scorecardresearch
Friday, 22 November, 2024
होमदेश'प्राकृतिक खेती व्यक्तिगत खुशहाली का रास्ता खोलती है', नेचुरल फार्मिंग कॉन्क्लेव में बोले PM Modi

‘प्राकृतिक खेती व्यक्तिगत खुशहाली का रास्ता खोलती है’, नेचुरल फार्मिंग कॉन्क्लेव में बोले PM Modi

पीएम ने कहा- भारत तो स्वभाव और संस्कृति से कृषि आधारित देश ही रहा है. इसलिए, जैसे-जैसे हमारा किसान आगे बढ़ेगा, जैसे-जैसे हमारी कृषि उन्नत और समृद्ध होगी, वैसे-वैसे हमारा देश आगे बढ़ेगा.

Text Size:

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को सूरत में नेचुरल फार्मिंग कॉन्क्लेव को संबोधित किया और प्रॉकृतिक खेती के महत्व पर जोर दिया.

पीएम मोदी ने कहा, ‘कुछ महीने पहले गुजरात में प्राकृतिक कृषि के विषय पर नेशनल कॉन्क्लेव का आयोजन हुआ था. इस कॉन्क्लेव में पूरे देश के किसान जुड़े थे. आज एक बार फिर सूरत में यह महत्वपूर्ण कार्यक्रम इस बात का प्रतीक है कि गुजरात किस तरह से देश के अमृत संकल्पों को गति दे रहा है.’

मोदी ने कहा, ‘हमारा जीवन, हमारा स्वास्थ्य, हमारा समाज सबके आधार में हमारी कृषि व्यवस्था ही है. भारत तो स्वभाव और संस्कृति से कृषि आधारित देश ही रहा है. इसलिए, जैसे-जैसे हमारा किसान आगे बढ़ेगा, जैसे-जैसे हमारी कृषि उन्नत और समृद्ध होगी, वैसे-वैसे हमारा देश आगे बढ़ेगा.’

उन्होंने कहा कि आप प्राकृतिक खेती करते हैं तो आप धरती माता की सेवा करते हैं, उसकी उत्पादकता की रक्षा करते हैं. आप प्राकृतिक खेती करते हैं तो आप प्रकृति और पर्यावरण की सेवा करते हैं. आप प्राकृतिक खेती से जुड़ते हैं तो आपको गौमाता की सेवा का सौभाग्य भी मिलता है.

‘परंपरागत कृषि विकास योजना और भारतीय कृषि पद्धति कार्यक्रमों के जरिए आज किसानों को संसाधन, सुविधा और सहयोग दिया जा रहा है. इस योजना के तहत देश में 30 हजार क्लस्टर्स बनाए गए हैं. लाखों किसानों को इसका लाभ मिल रहा है.’

पीएम ने कहा कि आजादी के 75 साल के निमित्त देश ने ऐसे अनेक लक्ष्यों पर काम करना शुरू किया है जो आने वाले समय में बड़े बदलावों का आधार बनेंगे. अमृत काल में देश की गति-प्रगति का आधार, सबका प्रयास की वो भावना है जो हमारी इस विकास यात्रा का नेतृत्व कर रही है.

प्रधानमंत्री ने डिजिटल इंडिया को लेकर कहा, ‘डिजिटल इंडिया मिशन की असाधारण सफलता भी उन लोगों को देश का जवाब है जो कहते थे गांव में बदलाव लाना आसान नहीं है. हमारे गांवों ने दिखा दिया है कि गांव न केवल बदलाव ला सकते हैं, बल्कि बदलाव का नेतृत्व भी कर सकते हैं.’

प्राकृतिक खेती व्यक्तिगत खुशहाली का रास्ता तो खोलती ही है साथ ही ये ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया’ की इस भावना को भी साकार करती है.


यह भी पढ़ें: डिप्रेशन के मरीजों की देखभाल करने वालों की मेंटल हेल्थ पर भी पड़ता है असर


 

share & View comments