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Friday, 22 November, 2024
होमदेशस्टेडियम में कुत्ते को टहलाने की सजा के तौर पर जिस IAS जोड़ी का ट्रांसफर किया गया था, वे अब लंबी छुट्टी पर गए

स्टेडियम में कुत्ते को टहलाने की सजा के तौर पर जिस IAS जोड़ी का ट्रांसफर किया गया था, वे अब लंबी छुट्टी पर गए

अपने कुत्ते को टहलाने के लिए स्टेडियम खाली कराने की एक मीडिया रिपोर्ट के बाद संजीव खिरवार और रिंकू धुग्गा को मई में लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश में तबादला कर दिया गया था.

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नई दिल्ली: कथित तौर पर अपने कुत्ते को टहलाने के लिए एक सरकारी खेल स्टेडियम को खाली करवाने वाले इस आईएएस दंपति का मई में दिल्ली से ट्रांसफर कर दिया गया था. दिप्रिंट को मिली जानकारी के मुताबिक, दंपति लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश में अपनी नई पोस्टिंग की रिपोर्ट करने के दो महीने बाद ही ‘लंबी छुट्टी’ पर चले गए.

संजीव खिरवार और रिंकू धुग्गा दोनों 1994 बैच के एजीएमयूटी (अरुणाचल प्रदेश, गोवा, मिजोरम और केंद्र शासित प्रदेश) कैडर के अधिकारी हैं. 26 मई को गृह मंत्रालय ने खिरवार का लद्दाख ट्रांसफर कर दिया था, जबकि धुग्गा को अरुणाचल प्रदेश में तैनात किया गया.

इंडियन एक्सप्रेस की इस रिपोर्ट पर कि दंपति दिल्ली के त्यागराज स्टेडियम को कथित तौर पर जल्दी खाली करवा देते हैं ताकि वे अपने कुत्ते को वहां टहला सकें – इस तबादले को व्यापक रूप से सजा के तौर पर देखा गया था.

खिरवार के ‘स्थानांतरण और पोस्टिंग’ के आदेश की एक कॉपी दिप्रिंट के पास है. इसमें उन्हें प्रमुख सचिव के तौर पर लद्दाख भेजा गया था. उन्होंने 4 जुलाई को ड्यूटी पर जाने की रिपोर्ट की और 6 जुलाई को यूटी प्रशासन ने उन्हें तीन विभागों – स्कूली शिक्षा, आवास एवं शहरी विकास और सूचना प्रौद्योगिकी की जिम्मेदारी सौंपी.

हालांकि वह ज्वाइनिंग के ‘कुछ दिनों’ के बाद छुट्टी पर चले गए. यूटी प्रशासन के सूत्रों ने बताया कि उनके विभागों को अब अन्य अधिकारी देख रहे हैं.

लद्दाख प्रशासन के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा, ‘उन्होंने लंबी छुट्टी ली है, जिसे उपराज्यपाल (राधा कृष्ण माथुर) ने मंजूरी दी थी.’ अधिकारी ने इसके बारे में अधिक जानकारी देने से इनकार करते हुए कहा कि यह उनका ‘व्यक्तिगत’ मामला है.

राज्य सरकार के सूत्रों ने बताया कि धुग्गा ने 27 जून को अरुणाचल प्रदेश में ड्यूटी ज्वाइन की थी और उन्हें स्वदेशी मामलों का प्रमुख सचिव नियुक्त किया गया था.

राज्य सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि वह भी ड्यूटी ज्वाइन करने के बाद 70 दिनों की छुट्टी पर चली गईं.

अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, ‘उनकी छुट्टी को खुद मुख्यमंत्री ने मंजूरी दी थी.’

दिप्रिंट ने इस बारे में उनकी और धुग्गा की टिप्पणी लेने के लिए मैसेज के जरिए खिरवार तक पहुंचने की कोशिश की थी लेकिन इस रिपोर्ट के प्रकाशित होने तक कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है.


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‘अनिच्छुक’ अधिकारियों को सौंपे अहम विभाग

केंद्र सरकार के एक सूत्र ने कहा कि जब गृह मंत्रालय की ओर से तबादले का आदेश आया तो आईएएस दंपति दिल्ली में नहीं थे. बल्कि वे छुट्टी पर गए हुए थे. सूत्र ने कहा कि दिल्ली लौटने के बाद दंपत्ति को अपने काम पर रिपोर्ट करने में एक महीने का समय लगा.

नियमानुसार एक अधिकारी को स्थानांतरण आदेश के दिन से ड्यूटी पर रिपोर्ट करने के लिए 15 दिन का समय मिलता है. एजीएमयूटी कैडर के अधिकारी, जो ‘हार्ड एरिया (कैटेगरी)’ में सेवा करते हैं, रिपोर्ट करने के समय से स्पेशल इंसेंटिव प्राप्त करने के हकदार हैं.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट छपने के कुछ घंटे बाद ही गृह मंत्रालय से उनके तबादले का आदेश आ गया था. दिल्ली सरकार के सूत्रों ने कहा कि आदेश जारी होने से पहले कोई जांच शुरू नहीं की गई थी.

दिल्ली सरकार के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, ‘जांच शुरू करने के बारे में निर्णय लेने के लिए गृह मंत्रालय उपयुक्त प्राधिकारी हैं.’

एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी ने बताया कि केंद्र सरकार के पास ‘सोशल मीडिया पर जनता की नाराजगी को दूर करने के लिए’ स्थानांतरण एकमात्र विकल्प था.

हालांकि पूर्व सिविल सेवकों का कहना है कि अरुणाचल और लद्दाख जैसे राज्यों में अधिकारियों को ‘दंड’ के रूप में स्थानांतरित करना इन क्षेत्रों की छवि के लिए ‘नुकसानदायक’ है.

मुख्य सचिव के रूप में रिटायर हुए एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी ने कहा, ‘स्थानांतरण कभी सजा नहीं हो सकता है.’ ‘जवाबदेही तय करने के कई अन्य तरीके हैं. यह भी नीति का मामला है. इन मुश्किल क्षेत्रों (एजीएमयूटी कैडर में) को अधिकारियों और उनकी निरंतर उपस्थिति की जरूरत है. अच्छा होगा कि सरकार इस पर विचार करे और इच्छुक अधिकारियों को इन जगहों पर भेजे.’

रिटायर आईएएस अधिकारी टी आर रघुनंदन ने कहा कि यह ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ है कि लद्दाख और अरुणाचल जैसे क्षेत्रों को सजा पोस्टिंग के रूप में बढ़ावा दिया जा रहा है और सरकार पनिशमेंट ट्रांसफर के विचार को मजबूत कर रही है.

उन्होंने कहा, ‘जनता के गुस्से पर काबू पाने के लिए तबादला आदेश लाया गया था. यह पूरी तरह से आंखें खोलने वाली घटना है. और इन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को यह नीचा दिखाने जैसा व्यवहार है.’ वह आगे कहते हैं, ‘अतीत में पूर्वोत्तर राज्यों या मुश्किल माने जाने वाली जगहों में सेवा करने की इच्छा व्यक्त करने वाले अधिकारियों से विशेष अनुरोध किया जाता था. उनकी वहां पोस्टिंग की जाती और वे बहुत गर्व के साथ वहां सेवा करते थे.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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