चंडीगढ़/मोहाली: रिश्वत लेने के लिए ‘कलेक्शन एजेंट’ (उगाही करने वाले दलाल) के रूप में काम करने वाले उनके कनिष्ठ सहकर्मी उसकी ओर से पैसे की मांग करते थे, नकद में रिश्वत लेते थे और फिर इसे सोने की ईंटों में बदलने के लिए किए गए भुगतान के रूप में जौहरियों के पास जमा करा देते थे. पंजाब विजिलेंस ब्यूरो के सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि भ्रष्टाचार के एक मामले में गिरफ्तार किए गए आईएएस अधिकारी संजय पोपली ने कुछ इसी तरह राज्य के जल और सीवरेज (मल निकासी) विभाग में कथित तौर पर ‘भ्रष्टाचार का एक नेटवर्क’ चला रखा था.
सूत्रों के मुताबिक, घूस की रकम जौहरी के पास तब तक जमा रहती थी जब तक कि वह एक किलो सोने की ईंट या सोने के सिक्कों की कीमत के बराबर न हो जाए. सूत्र ने यह भी बताया कि इन ईंटों या सिक्कों को फिर इस अधिकारी (संजय पोपली) के घर भेजा जाता था.
सूत्रों ने यह भी दावा किया कि इस विभाग के जिन जूनियर्स (कनिष्ठ अधिकारियों) ने पोपली के लिए काम किया था और अब जांच के दायरे में हैं, उन्हें कथित तौर पर इस काम के लिए केवल 5,000 रुपये से 10,000 रुपए के बीच की मामूली राशि मिलती थी.
पोपली को पंजाब विजिलेंस ब्यूरो ने 21 जून को नवाशहर में मई के महीने में सीवरेज पाइपलाइन बिछाने के लिए 7.3 करोड़ रुपए की परियोजना पर काम कर रहे एक ठेकेदार से कथित तौर पर 1 प्रतिशत के कमीशन की मांग करने के आरोप में गिरफ्तार किया था. इस बोर्ड में सहायक सचिव के पद पर तैनात और पोपली के साथ मिलकर काम करने वाले एक अन्य अधिकारी संदीप वत्स को भी गिरफ्तार कर लिया गया है.
पोपली की गिरफ्तारी के बाद, विजिलेंस ब्यूरो ने 22 और 25 जून को उनके आवास पर छापेमारी की और उनके पास से 12 किलो से अधिक सोना जब्त करने का दावा किया, जिसमें नौ सोने की ईंटें – जिनमें से हर एक का वजन 1 किलो था – 49 सोने के बिस्कुट, 12 सोने के सिक्के, तीन चांदी की ईंटें, 18 चांदी के सिक्के, कई एप्पल और सैमसंग फोन, स्मार्ट घड़ियां और 3.5 लाख रुपए नकद जैसी चीजें शामिल थीं.
सतर्कता विभाग के एक सूत्र ने कहा, ‘पोपली की गिरफ्तारी के बाद हुई पहली छापेमारी में हमें 1 किलो सोने की ईंटों के खाली डिब्बे मिले. इसमें उस जौहरी का नाम था जहां से उन्हें खरीदा गया था. हालांकि उनके परिवार के ही किसी व्यक्ति ने सोने की ईंटों को छुपाया होगा, मगर वे इन बक्सों को पीछे छोड़ गए, जो हमें मिले. इसके बाद हमने पोपली से इस तथ्य के साथ पूछताछ की और उसे एक और छापे के लिए (उसके आवास पर) अपने साथ ले गए. फिर वह हमें इस स्टोर रूम तक ले गये, जहां से हमें अंत में अन्य सोने और चांदी के साथ सोने की ईंटें मिली.’
इस सूत्र ने दावा किया, ‘इनके कोई बिल नहीं थे, ना ही इस खरीद का कोई हिसाब-किताब था.’
सतर्कता विभाग के मुख्य निदेशक वरिंदर कुमार ने दिप्रिंट को बताया कि उनकी एजेंसी इस मामले में विभिन्न कोणों से जांच कर रही है. उन्होंने जांच के बारे में और अधिक जानकारी देने से इनकार करते हुए कहा., ‘मामले में जांच अभी जारी है’,
दिप्रिंट ने सतर्कता विभाग द्वारा लगाए गए आरोपों का जवाब देने के लिए पोपली के वकील अधिवक्ता मतविंदर सिंह से फोन पर संपर्क किया, लेकिन उन्होंने कोई जवाब देने से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा, ‘(मेरे लिए) बात करना संभव नहीं होगा.. असुविधा के लिए खेद है.’
