नयी दिल्ली, सात जुलाई (भाषा) केंद्र सरकार चालू वित्त वर्ष में राज्यों को पूंजीगत कार्यों पर खर्च के लिए 80,000 करोड़ रुपये का ब्याज-मुक्त ऋण देगी।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2022-23 के बजट भाषण में पूंजी निवेश योजना के तहत राज्यों को विशेष सहायता की घोषणा की थी। इसके तहत 50 साल के लिये ब्याज-मुक्त कर्ज के रूप में कुल एक लाख करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता राज्यों को दी जाएगी। यह सहायता पूंजी निवेश वाली परियोजनाओं के लिये है।
वित्त मंत्रालय ने योजना लागू करने के लिये जारी दिशानिर्देश में कहा कि 80,000 करोड़ रुपये राज्यों के पूंजी कार्यों के लिये रखे गये हैं।
निवेश के लिये यह लाभ लेने को लेकर राज्यों को परियोजना का नाम, पूंजीगत व्यय, कार्य पूरा होने की अवधि और आर्थिक रूप से उसके उपयुक्त होने के बारे में वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग को जानकारी देनी होगी।
व्यय विभाग ने छह अप्रैल को सभी राज्य सरकारों को भेजे पत्र में कहा, ‘‘…राज्यों से आग्रह है कि वे कोष की मंजूरी और उसे प्राप्त करने के लिये 2022-23 में किये जाने वाले प्रस्तावित पूंजीगत कार्यों के बारे में व्यय विभाग को जानकारी दें।’’
इसमें कहा गया है कि पीएम गतिशक्ति मास्टर प्लान के अंतर्गत आने वाली परियोजनाओं को प्राथमिकता दी जाएगी।
पूंजी निवेश के लिये राज्यों को विशेष सहायता योजना में 5,000 करोड़ रुपये का ब्याज-मुक्त कर्ज भी शामिल है। यह राज्यों को सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के निजीकरण या विनिवेश तथा संपत्ति को बाजार पर चढ़ाने के लिये प्रोत्साहित करने को उपलब्ध कराया जाएगा।
इस सहायता के तहत राज्यों को अपने सार्वजनिक उपक्रमों का निजीकरण या प्रबंधन नियंत्रण सौंपने के साथ रणनीतिक बिक्री के अलावा राज्य सरकारी कंपनियों को शेयर बाजारों में सूचीबद्ध कराने के लिये भी प्रोत्साहित किया जाएगा।
व्यय विभाग ने कहा कि किसी एक राज्य विशेष के लिये ऐसे प्रोत्साहन की सीमा 1,000 करोड़ रुपये है।
इसके अलावा आवंटन अर्थव्यवस्था के डिजिटलीकरण और ऑप्टिकल फाइबर केबल नेटवर्क को पूरा करने, शहर नियोजन योजना समेत अन्य के लिये भी किया जाएगा।
कुल एक लाख करोड़ रुपये की योजना में 4,000 करोड़ रुपये प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, 2,000 करोड़ रुपये डिजिटलीकरण प्रोत्साहन, 6,000 करोड़ रुपये शहरी सुधारों तथा 3,000 करोड़ रुपये ऑप्टिकल फाइबर केबल से संबंधित पूंजीगत परियोजनाओं के लिये है।
भाषा रमण अजय
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