वंशवादी पार्टियों के लिए महाराष्ट्र का सियासी बवाल एक बड़े संकट की ओर संकेत देता है. वे व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं और प्रतिभाओं के कब्रिस्तान बने नहीं रह सकते. मतदाता भी इनसे अब परेशान हो चले हैं. वंशवादी पार्टियों के प्रमुखों को शिवसेना, कांग्रेस और जेडीएस में धमाकों की आवाज सुननी चाहिए. उन्हें जल्द ही बदलना होगा या खुद को तबाह होते देखना पड़ेगा.