नई दिल्ली: केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने निर्वाचन आयोग को एक हलफनामा दाखिल करके यह बताने का निर्देश दिया है कि उसने एक आरटीआई (सूचना का अधिकार) आवेदक को चुनावी बांड तथा वित्त अधिनियम में संशोधन के बारे में सभी जानकारियां उपलब्ध करा दी है.
सीआईसी ने कहा है कि निर्वाचन आयोग एक ‘नॉन ज्यूडिशियल स्टाम्प पेपर’ पर यह भी स्पष्ट करे कि उसने ऐसी कोई अन्य जानकारी नहीं छिपाई है, जिसे आरटीआई अधिनियम के तहत मुहैया कराया जा सकता है.
आरटीआई कार्यकर्ता कमोडोर (अवकाशप्राप्त) लोकेश बत्रा ने वित्त अधिनियम में 2017 के संशोधन के बाद चुनावी बांड की शुरुआत से संबंधित पूरा रिकॉर्ड निर्वाचन आयोग से मांगा था.
निर्वाचन आयोग ने इसके जवाब में उसके पास अभी तक मौजूद सभी जानकारी मुहैया कराई थी.
केंद्रीय सूचना आयोग के समक्ष सुनवाई के दौरान, बत्रा ने दावा किया कि चुनाव आयोग द्वारा मुहैया कराये गये रिकॉर्ड से पता चलता है कि प्रदान की गई फाइल से जुड़ी कोई अन्य फाइल (लिंक फाइल) भी है.
निर्वाचन आयोग ने इस दलील को खारिज करते हुए कहा कि बत्रा द्वारा मांगी गई जानकारी के संबंध में उपलब्ध सभी रिकॉर्ड उन्हें पहले ही मुहैया करा दिए गए हैं.
मुख्य सूचना आयुक्त वाई के. सिन्हा ने निर्वाचन आयोग को निर्देश दिया कि ‘नॉन ज्यूडिशियल स्टाम्प पेपर’ पर वह एक हलफनामा दाखिल करे कि संबंधित विषय पर कोई और जानकारी जैसे लिंक फाइल/पार्ट फाइल या न्यू फाइल उनके पास आधिकारिक रिकॉर्ड में मौजूद नहीं है, जिसे आरटीआई अधिनियम के तहत प्रदान किया जा सकता है.’
आदेश में कहा गया है, ‘इस आदेश की प्राप्ति के तीन सप्ताह के भीतर प्रतिवादी द्वारा हलफनामा प्रस्तुत किया जाना चाहिए, जिसकी एक प्रति आयोग को 15 जुलाई 2020 तक मुहैया कराई जाए. यह स्पष्ट किया जाता है कि इन निर्देशों का पालन न करने पर कानून के तहत उचित कार्रवाई की जाएगी.’
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