मुंबई, नौ जून (भाषा) बंबई उच्च न्यायालय ने सीबीआई निदेशक के रूप में सुबोध कुमार जायसवाल की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर बृहस्पतिवार को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई), केंद्र सरकार और भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी जायसवाल को नोटिस जारी किया।
मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति एम. एस. कार्णिक की पीठ ने प्रतिवादी एजेंसियों और जायसवाल को 18 जुलाई तक याचिका पर अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। पीठ महाराष्ट्र पुलिस के पूर्व सहायक पुलिस आयुक्त (एसीपी) राजेंद्र त्रिवेदी की याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
त्रिवेदी के वकील एस. बी. तालेकर ने बृहस्पतिवार को एक हलफनामा प्रस्तुत किया, जिसमें कहा गया कि 2012 में जायसवाल के खिलाफ मानहानि की एक निजी शिकायत दर्ज की गई थी और मजिस्ट्रेट की अदालत ने इसका संज्ञान लिया था तथा उनके खिलाफ प्रक्रिया शुरू की थी। तालेकर ने कहा कि मामले की सुनवाई लंबित थी।
उच्च न्यायालय ने हलफनामे को रिकॉर्ड पर रखा। इस मामले में आगे 28 जुलाई को सुनवाई होगी। महाराष्ट्र के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) रह चुके जायसवाल को पिछले साल मई में सीबीआई निदेशक नियुक्त किया गया था।
अधिवक्ता तालेकर के माध्यम से दायर अपनी याचिका में त्रिवेदी ने सीबीआई निदेशक के रूप में जायसवाल की नियुक्ति को रद्द करने का अनुरोध किया है। त्रिवेदी ने अपनी याचिका में दावा किया कि जायसवाल की नियुक्ति दिल्ली पुलिस स्थापना अधिनियम का उल्लंघन है और उच्च न्यायालय से दावेदार के तौर पर जायसवाल के नाम को मंजूरी देने वाली तीन सदस्यीय समिति के रिकॉर्ड और अन्य विवरण मंगाने के लिए निर्देश देने का अनुरोध किया।
याचिका में कहा गया है कि सीबीआई निदेशक को अनिवार्य रूप से सबसे वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी होना चाहिए, जिनकी साख असंदिग्ध हो तथा भ्रष्टाचार विरोधी मामलों की जांच का अनुभव हो। याचिका में कहा गया कि एक पुलिस अधिकारी के रूप में जायसवाल अपने कार्यकाल के दौरान कभी भी किसी भी भ्रष्टाचार विरोधी शाखा से नहीं जुड़े थे और इसलिए, उनके पास अधिनियम के तहत आवश्यक अनुभव नहीं था।
याचिका में यह भी कहा गया है कि 2002 में, जायसवाल की अध्यक्षता में एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया था, जो उस समय उप महानिरीक्षक थे। तेलगी मामले में जाली स्टांप के मामले की जांच के लिए यह एसआईटी गठित की गई थी। याचिका में कहा गया कि इस मामले में उच्चतम न्यायालय ने जायसवाल के खिलाफ सख्ती बरती और मामले को सीबीआई को स्थानांतरित कर दिया था।
भाषा आशीष अविनाश
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