दिप्रिंट ने चंडीगढ़ के सेक्टर 11 स्थित पोपली के आवास का भी दौरा किया, लेकिन उनकी पत्नी श्री पोपली ने इस मामले के बारे में बात करने से इनकार कर दिया. मगर, इस परिवार के रसोइए युवी ने दिप्रिंट को बताया, ‘हमें इस मामले के बारे में किसी से बात नहीं करने के लिए कहा गया है. मैडम की तरफ से भी कोई टिप्पणी नहीं है.’
हालांकि, उनके एक रिश्तेदार ने इन सारे आरोपों का खंडन किया और इसे ‘सीधे-सीधे उत्पीड़न’ का मामला करार दिया.
संयोग से जिस दिन सतर्कता विभाग की टीम छापेमारी के लिए पोपली के घर पहुंची थी उसी दिन आरोपी के 27 वर्षीय बेटे कार्तिक पोपली ने कथित तौर पर अपने ही पिता की लाइसेंसी बंदूक से खुद को गोली मार ली थी.
जहां पुलिस ने इसके बारे में आत्महत्या का मामला होने का दावा किया है, वहीं पोपली के परिवार ने सतर्कता विभाग के अधिकारियों पर हत्या का आरोप लगाया है.
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कौन हैं संजय पोपली?
साल 1993 में पंजाब सिविल सेवा के लिए चयनित 58 वर्षीय पोपली को 2008 में केंद्रीय सिविल सेवा कैडर में पदोन्नत किया गया था.
हालांकि, राज्य प्रशासन के अधिकारियों का दावा है कि उनके खिलाफ चल रहे अनुशासनात्मक मुद्दों के आरोपों के कारण पंजाब के तत्कालीन मुख्य सचिव ने उन्हें सत्यनिष्ठा प्रमाण पत्र से देने से मना कर दिया था.
पंजाब प्रशासन के अधिकारियों ने दिप्रिंट को बताया, ‘पोपली ने उद्योग विभाग, अनुसूचित जाति और पिछड़ा वर्ग विभाग कल्याण, पेंशन विभाग आदि में भी काम किया है लेकिन सिर्फ कम अवधि के लिए.’
उन्होंने राज्य भर के विभिन्न जिलों में सब डिविजनल मजिस्ट्रेट (एसडीएम) का पद संभाला है लेकिन आईएएस के रूप में पदोन्नत किए जाने के बाद भी उन्होंने कभी जिला उपायुक्त के रूप में कार्य नहीं किया है.
राज्य सरकार के अधिकारियों के अनुसार, पोपली के विवादों से घिरे रहने के कारण, उन्हें एक कांग्रेस नेता की सिफारिश के बाद ही जल आपूर्ति और सीवरेज बोर्ड का प्रभार दिया गया था.
पोपली के खिलाफ भ्रष्टाचार का ही अकेला मामला नहीं चल रहा है.
रिश्वतखोरी के मामले में की गई उनकी गिरफ्तारी के एक दिन बाद, चंडीगढ़ पुलिस ने उस समय उनके खिलाफ शस्त्र अधिनियम (आर्म्स एक्ट) के तहत मामला दर्ज किया, जब सतर्कता ब्यूरो ने दावा किया कि उनके घर की तलाशी के दौरान अनगिनत मात्रा में जिंदा कारतूस मिले और 73 गोलियां बरामद की गईं. दिप्रिंट के पास इस प्राथमिकी (एफआईआर) की प्रति मौजूद है.
26 जून को पोपली के खिलाफ ठेकेदार द्वारा अबरोहा में एक दलित महिला के बलात्कार के मामले में उसे झूठे मामले में फंसाने, रिश्वत देने के लिए मजबूर करने और इस आईएएस अधिकारी के खिलाफ दायर मामला वापस लेने की धमकी देने के आरोप में एक और मामला दर्ज कराया गया था. दिप्रिंट के पास इस एफआईआर की प्रति भी उपलब्ध है.
सतर्कता विभाग के सूत्रों ने यह भी कहा कि पोपली की गिरफ्तारी के बाद से, एक अन्य ठेकेदार, जिससे इस अधिकारी ने कथित तौर पर पहले रिश्वत की मांग की थी, ने औपचारिक रूप से अपनी शिकायत के साथ जांचकर्ताओं से संपर्क किया है.
ऊपर उद्धृत सूत्र ने कहा, ‘हमें यकीन है कि कई और ऐसे ठेकेदार होंगे जिन्होंने कमीशन के रूप में रिश्वत (1 प्रतिशत की राशि) का भुगतान किया होगा ताकि अधिकारी उनके काम में बाधा उत्पन्न न करें या उनके बिलों, भुगतानों आदि को न रोकें. अब वे एक-एक कर सामने आ रहे हैं. रिश्वत देने वाले एक अन्य ठेकेदार ने हमसे संपर्क किया है. हम जल्द ही एक और मामला दर्ज करेंगे.’
