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Friday, 22 November, 2024
होममत-विमतG-20 की बैठक में चीन के LAC का जिक्र न करने से चौंकिए मत, यह अचानक नहीं, सोचा-समझा है

G-20 की बैठक में चीन के LAC का जिक्र न करने से चौंकिए मत, यह अचानक नहीं, सोचा-समझा है

एलएसी के इलाकों में चीन के 5जी नेटवर्क की शुरुआत से भारतीय सेना की योजनाओं में खलल. चीनी सोशल मीडिया में पूर्व जापानी प्रधानमंत्री शिंजो अबे की हत्या का ‘जश्न’ मनाते पोस्ट की भरमार.

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चीन ने इंडोनेशिया के बाली में जी-20 देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर संकट को नजरअंदाज किया. चीनी राष्ट्रवादियों ने पूर्व जापानी प्रधानमंत्री शिंजो अबे की हत्या का ‘जश्न’ मनाया. एक चीनी लड़ाकू जेट भारतीय इलाके में घुस आया और चीन के सीमावर्ती शहर में 5जी कवरेज शुरू हुआ. चाइनास्कोप में चीन के बारे में सभी खबरें, जिनसे हमारी दुनिया बदली.

इस हफ्ते चीन में क्या हुआ

शिखर कूटनीति के लिए जी 20 देशों के विदेश मंत्री बाली में जुटे. चीन के विदेश मंत्री वांग यी और भारत के विदेश मंत्री सुब्रह्मण्यम जयशंकर सीमा पर जारी तनावों के बीच मिले. बैठक के बारे में भारतीय पक्ष से जारी बयान में लद्दाख में अनसुलझे सीमा पर टकराव पर बातचीत का जिक्र, मगर चीन के बयान में सीमा विवाद का जिक्र नहीं.

गौरतलब है कि 2018 में 19वीं नेशनल पार्टी कांग्रेस के बाद पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के एक ऑप-एड में कहा गया था, ‘क्या संकट का सफलतापूर्वक प्रबंधन और नियंत्रण किया जा सकता है. यह राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा है और यह जरूरी है कि राजनैतिक, कूटनीतिक, आर्थिक, जनमत और दूसरे साधनों का संकट के घटनाक्रम को उस दिशा में ले जाने के लिए इस्तेमाल किया जाए, जो हमारे फायदे में हो.’

तो, कूटनीति चीन की कुल मिलिट्री रणनीति का एक औजार है. इसलिए अब वक्त आ गया है कि चीनी पक्ष से सीमा विवाद को भूल जाने से हम चौंकना बंद कर दें. यह अचानक नहीं, सोचा-समझा है.

बाली में वांग यी ने ताइवान और यूक्रेन में एक तुलना की. उन्होंने कहा, ‘कुछ देश यूक्रेन मुद्दे के मामले में संप्रभुता के सिद्धांत पर जोर दे रहे हैं, लेकिन वे लगातार चीन की संप्रभुता और ताइवान के मुद्दे पर एक-चीन के सिद्धांत को लगातार चुनौती दे रहे हैं और यहां तक कि ताइवान खाड़ी में जान-बूझकर तनाव पैदा कर रहे हैं.’

बाली में दूसरी महत्वपूर्ण बैठक अमेरिका विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन और वांग यी के बीच हुई.

वांग ने ब्लिंकेन के साथ बैठक के दौरान कहा, ‘चीन से संबंधित अमेरिकी नीति के आत्म-विरोधाभास और कथनी-करनी का फर्क उसके विश्व, चीन, चीन-अमेरिका रिश्तों और हितों तथा होड़ के प्रति रवैए में गंभीर विसंगतियां पैदा कर रहा है. इस तरह कई लोगों की दलील है कि अमेरिका चीन-फोबिया से ग्रस्त होता जा रहा है. अगर यह बेरोकटोक जारी रहा तो अमेरिका की चीन नीति ऐसे अंधे मोड़ पर पहुंच जाएगी, जहां से कोई रास्ता नहीं निकलता.’

सूत्रों के मुताबिक, एक चीनी पीएलए विमान जून के आखिरी हफ्ते में पूर्वी लद्दाख के टकराव विंदु के काफी करीब उड़ रहा था. यह घटना पूर्वी लद्दाख के पार जिनजियांग मिलिट्री क्षेत्र में सैनिक अभ्यास के दौरान हुई. भारतीय मीडिया में अज्ञात सूत्रों के मुताबिक, इस अभ्यास का चीन की सरकारी मीडिया में प्रसारण भी हुआ.

