नई दिल्लीः उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उनका बुलडोजर खूब चर्चा में हैं. अपराधियों और उपद्रवियों को सबक सिखाने के लिए उनकी प्रॉपर्टी पर बुलडोजर का यूज करने की वजह से योगी आदित्यनाथ को ‘बाबा बुलडोजर’ के नाम से जाना जाने लगा. पिछले दिनों उत्तर प्रदेश में जितने भी दंगे हुए या फिर सार्वजनिक प्रॉपर्टी को नुकसान पहुंचाया गया उन दंगों में शामिल लोगों के मकानों को ढहाए जाने पर खूब हो-हल्ला भी मचा. टीवी में डिबेट्स हुईं और बुलडोजर आम जनता की ज़ुबान पर छा गया. अब जब योगी आदित्यनाथ सरकार 2.0 के सौ दिन पूरे हो चुके हैं तो हम आपको बता रहे हैं कि किस तरह से सीएम योगी पर कवियों का दिल आ गया है और कई कवियों ने बुलडोजर और योगी आदित्यनाथ पर तमाम कविताएं गढ़ डालीं.
हम आपको ऐसी ही कुछ कविताओं के वीडियोज़ यहां आपसे शेयर करने वाले हैं जो काफी रोचक हैं और यूट्यूब पर लाखों बार जिन्हें देखा जा चुका है..
नजरें मिलते ही गुंडों की कर दी जो पिटाई
बजरंग बली सा बाबा है बुलडोजर भाई
तेरी पलक झपकी श्रीयोगी
गुंडो की गाड़ी टपकी
दिनेश देशी घी योगी आदित्यनाथ को बुलडोजर भाई कहते हैं और उनकी तारीफ करते हुए उनकी तुलना बजरंग बली से करते हैं. वे योगी के राज में कानून-व्यवस्था और अपराधियों पर किस तरह लगाम लगाया गया है उसका भी जिक्र करते हैं-
यह पूछे जाने पर कि राजनीतिक कविताएं लिखने का ख्याल कैसे आया, इस पर उन्होंने कहा कि ‘राजनीति में रुचि रही है इसलिए राजनीतिक कविताएं लिखता हूं. साथ ही कहीं न कहीं जिसका जैसा नजरिया होता है वह व्यक्ति वैसा ही देखता है हर चीज को कुछ लोगों को बीजेपी के अंदर खामियां भी दिखती होंगी और कोई भी व्यक्ति या सरकार पूरी तरह से न अच्छा होता है और न ही बुरा होता है सिर्फ प्रतिशत का फर्क होता है.’ साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि उनके पसंदीदा कवि हरिओम जी पवार हैं.
सतीश मधुप बताते हैं कि कैसे बाबा के बुलडोजर ने काम किया और दुबारा चुनाव में योगी आदित्यनाथ को जीत दिलाई.
राहुल बोले सीट नहीं आती है चुनावों में, मोदी बोले यही तो गेम छे…. कांग्रेस पार्टी की चुनावों में होती लगातार हार पर सुदीप भोला अपनी कविता के जरिए व्यंग्य करते हैं और मोदी की तारीफ करते हैं.
नमो नमो के नारे, खूब हुए नारे….सारे मोदी के विरोधियों में मेल हो गया…योगी के विरोधियों में मेल हो गया….
साथ ही वे योगी आदित्यनाथ की जीत को ‘काचा बदाम’ की तर्ज पर गाते हैं. इसके अलावा पत्थरबाजी करने वालों को जिस तरह से खोज कर योगी आदित्यनाथ कार्रवाई के बारे में भी बताते हैं. इस वीडियो को यूट्यूब पर लगभग 3 लाख बार देखा जा चुका है.
योगी जी तुम्हें ट्रंप से तिवारी न कर दें… कवि शंभु शिखर ट्रंप की भारत यात्रा को योगी आदित्यनाथ के नाम बदलने से तुलना करते हैं. साथ ही पुलिस महकमें में चल रहे भ्रष्टाचार और घूसखोरी पर भी हल्के-फुल्के तरीके से चोट करते हैं. इसके अलावा उन्होंने अपनी कविता के जरिए योगी आदित्यनाथ के एंटी रोमियो मिशन का भी जिक्र किया. यूट्यूब पर इस वीडियो को 88 हजार से ज्यादा बार देखा जा चुका है.
कवि शंभु शिखर हास्य कविताओं की दुनिया में काफी चर्चित नाम हैं. दिप्रिंट ने उनसे पूछा कि राजनीति जैसे गंभीर विषय पर वह हास्य कविताएं क्यों लिखते हैं तो उन्होंने कहा कि राजनीति गंभीर विषय होते हुए भी उसे हास्य के माध्यम से समझाना आसान होता है और जनता को बात आसानी से समझ भी आ जाती है.
बुलडोजर के मामले में उन्होंने कहा कि कानून-व्यवस्था बनाने का सभी सरकारों का अपना-अपना तरीका होता है. ऐसे में कुछ सरकारें गोली भी चलवा देती हैं तो कुछ बुलडोजर . हालांकि, अग्निपथ स्कीम पर हो रहे बवाल पर उन्होंने कहा कि किसी भी तरह का हिंसक प्रदर्शन उचित नहीं है. जो लोग हिंसा का सहारा लेते हैं वो सेना या पुलिस में भर्ती होने लायक कैसे हो सकते हैं.
राह छोड़ो मेरी या मिलो राह में
बांह में लो मुझे या रहो बांह में
प्यार में जो भी करना है जल्दी करो
जाने क्या चल रहा हो अमित शाह में…
वहीं प्रेम के कवि प्रियांशु गजेंद्र प्रेम की कविता को अमित शाह से जोड़कर सुनाते हैं.
मैं ताजों के लिए समर्पण वंदन गीत नहीं गाता,
दरबारों के लिए कभी अभिनंदन गीत नहीं गाता
कौन भले हो जाऊं लेकिन मौन नहीं हो सकता मैं
पुत्र मोह में शस्त्र त्यागकर द्रोण नहीं हो सकता मैं
कविताएं सरकारों का समर्थन नहीं करतीं….जब जब कविताओं ने सरकारों का समर्थन किया तब तब या तो सरकारें गिर गईं या कविताएं मर गईं.. ये संदेश है हरिओम पवार का. जो कि अपनी कविता के माध्यम से दावा करते हैं कि धारा 370, फूड सिक्योरिटी और नोटबंदी उनकी कविताओं के बाद लागू किए गए. देश को आगे बढ़ाने और बेहतर बनाने के लिए वे कुछ और भी मांगे रखते हैं…
मौन रहो तो सबसे बेहतर
साथ रहो आभारी है
सत्ता की कविता से केवल इतनी रिश्तेदारी है
सारी दुविधा प्रतिशत पर है
सच कितना बोला जाए
गूंगे सिखा रहे हैं हमको मुंह कितना खोला जाए
देश के जाने-माने कवि और कभी आम आदमी पार्टी के सदस्य रहे कुमार विश्वास जमकर अरविंद केजरीवाल सहित सभी पार्टियों पर हमला करते हैं-