एक बैठक, एक व्हाट्सएप कॉल और एक वीडियो रिकॉर्डिंग
कथित तौर पर चलाया जा रहा भ्रष्टाचार का यह नेटवर्क तब सामने आया जब हरियाणा के करनाल के एक ठेकेदार संजय कुमार, जिससे कथित तौर पर 7 लाख रुपए की रिश्वत मांगी गई थी, ने 3.5 लाख रुपये की दूसरी किस्त का भुगतान करने से इनकार कर दिया और पंजाब के सतर्कता विभाग की भ्रष्टाचार विरोधी शाखा को एक वीडियो भेजा जिसमें कथित तौर पर इस अधिकारी को पैसे की मांग करते हुए दिखाया गया है.
यह वीडियो संदीप वत्स की कार के अंदर शूट किया गया था, जहां कथित तौर पर उन्हें पैसे दिए गए थे और पोपली ने व्हाट्सएप कॉल के द्वारा कथित तौर पर दूसरी किस्त की मांग की थी.
कुमार की शिकायत, जो मूल रूप से पंजाबी में लिखाई गई है और जिसकी एक प्रति दिप्रिंट के पास भी है, के अनुसार पिछले साल 28 अक्टूबर को पंजाब के जल और सीवरेज विभाग ने उन्हें नवाशहर में सीवरेज पाइप डालने के लिए 7.30 करोड़ रुपए का टेंडर दिया था, जिसके बाद इस पर काम शुरू हो गया था.
हालांकि, इसके दो महीने बाद, 12 जनवरी 2022 को, पोपली के सहायक संदीप वत्स ने कुमार को फोन किया और कथित तौर पर कहा कि सीईओ की तरफ से 7 लाख रुपए की रिश्वत मांगी, बशर्ते वह ‘चीजें सुचारू रूप से चलाना’ चाहते हैं.
कुमार ने शिकायत में आरोप लगाया, ‘उन्होंने मुझसे कहा कि मुझे जल्द से जल्द पैसा भेज देना चाहिए, नहीं तो मैं मुश्किल में पड़ जाऊंगा और मेरा कोई भी बिल सरकारी विभाग द्वारा नहीं चुकाया जाएगा.’
उन्होंने कहा कि हालांकि वह पैसे का भुगतान नहीं करना चाहते थे लेकिन फिर भी ‘परेशानी से बचने’ के लिए पहली किश्त (3.5 लाख रुपए) देने के लिए सहमत हो गए थे.
कुमार ने कहा. ‘मैं नहीं चाहता था कि मेरा पैसा रुक जाए और इस वजह से काम प्रभावित हो, इसलिए मैंने पैसे दे देने का फैसला किया. मैं बिल्कुल असहाय था. मैंने अपने पीएनबी खाते से पैसे निकाले और वत्स को फोन किया, जिन्होंने मुझे सीवरेज बोर्ड के कार्यालय में आने के लिए कहा.’
कुमार की शिकायत के अनुसार, जब वह पैसे लेकर बोर्ड के कार्यालय पहुंचे, तो वत्स ने उन्हें फोन किया और चंडीगढ़ सेक्टर 21 में मिलने के लिए तय मुलाकात का स्थान बदल दिया और फिर दोनों वत्स की वर्ना मॉडल की कार के अंदर उस स्थान पर मिले.
कुमार ने दावा किया कि यही वह जगह है जहां कथित तौर पर वत्स को पैसा दिया गया था, जिसके बाद उन्होंने पोपली को ‘पहली किस्त’ मिल जाने के बारे में सूचित करने के लिए एक व्हाट्सएप कॉल भी किया. यह वही कॉल थी जिसे कुमार द्वारा गुप्त रूप से दर्ज किया गया था और जिसके वजह से पोपली की गिरफ्तारी हुई.
कुमार ने (अपनी शिकायत में) आरोप लगाया है, ‘मैंने वत्स को पैसे दिए और फिर उसने पोपली को एक व्हाट्सएप कॉल करके पैसे मिल जाने की सूचना दी. पोपली ने फिर उनसे 3.5 लाख रुपये के शेष भुगतान के बारे में पूछा और मैंने उनसे कहा कि मैं बाद में इसका भी भुगतान कर दूंगा.’ साथ ही, उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि वत्स ने उनसे 5,000 रुपए और लिए थे (जो 7 लाख रुपए की रिश्वत की राशि के अलावा थी).
