नई दिल्ली: शुक्रवार को 2002 के गुजरात दंगों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कई अन्य लोगों को विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा दी गई क्लीन चिट को चुनौती देने वाली जकिया जाफरी की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है.
दोनों पक्षों द्वारा मामले में अपनी दलीलें पूरी करने के बाद जस्टिस एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली एक बेंच ने 9 दिसंबर, 2021 को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था.
पूर्व कांग्रेस नेता एहसान जाफरी 28 फरवरी, 2002 को अहमदाबाद में गुलबर्ग सोसाइटी में हुई हिंसा के दौरान मारे गए 69 लोगों में शामिल थे. एहसान जाफरी की पत्नी जाकिया जाफरी ने राज्य में दंगों के दौरान गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी सहित 64 लोगों को एसआईटी की क्लीन चिट को चुनौती दी थी.
जाफरी का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने इससे पहले जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस सीटी रविकुमार की बेंच से कहा था कि उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री की किसी भी कथित संलिप्तता के बारे में बिल्कुल भी तर्क नहीं दिया है और वे एक बड़ी साजिश का हिस्सा हो सकते हैं जिसकी विशेष जांच दल ने जांच नहीं की है.
एसआईटी ने जाफरी की याचिका का विरोध करते हुए कहा कि 2002 के गुजरात दंगों के पीछे ‘बड़ी साजिश’ की जांच के लिए शिकायत के पीछे एक भयावह साजिश है. उसने कहा कि जाफरी की मूल शिकायत सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ द्वारा निर्देशित थी, जिन पर एसआईटी ने ‘मुद्दे को जिंदा’ रखने का आरोप लगाया.
सीतलवाड़ ने एसआईटी की क्लोजर रिपोर्ट को फिर से खोलने से इनकार करने वाले गुजरात हाई कोर्ट के अक्टूबर 2017 के आदेश को भी चुनौती दी थी.
सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त एसआईटी ने मामले की जांच की थी और गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य वरिष्ठ राजनेताओं और नौकरशाहों को क्लीन चिट दे दी थी. उनके खिलाफ ‘अभियोजन योग्य सबूत’ की कमी का हवाला देते हुए क्लीन चिट दी गई थी.
5 अक्टूबर, 2017 के गुजरात हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए जिसमें एसआईटी की क्लीन चिट को बरकरार रखा गया था, जकिया ने दंगों में ‘बड़ी साजिश’ का आरोप लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.
गुजरात हाई कोर्ट ने एसआईटी की क्लोजर रिपोर्ट को स्वीकार करते हुए मजिस्ट्रेट कोर्ट के आदेश को बरकरार रखा था.
इससे पहले, जकिया ने एसआईटी रिपोर्ट को चुनौती देने वाली याचिका को मजिस्ट्रेट अदालत द्वारा खारिज किए जाने के बाद 2014 में गुजरात हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.
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