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Friday, 22 November, 2024
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महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख और कैबिनेट मंत्री नवाब मलिक MLC चुनाव में वोट करने के मामले SC पहुंचे

मंत्रियों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मीनाक्षी अरोड़ा ने न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ के समक्ष मामले का उल्लेख किया और आज ही मामले की तत्काल सुनवाई की मांग की.

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नई दिल्ली: महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख और कैबिनेट मंत्री नवाब मलिक ने आज होने वाले महाराष्ट्र विधान परिषद (एमएलसी) चुनावों में वोट देने के लिए उनकी याचिका खारिज करने के बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए सोमवार को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया.

मंत्रियों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मीनाक्षी अरोड़ा ने न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ के समक्ष मामले का उल्लेख किया और आज ही मामले की तत्काल सुनवाई की मांग की.

पीठ ने कहा कि मामले की फाइलें मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना के समक्ष रखी जाएंगी जो तय करेंगे कि मामले की सुनवाई कब होगी और कहा कि यह दोपहर 12 बजे तक सूचित करेगा.

उन्होंने पुलिस एस्कॉर्ट का उपयोग करके वोट डालने के लिए उनकी अस्थायी रिहाई की अनुमति देने के लिए निर्देश मांगा.

इससे पहले, मुंबई में एक विशेष पीएमएलए अदालत ने नवाब मलिक और अनिल देशमुख द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें राज्यसभा चुनाव में मतदान करने के लिए एक दिन की जमानत मांगी गई थी.

दो राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के विधायक मलिक और देशमुख वर्तमान में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा जांच की जा रही अलग-अलग मनी लॉन्ड्रिंग मामलों में विचाराधीन कैदियों के रूप में बंद हैं.

देशमुख को 1 नवंबर, 2021 को मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परम बीर सिंह द्वारा उनके खिलाफ लगाए गए जबरन वसूली और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था.

ईडी ने अल्पसंख्यक विकास मंत्री मलिक को 23 फरवरी को गैंगस्टर दाऊद इब्राहिम के सहयोगियों से कथित रूप से जुड़े एक संपत्ति सौदे में गिरफ्तार किया था। मलिक फिलहाल न्यायिक हिरासत में एक अस्पताल में है.

निचली अदालत ने इससे पहले मलिक और देशमुख को 10 जून को होने वाले राज्यसभा चुनाव के लिए मतदान करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया था.

मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में न्यायिक हिरासत में बंद कैबिनेट मंत्रियों नवाब मलिक को बर्खास्त करने के लिए महाराष्ट्र सरकार को निर्देश देने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका (PIL) दायर की गई है.


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