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Monday, 23 December, 2024
होमदेशरेजरपे ने कहा- सिर्फ घरेलू भुगतान ही ले सकती थी ऑल्ट न्यूज, पुलिस का दावा 'विदेशी फंड लिया'

रेजरपे ने कहा- सिर्फ घरेलू भुगतान ही ले सकती थी ऑल्ट न्यूज, पुलिस का दावा ‘विदेशी फंड लिया’

दिल्ली पुलिस ने दावा किया कि मीडिया कंपनी ने विदेशों से 2 लाख रुपए से अधिक वसूल किए, जबकि हर्षिल माथुर ने रेजरपे ने कहा FCRA की मंजूरी के बिना अंतर्राष्ट्रीय लेनदेन की अनुमति नहीं है.

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नई दिल्ली: पेमेंट गेटवे कंपनी रेजरपे के सीईओ हर्षिल माथुर ने शुक्रवार को ट्विटर पर साझा किए गए एक बयान में कहा है कि ऑल्ट न्यूज केवल घरेलू भुगतान हासिल कर सकती थी. उन्होंने आगे कहा कि ये रेजरपे की नीति के अनुरूप था कि विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम (एफसीआरए) की अनुमति के बिना अंतर्राष्ट्रीय लेनदेन की इजाजत नहीं दी जाती.

रेजरपे बेंगलुरू स्थित एक भारतीय फिनटेक कंपनी है जिसके जरिए तथ्यों की जांच करने वाली वेबसाइट ऑल्ट न्यूज़ चंदा हासिल किया करती थी.

माथुर के बयान से पहले इसी महीने दिल्ली पुलिस ने दावा किया था कि प्रावदा मीडिया फाउण्डेशन ने- जो एक ग़ैर-मुनाफा संस्था है जिसके अंतर्गत ऑल्ट न्यूज काम करती है- 2 लाख रुपए से अधिक की रकम विदेशों से हासिल की थी, जिनमें पाकिस्तान, सीरिया और क़तर शामिल थे.

ऑल्ट न्यूज सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर को 2018 की एक ट्वीट के आधार पर गिरफ्तार किया गया था जिससे पहले उन्हें 2020 के एक अलग मामले में पूछताछ के लिए बुलाया गया था. शुरू में उनपर भारतीय दंड संहिता की धारा 153-ए (नफरत फैलाने) और 295-ए (धार्मिक भावनाओं को आहत करने के आशय से सोच समझकर किया गया कार्य) के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था.

2 जुलाई को दिल्ली पुलिस ने दिल्ली की एक अदालत को बताया कि उन्होंने जुबैर के खिलाफ एफसीआरए की धारा 35 और आपराधिक षडयंत्र के आरोप भी जोड़ दिए हैं.

रेजरपे के एक वरिष्ठ कर्मचारी ने दिप्रिंट से कहा कि घरेलू भुगतान से उनका मतलब ये है कि भुगतान भारत के भीतर से ही किए गए थे.

ये पूछे जाने पर कि क्या फंड्स के विदेशी स्रोतों को रोका गया था, रेजरपे कर्मचारी ने कहा, ‘एफसीआरए को फंड्स के स्रोतों से मतलब होता है, इसलिए हम स्रोतों को रोक देते हैं. इसमें लोगों के स्थान से कोई मतलब नहीं होता. पैसे के स्रोत कार्ड्स या बैंक खाते होते हैं’.

सूत्र ने आगे कहा कि उन्होंने स्रोतों तथा प्रावदा मीडिया द्वारा वसूले गए पैसे की मंजिल, दिल्ली पुलिस के साथ साझा कर ली थी.


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3 महीने में 50 लाख रुपए का लेनदेन

एफसीआरए की धारा 35 के अनुसार, ‘जो कोई भी स्वीकारता है या इस अधिनियम की किसी भी धारा या उसके अंतर्गत बने किसी भी नियम का उल्लंघन करते हुए, किसी विदेशी स्रोत से विदेशी योगदान या कोई करेंसी या सिक्योरिटी को स्वीकार करने में किसी व्यक्ति, राजनीतिक पार्टी, या संगठन की सहायता करता है, उसे पांच साल तक  की सजा या जुर्माना या दोनों सुनाए जा सकते हैं’.

एक्ट में विदेशी स्रोत को ऐसे परिभाषित किया गया है कि ‘किसी भी बाहरी देश या क्षेत्र की सरकार और ऐसी किसी सरकार की कोई एजेंसी, कोई भी अंतर्राष्ट्रीय एजेंसी जो संयुक्त राष्ट्र न हो, कोई विदेशी कंपनी, कोई निगम, कोई ऐसी विदेशी कंपनी नहीं जो किसी बाहरी देश या क्षेत्र में गठित की गई हो, किसी बाहरी देश या क्षेत्र के नागरिक, विदेश में पंजीकृत ट्रस्ट या सोसाइटी, भारत के बाहर पंजीकृत क्लब या सोसाइटियां.

लेकिन, दूसरे देश में रह रहे किसी भारतीय नागरिक द्वारा, अपनी निजी बचत से सामान्य बैंकिंग चैनलों के जरिए भेजे गए योगदानों को विदेशी योगदान नहीं समझा जाता.

दिल्ली पुलिस उपायुक्त केपीएस मल्होत्रा ने इसी महीने कहा था, ‘पेमेंट गेटवे रेजरपे की ओर से प्राप्त जवाब का विश्लेषण करने से पता चला कि कई ऐसे लेनदेन हैं जिनमें या तो मोबाइल नंबर भारत से बाहर का है या आईपी पता बाहर के देशों का है और प्रावदा मीडिया ने कुल 2,31,933 रुपए की रकम वसूल की है’.

शुक्रवार को दिल्ली पुलिस सूत्रों ने कहा कि प्रावदा मीडिया द्वारा प्राप्त किए गए फंड्स की छानबीन तब शुरू हुई, जब एक जांच में पता चला कि तीन महीने के भीतर प्रावदा में करीब 50 लाख रुपए का लेनदेन हुआ था. एक सूत्र ने कहा, ‘अब हम वित्तीय संस्थाओं से इससे जुड़ा आगे का ब्योरा एकत्र कर रहे हैं’.

जुबैर की ओर से पेश होने वाले एक वकील सौतिक बनर्जी ने पहले दिप्रिंट से कहा था, ‘हम बिल्कुल स्पष्ट रूप से कह रहे हैं कि जुबैर को भेजे कोई फंड्स (विदेशी स्रोतों से नहीं थे)और ऑल्ट न्यूज द्वारा वसूल किया गया तमाम चंदा भारतीय नागरिकों की ओर से है. कोई विदेशी चंदा नहीं है’.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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