सर्वोच्च न्यायालय ने कहा, अगली सुनवाई से पहले राफेल सौदे में निर्णय प्रक्रिया का ब्यौरा सीलबंद लिफाफे में अदालत पहुंचना चाहिए.
नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार को केंद्र सरकार से 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद के संबंध में निर्णय लेने की प्रक्रिया का ब्योरा मांगा है. जबकि केंद्र सरकार की ओर राफेल खरीद में घोटाले संबंधी याचिकाओं का विरोध करते हुए उन्हें खारिज करने की मांग की.
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायाधीश संजय किशन कौल और न्यायाधीश केएम जोसेफ की पीठ ने स्पष्ट किया कि मांगी गई जानकारी जेट विमानों की कीमत या उपयुक्तता से संबंधित नहीं है.
पीठ ने कहा कि सूचना को सीलबंद कवर में पेश किया जाना चाहिए और यह सुनवाई की अगली तारीख यानी 29 अक्टूबर तक अदालत में पहुंचनी चाहिए. मामले की अगली सुनवाई 31 अक्टूबर को होगी.
केंद्र ने न्यायालय से कहा कि राफेल सौदा राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला है. ऐसे मुद्दों की न्यायिक समीक्षा नहीं की जा सकती है. यह याचिकाएं राजनीतिक लाभ लेने के लिए दाखिल की गई हैं.
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गौरतलब है कि राफेल विमान खरीद में केंद्र सरकार पर घोटाले का आरोप लग रहा है. इस मामले में कई याचिकाएं दाखिल की गई हैं जिन पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रही है. इन याचिकाओं में राफेल विमान सौदे में निर्णय प्रक्रिया और अनियमितताओं को चुनौती दी गई है.
दूसरी ओर, कांग्रेस नेता और आरटीआई कार्यकर्ता तहसीन पूनावाला ने इस मामले में दायर अपनी जनहित याचिका वापस ले ली.
गौरतलब है कि 8 अक्टूबर को आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने भी सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी. इसमें उन्होंने भारत द्वारा फ्रांस से राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद मामले की जांच, विशेष जांच टीम (एसआईटी) से कराने की मांग की है.
संजय ने याचिका दाखिल करने के बाद ट्वीट किया था, “राफेल रक्षा सौदे में हुए लगभग 36 हजार करोड़ के महाघोटाले के खिलाफ आज सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की. सरकार ने 540 करोड़ का राफेल 1670 करोड़ में क्यों खरीदा? 78 साल पुरानी एचएएल को दरकिनार कर 12 दिन पुरानी अंबानी को ठेका क्यों दिया? संसद में मंत्री ने झूठ क्यों बोला?”
(समाचार एजेंसी आईएएनएस से इनपुट के साथ)