सीमा पर चीनी गतिविधियों से भारतीय सेना की अभियान संबंधी प्रक्रियाओं में अड़चन पैदा होती है. सूत्रों ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि सीमा के अपनी ओर चीन द्वारा 5जी नेटवर्क शुरू करने से भारतीय सेना को एलएसी के इलाकों में रेडियो संवाद में दिक्कत आ रहा है.

हमने मीडिया में अज्ञात सूत्रों से जाना है कि इस परिघटना की चीन में रिपोर्ट की गई है. 2020 के सीमा विवाद के बहुत पहले ही काफी प्रयास चल रहे थे.

ल्हासा में तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र कमेटी के प्रचार विभाग के कार्यालय में 1 जुलाई को ‘अली इलाके में आर्थिक और सामाजिक विकास की उपलब्धियों’ पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की गई. फोकस था सीमावर्ती गांवों में 17 करोड़ युआन की लागत से 25 बिजली परियोजनाओं का विकास.

1 जुलाई के प्रेस कॉन्फ्रेंस के हवाले से तिब्बत न्यूज नेटवर्क ने कहा, ‘शिक्वान्हे शहर में 5जी नेटवर्क कवरेज पूरा हो गया और प्रशासकीय गांवों में 4 जी सिग्नल कवरेज, ऑप्टिकल फाइबर और ब्रॉडबैंड पहुंच की दर क्रमश: 100 फीसदी, 99.31 फीसदी और 98.62 फीसदी हो गई है. गार प्रांत में शिक्वान्हे शहर डेमचोक से करीब 60 किमी. दूर है, जिस भारतीय इलाके पर पीएलए ने 2020 के बाद कब्जा कर लिया है.

न्गारी में चीन की इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं के विकास और हाल में 5जी नेटवर्क की खबर चीनी मीडिया में 2019 से आनी शुरू हो गई थी.

चीन की चुनौती से निपटने के लिए आक्रामक रवैए के बदले अपने इंतजामात को चुस्त-दुरुस्त करने की दरकार है.

इसके अलावा वीबो और वीचैट समेत चीन के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सबसे ज्यादा चर्चित विषय पूर्व जापानी प्रधानमंत्री शिंजो अबे की हत्या थी.

वीबो पर हैशटैग ‘अबे के जीवन के संकेत नहीं’ को 1.7 अरब बार देखा गया. एक दूसरे हैशटैग ‘अबे शॉट’ को 1 अरब बार देखा गया और आइसीयू में उनके उपचार से संबंधित हैशटैग को 33 करोड़ बार. शुक्रवार को वीबो सबसे ज्यादा दस में से सात ट्रेंड और बैदू पर कुल 15 में से 14 ट्रेंड अबे को गोली मारे जाने से संबंधित थे.


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सोशल मीडिया के यूजरों ने अबे की मौत पर राहत का भाव दर्शाया. चीन के खिलाफ जापान के आक्रमण के इतिहास पर उनके विचारों ने उन्हें चीन की मुख्य भूमि में काफी अलोकप्रिय बना दिया था. लेकिन इस प्रचलित भावना से कुछ लोग असहमत भी थे.

जियांगसू के एक वीबो यूजर ने कहा, ‘यह यकीन करना मुश्किल है कि जापान में ऐसा बर्ताव करने वाले लोग हैं?’

हालांकि, दूसरे सोशल मीडिया यूजर हत्या से ‘काफी खुश’ थे. इसकी दोनों देशों के बीच दुश्मनी के मद्देनजर उम्मीद भी थी.

चीन के सरकारी मीडिया ने अबे की मौत की खबर को ज्यादा तूल नहीं दी. शिन्हुआ, पीपुल्स डेली और बीजिंग डेली के होम पेज पर इसका जिक्र निचले हिस्से में छोटे में था. चीन का सरकार प्रसारण शिनवेन लियान्बो ने तो हत्या के दिन उसका जिक्र तक नहीं किया.

राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने हत्या के लगभग 24 घंटे बाद अबे के परिवार को अपनी श्रद्धांजलि भेजी. चीन की राजनीति पर नजर रखने वाले तथा लॉ प्रोफेसर हेनरी गाओ ने कहा कि शी के श्रद्धांजलि संदेश में इस्तेमाल की गई टर्मिनोलॉजी वह नहीं थे, जिसका इस्तेमाल वियतनाम की कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव ले खा फियु और दूसरों के लिए की गई थी.

