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Tuesday, 30 September, 2025
होमदेशहाथों में ‘बीज बम’ लेकर वनों को ‘गुलजार’ करने निकले प्रकृति प्रेमी द्वारका प्रसाद सेमवाल

हाथों में ‘बीज बम’ लेकर वनों को ‘गुलजार’ करने निकले प्रकृति प्रेमी द्वारका प्रसाद सेमवाल

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(आलोक मिश्रा)

देहरादून, 17 जुलाई (भाषा) हाथों में ‘बीज बम’ लेकर वनों को गुलजार करने निकले प्रकृति प्रेमी द्वारका प्रसाद सेमवाल एक बार जयपुर रेलवे स्टेशन पर अधिकारियों की पूछताछ का सामना कर चुके हैं।

स्थानीय अधिकारियों ने सेमवाल के बैग में बम होने की सूचना मिलने पर तलाशी ली और पूरी तरह से यह आश्वास्त होने के बाद उन्हें जाने की अनुमति दी कि यह बम किसी की जान लेने के लिए नहीं बल्कि वनों को पुनर्जीवित करने के लिए है।

सेमवाल एक अभियान पर हैं, जिसका मकसद देशभर में घटते वनों को पुनर्जीवित करना है। इस अभियान के जरिये जंगली जानवरों को उनके प्राकृतिक वास स्थान में चारा उपलब्ध कराकर मानव-पशु संघर्ष में कमी लायी जा सकती है।

‘बीज बम’, मिट्टी और खाद तथा विभिन्न सब्जियों एवं फलों के बीज से बनाये जाते हैं। बीज बम से धीरे-धीरे पौधे और लताएं बाहर निकलती हैं और शाकाहारी जंतुओं को चारा उपलब्ध कराती हैं जो अक्सर भोजन की तलाश में मानव बस्तियों में प्रवेश कर जाते हैं और खेतों में खड़ी फसलों को नष्ट कर देते हैं। इस वजह से पहाड़ी क्षेत्रों के गांवों में खेती लोगों के जीवनयापन के लिए एक अच्छा विकल्प नहीं रह गया है।

महिला स्वयं सहायता समूह, पंचायत प्रतिनिधि और स्कूली छात्र इस अभियान के सबसे उत्साही पैदल सैनिक हैं। उन्हें उत्तराखंड की पहाड़ियों में छोटे समूहों में खड़े होकर जंगलों में बीज बम फेंकते देखा जा सकता है।

सेमवाल ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘इस अभियान के पीछे का विचार शाकाहारी जानवरों को प्राकृतिक वास स्थान में चारा उपलब्ध कराना है। शुरू करने से पहले, मैंने देश के विभिन्न हिस्सों में पदयात्राएं कीं और मैं जहां भी गया, ऐसी ही समस्या पायी। हर जगह बंदरों, जंगली सूअर और भालुओं द्वारा फसल नष्ट की जा रही थी।’’

उन्होंने कहा, ‘‘इसने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया कि क्या वनों में जंगली जानवरों के लिए चारा उगाने और उन्हें भोजन की तलाश में आसपास के गांवों में जाने से रोकने के लिए कोई तरीका तैयार किया जा सकता है। इस प्रक्रिया में हरित आवरण का विस्तार और खाद्य श्रृंखला असंतुलन को दूर करना अन्य उद्देश्य रहे।’’

वर्ष 2017 में अभियान शुरू करने वाले सेमवाल ने कहा कि ‘बीज बम’ का विचार उन्हें सबसे आसान और सबसे किफायती लगा और वह इससे प्रभावित हुए।

राज्य में ‘बीज बम अभियान सप्ताह’ नाम का अभियान नौ जुलाई को प्रारंभ किया गया था, जो 15 जुलाई तक चला था।

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने वनों में सप्ताह भर चलाये जाने वाले ‘बीज बम’ अभियान की नौ जुलाई को शुरुआत की थी।

बीज एकत्रित करना भी अभियान का एक और अनूठा पहलू है। सेमवाल ने कहा, ‘‘हम स्थानीय लोगों से इसे मांगते हैं।’’

उन्होंने कहा कि अभियान चलाने के लिए क्षेत्र का चयन यादृच्छिक होता है, लेकिन मिट्टी और खाद के गोले में कौन से बीज भरे जाने हैं, इसका निर्णय क्षेत्र की जलवायु परिस्थितियों के अनुसार सावधानी से किया जाता है।

सेमवाल ने कहा, ‘‘हम पहले यह तय करते हैं कि किस प्रकार के फल और सब्जियां एक विशेष प्रकार की जलवायु में उग सकती हैं और बमों को उसी के अनुसार बीज से भरा जाता है।’’

उत्तराखंड के 13 जिलों के अलावा यह अभियान राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, तेलंगाना, हरियाणा, पंजाब, चंडीगढ़, ओडिशा, तमिलनाडु, असम और झारखंड सहित देश के 18 राज्यों में पहुंच चुका है।

भाषा शफीक देवेंद्र

देवेंद्र

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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