पोरबंदर: गुजराती व्यापारी विनोद मसानी और उनके भाई हीरालाल ने 2000 के दशक की शुरुआत में एक नौका खरीदी और एक ब्राह्मण पुजारी की सलाह पर इसे ‘कुबेर’ नाम दिया, जो सौभाग्य और धन के देवता का नाम है. लेकिन इसने ट्रॉलर ने मसानी को कोई धन-दौलत तो दी नहीं, उल्टे उनके गले की फांस जरूर बन गई. अजमल आमिर कसाब के मुकदमे में एक अहम सबूत होने के नाते इसे नष्ट करने या बेचने पर रोक के अदालती आदेशों के कारण वह न तो इसका इस्तेमाल कर सकते हैं और न ही इससे छुटकारा पा सकते हैं.
कसाब को फांसी पर चढ़ाने के 10 साल बीत चुके हैं, लेकिन मसानी आज भी वह नाव चलाने में असमर्थ है जिसका लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी और उसके आठ अन्य साथियों ने मुंबई में 26/11 के हमलों को अंजाम देने के लिए अपहरण कर लिया था.
लगभग 15 फीट ऊंची और 52 फीट लंबी यह नौका कभी सफेद रंग की हुआ करती थी जिसका पेंट अब उतर चुका है. मानसून से पहले गुजरात के पोरबंदर बंदरगाह में डॉक तमाम नौकाओं से कुछ अलग कुबेर एक कोने में खड़ी है. यहां से गुजरने वाला कोई भी व्यक्ति इसे देखकर अभी भी सिहर जाता है. मसानी काफी आहत भाव से कहते हैं, ‘इसने मेरी लाइफ बर्बाद कर दी.’
उनके पास कभी 20 ट्रॉलर हुआ करते थे, लेकिन अब पोरबंदर बंदरगाह में केवल पांच नौकाएं ही हैं. उन्हीं में से एक कुबेर भी है. उन्होंने बताया, ‘मौजूदा समय में करीब 5 करोड़ रुपये की मेरी 15 नावें पाकिस्तान में हैं, जिन्हें अधिकारियों ने जब्त कर लिया है. हम लोग बहुत अच्छा काम करते थे, लेकिन आज हमारे पास कुछ नहीं है.’
मुंबई हमले के बाद से बीते समय ने मसानी पर कोई तरस नहीं खाया है, वह अपनी 54 साल की उम्र की तुलना में अधिक उम्रदराज नजर आते हैं. 2014 में एक स्ट्रोक की वजह से उन्हें लकवा मार गया, इससे उन्हें बोलने में दिक्कत होती है और उनकी याददाश्त भी खराब हो गई है. वह कहते हैं, ‘आज मुझे देखो; जिस तरह से बातचीत करता हूं या जिस तरह से बोलने में दिक्कत होती, यह अत्यधिक तनाव और उसकी वजह से हुए स्ट्रोक का नतीजा है.’
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‘टेरर’ बोट
14 नवंबर 2006 को मसानी की दो नौकाएं, एमवी कुबेर और एमवी मां मछली पकड़ने के लिए एक साथ निकली थीं. कुबेर के बिना ही एमवी मां 25 नवंबर को लौट आई. मां के चालक दल के सदस्यों ने कहा कि वे एक तूफान के कारण कुबेर से अलग हो गए थे. मसानी ने अधिकारियों को यह सूचित करने के लिए उनकी नौका खो गई है, 27 नवंबर तक इंतजार किया क्योंकि ट्रॉलर का इस तरह समुद्र में फंस जाना एक आम बात है.
टेलीविजन स्क्रीन पर मुंबई हमले की खबर देखने के दौरान ही मसानी को मुंबई से फोन आया था. अधिकारियों ने वह नौका ढूंढ़ निकाली थी जिसका कसाब एंड कंपनी ने इस्तेमाल किया था. बाद में जांच के दौरान पाया गया कि इसे 26/11 हमले से कुछ दिन पहले पोरबंदर और जखाउ के बीच कहीं हाईजैक किया गया था.
आतंकियों ने कुबेर के अपहरण के बाद चालक दल के सभी सदस्यों की हत्या कर दी थी. संभवत: उन्हें नौका से फेंक दिया गया था क्योंकि शव फिर कभी नहीं मिले. चालक दल के कप्तान की हत्या से पहले उसे नौका को मुंबई लाने पर बाध्य किया गया था. बाद में नौसेना ने उसका शव बरामद किया.