चीन के साइबर स्पेस में बड़ी खबर अबे की मौत पर सोशल मीडिया की चूं-चपड़ ही नहीं थी. एक हैकर ने एक अनाम से फोरम पर एक अरब शंघाई निवासियों का डेटा जाहिर कर दिया. डेटा की सत्यता पर शुरुआती संदेह के बाद विशेषज्ञों ने पुष्टि की कि चीन के सरकारी डेटाबेस यह सबसे बड़ा लीक था.

सीएनएन ने रिपोर्ट किया, ‘चीन के निजी डेटा का विशाल खजाना एक असुरक्षित बैकडोर लिंक, एक शॉर्टकट वेब एड्रेस के जरिए सबकी पहुंच के दायरे में है. ऑनलाइन डेटाबेस को जाहिर करने वाली एक साइट लीक नाइन के मुताबिक, यह बेव एड्रेस कम से कम अप्रैल 2021 से बेरोकटोक डेटा तक पहुंच दिलाता है.’

चीन ने लीक की खबर को दबाने की कोशिश की. मसलन, हैशटैग ‘शंघाई डेटा लीक’ को वीबो पर सेंसर कर दिया गया.

विश्व खबरों में चीन

पिछले हफ्तों में हमने जाना है कि चीन की शाओमी भारत में अपने कारोबारी तरीके पर जांच का सामना कर रही है. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) अब एक और कंपनी वीवो की भी जांच कर रहा है. ईडी ने वीवो के 48 ठिकानों और उससे जुड़ी 23 इकाइयों पर छापा मारा. नतीजतन, 119 बैंक खातों में 5.874 करोड़ डॉलर ब्लॉक कर दिए गए.

ईडी का आरोप है कि वीवो ने अपने कुल कारोबार का करीब 50 फीसदी ‘मिटा’ दिया, जिसका मतलब है कि 62,476 करोड़ रु. चीन भेज दिए गए, ताकि भारत में टैक्स देने से बचा जा सके.

इस छापे से शायद यह लग सकता है कि चीन की कंपनियों के खिलाफ भारत का रुख पूरी तरह प्रतिकूल हो गया है. लेकिन यह सही नहीं है.

सूचना के अधिकार कानून (आरटीआई) के तहत हासिल आंकड़ों के मुताबिक, भारत ने 29 जून को चीनी कंपनियों के 80 प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) प्रस्तावों को मंजूरी दी. आरटीआई के जवाब में डिपार्टमेंट फॉर प्रमोशन ऑफ इंडस्ट्री ऐंड इन्टर्नल ट्रेड ने दावा किया कि सरकार को चीनी कंपनियों से 382 प्रस्ताव मिले थे, जिनमें 80 मंजूर किए गए.

अमेरिका के फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन चीन की खुफिया चुनौतियों के बारे में खुलकर बोलता रहा है. लेकिन एफबीआई और ब्रिटेन के एम15 ने चीन की चुनौतियों पर अप्रत्याशित बयान जारी किया.

लंदन में एक विशेष आयोजन में साझा बयान में कहा गया, ‘आशंका है कि पश्चिम जगत में यह व्यापक धारणा पूरी तरह गलत दिखी है कि चीन में बढ़ती संपन्नता और पश्चिम से ज्यादा जुड़ाव से स्वाभाविक तौर पर अधिक राजनैतिक स्वतंत्रता का माहौल पैदा होगा. लेकिन चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की दिलचस्पी हमारे लोकतंत्र, मीडिया और कानून व्यवस्था में है. दुखद यह है कि वे उसे अपनाना नहीं चाहते, बल्कि अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करना चाहते हैं.’

(लेखक एक स्तंभकार और स्वतंत्र पत्रकार हैं, जो फिलहाल लंदन यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ ओरियंटल एंड अफ्रीकन स्टडीज़ (एसओएएस) से अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में एमएससी कर रहे हैं. इससे पहले वो बीबीसी वर्ल्ड सर्विस में एक चीनी मीडिया पत्रकार थे. वो @aadilbrar पर ट्वीट करते हैं. व्यक्त विचार निजी हैं.)

(इस लेख को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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