नई दिल्ली/कोलंबो: बुधवार की सुबह जब श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे देश छोड़कर भाग रहे थे तो निशान मदुष्का ने मैदान संभाला हुआ था. वह कोलंबो के ऐतिहासिक कोल्ट्स क्रिकेट क्लब मैदान में तीसरे दिन भी तेज गति और बाएं हाथ की स्पिन का सामना करने के लिए तैयार थे. यह मैदान राष्ट्रपति भवन से महज 8 किमी की दूरी पर है जहां इस सप्ताह की शुरुआत में हजारों गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने धावा बोल दिया था.
मदुष्का सोमवार से शुरू हुए तीन दिवसीय अभ्यास मैच में श्रीलंका ए टीम का हिस्सा हैं. यह अभ्यास मैच पाकिस्तान के साथ खेला जा रहा है. खेल के मैदान में दोनों टीमों का एक-दूसरे के आमने-सामने आना उस बड़े क्रिकेट मैच की प्रस्तावना है, जिसमें श्रीलंकाई टीम अपनी पूरी ताकत से दो मैचों की विश्व टेस्ट चैंपियनशिप श्रृंखला में पाकिस्तान से भिड़ेगी. ये मैच शनिवार से शुरू हो रहा है. दूसरा टेस्ट मैच 28 जुलाई को समाप्त होगा. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ दो मैचों की टेस्ट सीरीज़ में 1-1 से ड्रा के बाद से श्रीलंका की टीम जोश से लबरेज है.
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेले गए मैच के उलट पाकिस्तान के साथ ये मैच श्रीलंकाई सेना और पुलिस की कड़ी सुरक्षा के बीच खेला गया. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ दूसरे टेस्ट के बाद से सरकार के विरोध में शनिवार को सैकड़ों लोग गाले किले की प्राचीर पर चढ़े गए और बाएं हाथ के स्पिनर प्रभात जयसूर्या का कप्तानी में पैट कमिंस की ऑस्ट्रेलियाई टीम की पहली शिकस्त का जश्न मनाया.
Watched many Sanga-Mahela stands, Rangana Herath routs, a Dale Steyn spectacular, and a Chris Gayle triple-hundred at Galle, my favourite cricket venue of all.
I've had 24 hours to think about it now, and I'm sure. Yesterday was the best day I ever had there. pic.twitter.com/i6bsHkQnLt
— Andrew Fidel Fernando (@afidelf) July 10, 2022
कोल्ट्स क्लब के एक अधिकारी ने कहा कि श्रीलंकाई क्रिकेट बोर्ड द्वारा अनुमोदित सूची में नाम वाले लोगों को ही मैच देखने की अनुमति दी गई थी. दिप्रिंट के सामने ही एक स्थानीय निवासी को स्टेडियम में प्रवेश करने से रोक दिया गया, क्योंकि वह क्लब का सदस्य नहीं था.
मैच बुधवार को ड्रॉ पर समाप्त हुआ. पाकिस्तान द्वारा अपनी पहली पारी में 323 रन बनाने के बाद, श्रीलंका ए ने 8 विकेट पर 375 रनों की घोषणा के साथ जवाब दिया. पाकिस्तान फिर दूसरी बार बल्लेबाजी करने उतरा और खेल के अंत में उसने 2 विकेट पर 178 रन बनाए.
श्रीलंका ने अभी तक पाकिस्तान के साथ होने वाले मैचों के लिए अपनी टीम की घोषणा नहीं की है. संभावना है कि ऑस्ट्रेलिया के साथ 1-1 से ड्रॉ करने वाली टीम को बरकरार रखा जाएगा. इसकी खास वजह पहला टेस्ट गाले में होना है, यहां स्पिनर गेंदबाज काफी सफल रहते हैं. अब तक श्रीलंका और पाकिस्तान दोनों ने समान प्रतिशत अंक बनाए हैं क्योंकि वे अगले साल विश्व टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल में एक स्थान के लिए मुकाबला कर रहे हैं.
बहुत पीछे जाकर देखना
दोनों देशों के बीच क्रिकेट संबंध खेल में कई अन्य प्रतिस्पर्धियों की तुलना में काफी करीब हैं.
