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Friday, 22 November, 2024
होमदेशदिल्ली में आंदोलन की योजना बना रहे मोदी के भाई ने कहा- मैं सरकार की नीतियों का विरोध करता हूं, PM का नहीं

दिल्ली में आंदोलन की योजना बना रहे मोदी के भाई ने कहा- मैं सरकार की नीतियों का विरोध करता हूं, PM का नहीं

प्रह्लाद मोदी का कहना है कि वह और उनके बड़े भाई नरेंद्र मोदी पिछले आठ सालों से एक-दूसरे से नहीं मिले हैं, जबसे मोदी ने प्रधानमंत्री का पद संभाला है.

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नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के छोटे भाई प्रह्लाद मोदी दिल्ली में प्रस्तावित एक विरोध मार्च में शामिल होने की तैयारी कर रहे हैं, जिसमें मांग की गई है कि केंद्र सरकार देशभर में उचित मूल्य की दुकानों के डीलरों के लिए तय कमीशन की दर एक समान करे और इन्हें बढ़ाए.

प्रह्लाद मोदी ऑल इंडिया फेयर प्राइस शॉप डीलर्स फेडरेशन के उपाध्यक्ष हैं और इसी की तरफ से यह विरोध मार्च 2 अगस्त को आयोजित किया जाना है, यदि संगठन की तरफ से उठाई गई मांगें जुलाई तक पूरी नहीं की जाती. प्रस्तावित मार्च रामलीला मैदान से शुरू होगा और संसद भवन पर पहुंचकर खत्म होगा.

उचित मूल्य की दुकानें (एफपीएस) वे हैं जिन्हें राशनकार्ड धारकों को चावल और गेहूं जैसी आवश्यक वस्तुओं के अलावा अन्य चीजें वितरित करने के लिए लाइसेंस दिया गया है.

ऑल इंडिया फेयर प्राइस शॉप डीलर्स फेडरेशन, जिसका मुख्यालय कोलकाता में है, उचित मूल्य की दुकान के मालिकों का प्रतिनिधित्व करता है और फेडरेशन की वेबसाइट के मुताबिक इसका उद्देश्य ‘सार्वभौमिक सार्वजनिक वितरण प्रणाली कायम करना और हंगर-फ्री इंडिया की परिकल्पना करना है.’

महासंघ के सह-अध्यक्ष काली चरण गुप्ता ने दिप्रिंट को बताया कि वे पिछले करीब 10 सालों से कमीशन बढ़ाने की मांग उठा रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘हमें एक किलो राशन पर 70 पैसे का कमीशन मिलता था, अब हमें 90 पैसे मिलता है. हम चार रुपये कमीशन की मांग कर रहे हैं.’

यह संगठन सभी राज्यों में एफपीएस मालिकों के लिए एक समान कमीशन की भी मांग करता है. फेडरेशन के सह-अध्यक्ष पुष्प राज देशमुख ने दिप्रिंट को बताया, ‘कुछ राज्यों में यह (मेघालय में) 30 रुपये प्रति क्विंटल मात्र ही है. केंद्र सरकार की तरफ से राज्य सरकारों को एक विशेष राशि आवंटित की जाती हैं और राज्य इसे आगे लागू करते हैं. केंद्र को सभी राज्यों में एक निश्चित समान दर तय करनी चाहिए.’

खुद अहमदाबाद में एक राशन की दुकान चलाने वाले प्रह्लाद मोदी जोर देकर कहते हैं कि वह अपने भाई के खिलाफ नहीं, बल्कि सरकार की नीतियों के खिलाफ विरोध कर रहे हैं.

प्रह्लाद मोदी ने दिप्रिंट से कहा, ‘बिना मांगे तो मां भी नहीं देती. मैं संगठन के साथ काम करता हूं और मैं वही करता हूं जो उचित लगता है. संगठन जो करने का फैसला करेगा, मैं उसका पूरा समर्थन करूंगा.’

उन्होंने बताया कि मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से पिछले आठ सालों में दोनों भाई नहीं मिले हैं. उन्होंने कहा, ‘यहां तक कि जब वह हमारी मां हीराबेन से मिलने आते हैं, तो परिवार से कोई भी सदस्य वहां मौजूद नहीं होता है.’


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कई बार किया विरोध प्रदर्शन

उन्हें ‘देश का बेटा’ बताते हुए प्रह्लाद मोदी ने कहा, ‘नरेंद्र भाई ने 1970 के दशक में घर छोड़ दिया था. तबसे वे देश के बेटे हैं और राष्ट्र ही उनका परिवार है. इसलिए उनके साथ मेरे रिश्तों के बारे में चर्चा का कोई मतलब नहीं है. वह हमेशा हर जगह सिर्फ राष्ट्र हित की बात करते हैं.’

2001 में स्थापना के समय से ही ऑल इंडिया फेयर प्राइस शॉप डीलर्स फेडरेशन के साथ जुड़े प्रह्लाद मोदी संगठन के साथ उचित मूल्य की दुकान के मालिकों के लिए कमीशन का मुद्दा काफी समय से उठा रहे हैं.

अगस्त में प्रस्तावित विरोध प्रदर्शन कोई पहला मौका नहीं है जब वह सरकार की नीतियों का विरोध करने वाले हैं. 2015 में प्रधानमंत्री मोदी के सत्ता में आने के ठीक एक साल बाद, उन्होंने संगठन की ओर उचित मूल्य की दुकान के मालिकों के लिए मुआवजा बढ़ाने की मांग को लेकर किए गए एक प्रदर्शन में हिस्सा लिया था और कहा था कि एनडीए सरकार ‘लोगों की उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पाई है.’

यूपी पुलिस द्वारा कथित तौर पर उनके समर्थकों को हिरासत में लिए जाने के बाद फरवरी 2021 में उन्होंने लखनऊ एयरपोर्ट पर धरना दिया था. हालांकि, पुलिस ने आरोपों से इनकार किया था और उनके समर्थकों पर आवश्यक अनुमति के बिना एक कार्यक्रम के आयोजन की कोशिश करने का आरोप लगाया था.

उसी वर्ष बाद में, उन्होंने व्यापारियों से कहा कि जब तक व्यापारी संघ की तरफ से की गई विभिन्न मांगों को पूरा नहीं किया जाता, तब तक जीएसटी का भुगतान नहीं करें.

गुप्ता के मुताबिक, प्रह्लाद मोदी के प्रधानमंत्री के साथ रिश्ते का कोई फायदा नहीं हुआ है. उन्होंने कहा, ‘टीएमसी सांसद सौगत रॉय हमारे अध्यक्ष हैं. तमाम बड़े नाम हमारे संगठन से जुड़े हैं. लेकिन हम क्या कर सकते हैं? हमारे मुद्दे अभी भी हल नहीं हुए हैं.’ साथ ही जोड़ा कि अगर केंद्र ने जुलाई के अंत तक हमारी मांगों पर ध्यान नहीं दिया, तो संगठन से जुड़े 15 लाख लोग 2 अगस्त को विरोध मार्च निकालेंगे.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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