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Saturday, 16 November, 2024
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स्वस्तिका राष्ट्रमंडल खेलों की टीम से बाहर करने पर दिल्ली उच्च न्यायालय पहुंचने वाली तीसरी खिलाड़ी

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नयी दिल्ली, नौ जून (भाषा) स्वस्तिका घोष गुरुवार को राष्ट्रमंडल खेलों के लिये भारतीय टेबल टेनिस टीम में शामिल नहीं किये जाने पर दिल्ली उच्च न्यायालय का रूख करने वाली तीसरी खिलाड़ी बन गयीं।

उनके पिता और कोच संदीप घोष ने पीटीआई से कहा कि उन्होंने दिल्ली उच्च न्यायालय में एक ‘रिट याचिका’ दायर की है और इसकी सुनवाई शुक्रवार को होगी।

संदीप घोष ने कहा, ‘‘वह चयन मानदंड के हिसाब से चौथे नंबर की खिलाड़ी है और उसे टीम में होना चाहिए। ’’

दिया चितले और मानुष शाह ने भी इस मामले में उच्च न्यायालय के हस्तक्षेप की मांग की थी।

चितले को अब अर्चना कामत की जगह टीम में शामिल कर लिया गया है लेकिन चयनकर्ताओं ने मानुष को पुरूष टीम में शामिल नहीं किया जो भी मानंदड के हिसाब से शीर्ष चार में थे। भारतीय टेबल टेनिस महासंघ (टीटीएफआई) का कामकाज देख रही प्रशासकों की समिति ने मंगलवार को अंतिम टीम की घोषणा की थी। मानुष के मामले की भी शुक्रवार को सुनवाई की जायेगी।

स्वस्तिका (19 वर्ष) को मनिका बत्रा, चितले, रीथ रिष्या और श्रीजा अकुला वाली संशोधित टीम में ‘स्टैंडबाय’ के तौर पर रखा गया था।

पुरूष टीम में अनुभवी शरत कमल, जी साथियान, हरमीत देसाई, सानिल शेट्टी के साथ मानुष ‘स्टैंडबाय’ हैं।

चयन मानदंड में घरेलू प्रदर्शन (50 प्रतिशत), अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शन (30 प्रतिशत) और चयनकर्ताओं के निर्णय (20 प्रतिशत) को देखा जाता है लेकिन पिछले कुछ समय में यह काफी सुर्खियों में रहा क्योंकि कई खिलाड़ियों ने न्याय के लिये अदालत का दरवाजा खटखटाया।

सीओए ने इस प्रतिशत को अगले सत्र से 40-40-20 कर दिया है जिसमें शीर्ष 32 में शामिल खिलाड़ी स्वत: ही टीम में प्रवेश कर लेगा।

एक पूर्व भारतीय खिलाड़ी ने गोपनीयता की शर्त पर कहा कि चयन मानंदड ओलंपिक और राष्ट्रमंडल खेलों जैसे बड़े टूर्नामेंट के लिये ही होना चाहिए।

इस खिलाड़ी ने कहा, ‘‘चयन मानंदड खिलाड़ी के लिये मार्गदर्शक की तरह काम करता है। इस मानदंड से खिलाड़ी को पता है कि भारतीय टीम में जगह बनाने के लिये उसे क्या करने की जरूरत है। लेकिन कुछ खिलाड़ी बाकियों से ऊपर होते हैं तो इसमें रियायत दी जा सकती है। ’’

उन्होंने कहा, ‘‘मौजूदा मानदंड में काफी तवज्जो घरेलू प्रतियोगिताओं को दी जाती है जो उचित भी है क्योंकि सभी खिलाड़ी नियमित रूप से अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में नहीं खेल पाते। दूसरा अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में प्रविष्टियों की संख्या भी सीमित होती है। ’’

अगर खिलाड़ी की बात पर गौर किया जाये तो साथियान और मनिका अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत के शीर्ष खिलाड़ी हैं लेकिन अगर चयन मानदंड का सख्ती से पालन किया जाये तो वे बर्मिंघम में राष्ट्रमंडल खेलों के लिये भारतीय टीम में जगह नहीं बना सकेंगे।

उन्होंने कहा, ‘‘शरत, साथियान और मनिका को देखें तो आप जानते हो कि वे बाकियों से ऊपर हैं। उन्हें टीम में होना ही चाहिए लेकिन अन्य के लिये आपको चयन मानदंड की जरूरत है क्योंकि उन्हें इसके लिये कुछ काम करने की आवश्यकता है। ’’

साथियान इस समय 34वीं रैंकिंग पर काबिज सर्वश्रेष्ठ भारतीय हैं। मनिका की रैंकिंग 39 हैं जो महिलाओं में सबसे ऊंची रैंकिंग पर हैं। शरत मानंदड में फिट बैठते हैं, उनकी रैंकिंग 38 है और यकीनन वह भारत के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी हैं।

भाषा नमिता सुधीर

सुधीर

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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