हालांकि, ऐसी भयावह घटना के बाद भी मसानी को रिकॉर्ड समय में अपनी नाव वापस मिल गई. एक विशेष कोर्ट ने आतंकी हमले के ठीक 3 महीने बाद नाव को यह कहते हुए छोड़ दिया कि अगर उसे वापस नहीं किया गया तो उसके मालिक की आजीविका को नुकसान होगा.
लेकिन कुबेर फिर कभी समुद्र में नहीं उतर पाई. कोई भी इस ‘टेरर बोट’ पर नहीं चढ़ना चाहता था. 2009-12 के बीच, जब मसानी ने ट्रॉलर को समुद्र में उतारने की कोशिश की, तो वह किसी को भी क्रू में शामिल होने के लिए साइन अप करने के लिए राजी नहीं कर सके. एक तरह से यह हर किसी के लिए अछूत हो गई थी, जैसा मसानी कहते हैं, ‘किसी को भी नाव पर चढ़ने से बहुत डर लगता था.’
पोरबंदर मछुआरा एवं नाव संघ के पूर्व अध्यक्ष मनीष लोधारी ने कहा, ‘लोग नौका को अच्छी तरह पहचानते थे. यही वह नाव है जिसे अपहृत किया गया था और चालक दल की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी. कोई भी नाव पर चढ़ने से बहुत डरता था.’
प्रायश्चित भी किया
जुलाई 2012 में कसाब को फांसी दिए जाने से कुछ महीने पहले गुजरात के बंदरगाह और मत्स्य विभाग ने कुबेर के मछली पकड़ने के किसी भी अभियान का हिस्सा बनने पर प्रतिबंध लगा दिया था. मसानी ने इस फैसले को बांबे हाईकोर्ट में चुनौती देने की योजना बनाई. हालांकि, उसी समय वह स्ट्रोक के शिकार हो गए और तब से ही कुबेर को समुद्र में उतारने की कानूनी जंग लड़ने में असमर्थ हो गए.
वह बताते हैं, ‘मुझे इसको ठीक-ठाक रखने पर हर साल 3-4 लाख रुपये खर्च करने पड़ते हैं. लेकिन मैं इसका इस्तेमाल नहीं कर सकता हूं. इसने तो मेरी जेब एकदम खाली कर दी है.’
सबसे पहले तो मसानी ने 26/11 हमले में अपनी नौका की भूमिका के लिए ‘प्रायश्चित’ का प्रयास किया. उनके परिवार ने मार दिए गए चालक दल के सदस्यों के चित्र केबिन में लगाकर उन्हें श्रद्धांजलि देने की कोशिश भी की.
चालक दल के सदस्यों को श्रद्धांजलि देने के लिए हमले के तुरंत बाद विनोद के बड़े भाई हीरालाल ने चालक दल के सदस्यों अमर सिंह सोलंकी, रमेश नागजी, बलवंत प्रभु, मुकेश राठौड़ और नाथू नानू की तस्वीरें लगाई थीं.
लेकिन मसानी द्वारा कुबेर को ‘रिइन्वेंट’ करने का फैसला लिए जाने के बाद उन्हें हटा दिया गया.
कानूनी खामी
हालांकि, मसानी अभी कुबेर के लिए अपनी लड़ाई छोड़ने को तैयार नहीं है. वह कोई ‘कानूनी खामी’ तलाश रहे हैं और कुबेर का नाम उन्होंने एक अन्य ट्रॉलर के साथ बदल दिया है जिसे वह स्क्रैप करने की योजना बना रहे हैं. उन्होंने बताया, ‘मैंने अपने पास मौजूद दस्तावेजों को स्क्रैप बोट के लिए इस्तेमाल कर मछली पकड़ने के लिए कुबेर को समुद्र में उतारने की योजना बनाई है. इससे मुझे आवश्यक दस्तावेजों की जरूरत को दरकिनार करने में मदद मिली.’
हालांकि, इससे उन्हें कानून को अंगूठा दिखाने में मदद मिल सकती है, लेकिन इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि लोग ‘टेरर बोट’ पर कदम रखने को तैयार होंगे.
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