मुंबई, 11 जून (भाषा) पॉक्सो कानून के तहत या छेड़खानी आदि के मामलों में जोनल डीसीपी (पुलिस उपायुक्त) की अनुमति के बगैर प्राथमिकी दर्ज नहीं करने संबंधी सर्कुलर को लेकर आलोचना का सामना कर रहे मुंबई पुलिस के आयुक्त संजय पांडेय ने शनिवार को कहा कि इसपर पुन:विचार किया जा सकता है।
सोमवार को जारी सर्कुलर में कहा गया है कि छेड़खानी और यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो)कानून के तहत किसी भी मामले में प्राथमिकी सहायक पुलिस आयुक्त की सिफारिश और जोन के पुलिस उपायुक्त की मंजूरी के बाद ही दर्ज की जाएगी।
सर्कुलर में कहा गया है कि संपत्ति, धन और निजी विवाद के कारण कई बार इन धाराओं में मामला दर्ज किया जाता है, इसलिए यह कदम उठाया गया है।
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने हालांकि, बृहस्पतिवार को इस आदेश को वापस लेने की मांग करते हुए कहा कि यह यौन उत्पीड़न/हिंसा के शिकार हुए लोगों के अधिकारों का उल्लंघन होगा।
वहीं,राज्य के बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने अगले ही दिन पुलिस आयुक्त पांडेय से तत्काल आदेश वापस लेने को कहा था।
आयुक्त ने अपने निजी ट्विटर हैंडल पर इस संबंध में शनिवार को प्रतिक्रिया दी है।
पांडेय ने लिखा है, ‘‘बेहद थकाने वाला सप्ताह रहा है…सर्कुलर को लेकर कुछ भ्रम की स्थिति पैदा हो गई है। हमने दुरुपयोग को कम करने का प्रयास किया, लेकिन ज्यादातर लोगों को अगर यह उचित नहीं लगता है तो इस पर पुन:विचार किया जाएगा।’’
भाषा अर्पणा सुभाष
सुभाष
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.