॉलेज में इनकी पढ़ाई हुई. मैंगलोर में बीए और फिर कानून की डिग्री ली. उसके बाद उन्होंने एडवोकेट के तौर पर प्रैक्टिस शुरू कर दी थी.

अल्वा ने कई एनजीओ और वेलफेयर संस्थाओं के लिए उन्होंने वकालत की. बच्चों और महिलाओं के मुद्दों पर काम करने वाली एक संस्था ‘करुणा’ से भी वह जुड़ी रहीं.

1964 को उनकी शादी राज्यसभा की दूसरी उपसभापति रह चुके कांग्रेस नेत्री वायलेट अल्वा और जोआचिम अल्वा के बेटे निरंजन अल्वा से हुई, जो सुप्रीम कोर्ट के वकील थे.


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