कुमार के अनुसार, वत्स शेष 3.5 लाख रुपए की राशि के लिए बराबर उनका पीछा करता रहा और हर बार रिश्वत न देने पर नतीजा भुगतने की धमकी देता रहा. कुमार ने दावा किया कि यह सिलसिला मई में पोपली को उक्त विभाग से स्थानांतरित कर दिए जाने और पेंशन विभाग का निदेशक बनाए जाने के बाद भी जारी रहा.
उनके तबादले के बाद ही कुमार ने ऊपर वर्णित वीडियो को सतर्कता विभाग को सौंपने का फैसला किया और इस संबंध में 20 जून को एक मामला दर्ज किया गया.
पोपली के परिवार के सदस्यों ने इन सारे दावों का खंडन किया. हालांकि, उनकी पत्नी ने इस मुद्दे पर बात करने से इनकार कर दिया, मगर उनके एक रिश्तेदार, जिन्होंने उनकी पहचान उजागर न किए जाने की शर्त रखी थी, ने कहा,’ ये सभी कहानियां मनगढ़ंत लगती हैं. वह एक मेहनती अधिकारी हैं जिन पर कलंक लगाया जा रहा है. दरअसल, सतर्कता विभाग उनके परिवार पर उन पर चलाए जा रहे मामले के अनुरूप ही बयान देने का दबाव बना रहा है. मगर यह सिर्फ उत्पीड़न है और कुछ नहीं.’
इस रिश्तेदार ने कहा,’विभाग किसी रेंडम शिकायत के आधार पर कोई गिरफ्तारी कैसे कर सकता है? क्या उन्होंने शिकायतकर्ता के पहले के चाल-चरित्र की जांच करने की परवाह की? क्या वह किसी के द्वारा ‘प्रेरित; किया गया है? यह विचित्र सा लगता है.’
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‘शिकायत वापस लेने के लिए धमकी, दुष्कर्म का फर्जी मामला’
24 जून को, संजय कुमार ने पोपली के खिलाफ एक और शिकायत दर्ज कराई. इसमें उन्होंने आरोप लगाया कि पोपली ने सतर्कता विभाग से अपनी शिकायत वापस लेने से इनकार करने पर उन्हें बलात्कार के एक मामले में झूठ- मूठ फंसाने की धमकी दी है.
पोपली ने कथित तौर पर कुमार को वह ‘ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग’ सौंपने के लिए भी कहा, जिसमें उन्हें रिश्वत के पैसे की मांग करते हुए सुना गया था.
कुमार की शिकायत के बाद अबोहर जिले में पोपली के खिलाफ झूठे सबूत इकट्ठा करने, जबरन वसूली और आपराधिक साजिश के आरोप में एक और मामला दर्ज किया गया था.
इस प्राथमिकी, जिसकी एक प्रति दिप्रिंट को भी मिली है, में कहा गया है कि संजय पोपली ने दो लोगों को करनाल भेजा, जिन्होंने कुमार को बताया कि अबोहर में एक दलित महिला ने उसके खिलाफ बलात्कार की शिकायत की है और अगर वह वादा किए गए रिश्वत का भुगतान नहीं करते हैं तो वह महिला कुमार के खिलाफ एक औपचारिक मामला दर्ज कराएगी.
मूल रूप से पंजाबी में लिखी गई इस प्राथमिकी में दावा किया गया है,’मैं पहली बार अबोहर आया हूं, वह भी सिर्फ पोपली के खिलाफ शिकायत देने के लिए जो मुझे धमकी दे रहा है. संजय पोपली ने मेरे पास करनाल से दो आदमियों को भेजा जिन्होंने हमें बताया कि अबोहर में एक महिला ने मेरे खिलाफ बलात्कार की शिकायत की है और मुझसे कहा की अगर हम बाकी की रिश्वत की रकम नहीं देते हैं, हमारी शिकायत विजिलेंस से वापस नहीं लेते हैं और उस वीडियो को नहीं सौंपते हैं जिसमें उसे (पोपली को) रिश्वत मांगते हुए सुना जा सकता है तो मुझे बलात्कार के एक मामले में गिरफ्तार कर लिया जाएगा.’
प्राथमिकी में आगे कहा गया है, ‘मुझे इस झूठे मामले में पोपली द्वारा फंसाया जा रहा है और वह शिकायत वापस लेने के लिए मुझ पर दबाव बनाने हेतु कानून का (गलत) इस्तेमाल कर रहा है. पोपली के कहने पर समय-समय पर कुछ अनजान महिलाएं मुझे फोन करती रहती हैं लेकिन मैं उन्हें ब्लॉक कर देता हूं.’
जांचकर्ताओं के मुताबिक, इस नेटवर्क में कई ऐसे लोग शामिल हैं जिनकी पहचान की जानी अभी बाकी है.
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