श्रीलंका 2009 में पाकिस्तान का दौरा करने वाला आखिरी क्रिकेट देश था, जब श्रीलंका की बस टीम पर आतंकवादियों ने लाहौर में जानलेवा हमला किया था. उसके बाद से पाकिस्तान में छह साल का अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के आयोजन पर ग्रहण लग गया. 2017 में श्रीलंका फिर से पाकिस्तान का दौरा करने वाला दूसरा क्रिकेट देश (जिम्बाब्वे के बाद) बन गया और देश में मैचों के पुन: सामान्यीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
मैदान से बाहर ये दोनों दक्षिण एशियाई शक्तियां आर्थिक मामलों में अब खुद को एक जैसी नावों में सवार पाती हैं. आर्थिक संकटों से निकलने के लिए दोनों ही अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के साथ महत्वपूर्ण बातचीत पर निर्भर हैं.
राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण खेल मुकाबले
इस टेस्ट सीरीज पर मंडरा रही राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक उथल-पुथल हमें पिछले वर्षों में उन अन्य खेल मुकाबलों की याद दिलाती है, जब मैदान के बाहर का तनाव, मैदान पर चल रहे मैच से कुछ पल के लिए दूर हो गया था.
हंगरी बनाम यूएसएसआर (1956)
1956 के ओलंपिक में हंगरी और सोवियत संघ के बीच प्रतिष्ठित ‘ब्लड इन द वॉटर‘ वाटर पोलो सेमीफाइनल एक ऐसा ही मैच था. इसमें मध्य यूरोपीय राष्ट्र ने 6 दिसंबर को दिग्गजों को 4-0 से हराया था. यह मैच छात्र नेतृत्व वाली हंगेरियन क्रांति – हंगरी में सोवियत समर्थित कम्युनिस्ट सरकार के खिलाफ एक चर्चित विद्रोह- के कुछ महीने बाद खेला गया था. दोनों देशों के बीच खूनी राजनीतिक दुश्मनी मैदान और मैदान के बाहर दोनों जगह खेली जा रही थी. उधर सोवियत टैंक बुडापेस्ट में विद्रोह को कुचलने के लिए आगे बढ़ा, तो दूसरी तरफ वाटर पोलो मैच में हंगरी के खिलाड़ी एर्विन ज़ाडोर का चेहरा खून से लथ-पथ था, सोवियत खिलाड़ी वैलेन्टिन प्रोकोपोव उन्हें मुक्का मारा था.
अल सल्वाडोर बनाम होंडुरास (1969)
भले ही जुलाई 1969 में इन दो मध्य अमेरिकी राष्ट्रों के बीच सशस्त्र संघर्ष एक सप्ताह से भी कम समय तक चला, लेकिन होंडुरास और अल सल्वाडोर के बीच के मैच को व्यापक रूप से ‘फुटबॉल युद्ध’ के रूप में जाना गया. इससे पहले 1970 फीफा विश्व कप के लिए तीन मैचों की क्वालीफायर सीरीज का भीषण मुकाबला हुआ था. पहले दो मैचों में दंगों और प्रशंसकों की हिंसा के बाद, तीसरा मैच अल सल्वाडोर ने अतिरिक्त समय में जीता. अल सल्वाडोर ने वहां रहने वाले सल्वाडोर के कथित होंडुरन उत्पीड़न का हवाला देते हुए होंडुरास के साथ संबंध तोड़ दिए थे.
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ईरान बनाम यूएसए (1998)
1953 में अमेरिकी नेतृत्व वाले तख्तापलट के दशकों बाद हुए 1998 फीफा विश्व कप में संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ ईरान की मुठभेड़ को ‘विश्व कप के इतिहास में सबसे अधिक राजनीतिक रूप से आरोपित मैच’ माना जाता है. इस तख्तापलट में मोहम्मद मोसद्देग और 1979 की इस्लामी क्रांति – जिसमें अमेरिका समर्थित शाह मोहम्मद रजा पहलवी को उखाड़ फेंका गया और अयातुल्ला खुमैनी की सत्ता में वृद्धि हुई- को अपदस्थ कर दिया गया था. हालांकि उम्मीदों के विपरीत, ईरानियों को अपने अमेरिकी प्रतिद्वंद्वियों को सफेद गुलाब देते हुए और 2-1 से गेम जीतने से पहले एक साथ तस्वीरें लेते देखा गया था.
