राज्यसभा सांसद राकेश सिन्हा ने राहुल गांधी, सीताराम येचुरी, मायावती और लालू प्रसाद यादव से पूछा है कि क्या वे इस विधेयक का समर्थन करेंगे.
नई दिल्ली: राज्यसभा सांसद राकेश सिन्हा ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए प्राइवेट मेंबर बिल लाने का ऐलान किया है. इतना ही नहीं उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, लालू प्रसाद यादव, सीताराम येचुरी और बीएसपी सुप्रीमो मायावती समेत कई अन्य नेताओं को चुनौती भी दी है कि वे अपना स्टैंड क्लियर करें. राकेश सिन्हा ने गुरुवार को इस सिलसिले में कई ट्वीट किए हैं.
उनका यह भी कहना था कि अगर विपक्षी दल उनके बिल का समर्थन करते हैं तो उनकी पार्टी दूसरे दिन ही अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण शुरू कर देगी.
जो लोग @BJP4India @RSSorg को उलाहना देते रहते हैं कि राम मंदिर की तारीख़ बताए उनसे सीधा सवाल क्या वे मेरे private member bill का समर्थन करेंगे ? समय आ गया है दूध का दूध पानी का पानी करने का .@RahulGandhi @yadavakhilesh @SitaramYechury @laluprasadrjd @ncbn
— Prof Rakesh Sinha (@RakeshSinha01) November 1, 2018
राकेश सिन्हा ने एक ट्वीट में लिखा, ‘जो लोग बीजेपी और संघ को उलाहना देते रहते हैं कि राम मंदिर की तारीख बताएं, उनसे सीधा सवाल है कि क्या वे मेरे प्राइवेट मेंबर बिल का समर्थन करेंगे? समय आ गया है दूध का दूध पानी का पानी करने का.’ उन्होंने इस ट्वीट में राहुल गांधी, अखिलेश यादव, सीताराम येचुरी, लालू प्रसाद यादव और चंद्रबाबू नायडू को भी टैग किया.
Will @RahulGandhi @SitaramYechury @laluprasadrjd Mayawati ji support Private member bill on Ayodhya? They frequently ask the date ‘तारीख़ नही बताएँगे ‘ to @RSSorg @BJP4India ,now onus on them to answer
— Prof Rakesh Sinha (@RakeshSinha01) November 1, 2018
उन्होंने एक दूसरे ट्वीट में लिखा, ‘आर्टिकल 377, जलिकट्टू और सबरीमाला पर फैसला देने में सुप्रीम कोर्ट ने कितने दिन लगाए? लेकिन दशकों से अयोध्या प्राथमिकता में नहीं है. यह हिंदू समाज के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता में है.’
इससे पहले राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुनवाई अगले साल जनवरी तक टाल देने पर कई भाजपा नेता और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ मंदिर निर्माण को लेकर बयान दे चुके हैं.
संघ प्रमुख मोहन भागवत और संगठन में नंबर दो मनमोहन वैद्य भी सरकार को समय से राम मंदिर का निर्माण कराने के लिए कानून लाने की सलाह दे चुके हैं. इसके साथ ही उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस भी इसी तरह के विचार रख चुके हैं.