भारत बनाम पाकिस्तान (1999)
पाकिस्तान के साथ भारत के विवादास्पद खेल इतिहास के बारे में हर कोई जानता है. लेकिन क्रिकेट के मैदान पर सबसे उल्लेखनीय मुठभेड़ कारगिल युद्ध से कुछ महीने पहले,1999 में हुई थी. पाकिस्तान उस साल दो टेस्ट मैचों के लिए भारत के दौरा पर आया हुआ था. चेन्नई के चेपॉक स्टेडियम में नाटकीय अंदाज में पहला मैच जीता और भारतीय प्रशंसकों की तालियों की गड़गड़ाहट के साथ स्टेडियम के चारों ओर जीत का जश्न मनाया. भारत ने दिल्ली में दूसरे टेस्ट मैच में जीत हासिल की जिसमें अनिल कुंबले ने अंतिम पारी में सभी 10 विकेट लिए थे.
सोची विंटर ओलंपिक में यूक्रेन (2014)
रूस के रिसॉर्ट शहर सोची में आयोजित 2014 के विंटर ओलंपिक में यूक्रेन की भागीदारी यूक्रेनी या रूसी धरती पर आयोजित अंतिम प्रमुख टूर्नामेंटों में से एक थी. इसमें दोनों देश सीधे एक-दूसरे के खिलाफ मुकाबला कर रहे थे. हिंसक यूरोमैडान क्रांति के तीन महीने बाद और रूस के क्रीमिया पर आक्रमण के बीच, सोची ओलंपिक फरवरी 2014 में आयोजित किया गया था. इसके बाद डोनबास में आठ साल तक युद्ध चला और दोनों देशों के खेल महासंघों ने अपने खिलाड़ियों को फिर से एक-दूसरे के साथ खेलने से रोकने का फैसला किया.
सर्बिया बनाम अल्बानिया (2014)
दोनों देशों के बीच का तनाव शुरुआत में कोसोवो युद्ध – दक्षिणपूर्वी यूरोप में कोसोवो में एक सशस्त्र संघर्ष जो 28 फरवरी 1998 को शुरू हुआ और 11 जून 1999 तक चला- का कारण बना था. यूईएफए यूरो 2016 के लिए एक क्वालीफाइंग गेम के दौरान इन दोनों देशों के बीच का यह तनाव एक बार फिर से सामने आ गया था. अक्टूबर 2014 में बेलग्रेड में आयोजित क्वालीफाइंग गेम में राष्ट्रवादी ‘ग्रेटर अल्बानिया’ झंडा ले जाने वाला एक ड्रोन पिच के बीच में गिर गया, जिससे खिलाड़ियों के बीच मैदान पर झगड़ा हो गया. स्टेडियम में सर्बियाई प्रशंसकों ने मैच में अपने अल्बानियाई विरोधियों के खिलाफ गालियां दीं. फिर 42 मिनट के खेल के बाद मैच को बीच में छोड़ दिया गया था और यूईएफए ने जांच करने के बाद विवादास्पद रूप से अल्बानिया को 3-0 से जीत दिलाई.
कतर बनाम यूएई (2019)
संयुक्त अरब अमीरात और एशियाई कप के साथी सऊदी अरब ने जून 2017 में कतर के साथ राजनयिक संबंध तोड़ दिए और कतर से जुड़ने वाले जमीन, समुद्र और हवाई मार्ग भी बंद कर दिए थे. इसी के चलते अबू धाबी में इस एशियाई फुटबॉल परिसंघ एशियाई कप सेमीफाइनल मैच को समकालीन रूप से ‘नाकाबंदी डर्बी’ कहा जाता था. लेकिन मैदान पर कतर ने मेजबान यूएई को 4-0 से हराकर फाइनल में अपनी जगह बनाई थी और अपने फुटबॉल इतिहास में पहली बार एशियाई कप जीता था.
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