नयी दिल्ली, आठ जून (भाषा) पैगंबर मोहम्मद को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के दो पूर्व पदाधिकारियों की टिप्पणियों की देश और विदेश में हो रही निंदा के बीच, जाने माने अभिनेता नसीरुद्दीन शाह ने बुधवार को उम्मीद जताई कि एक दिन लोगों में अच्छी समझ कायम होगी और मुसलमानों के खिलाफ ‘‘घृणा की लहर’’ नष्ट हो जाएगी।
कई बार राष्ट्रीय पुरस्कार जीत चुके शाह ने एक समाचार चैनल को दिए साक्षात्कार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हस्तक्षेप करने और ‘‘इस जहर को फैलने से रोकने का’’ आग्रह किया।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं उनसे (प्रधानमंत्री से) अनुरोध करूंगा कि वे इन लोगों को थोड़ी अच्छी समझ दें। ऋषिकेश में धर्म संसद में जो कहा गया, यदि वह उसमें भरोसा करते हैं, तो उन्हें ऐसा कहना चाहिए। यदि वह इसमें भरोसा नहीं करते, तो भी उन्हें यह बात कहनी चाहिए।’’
भाजपा ने पैगंबर के खिलाफ विवादित टिप्पणियां करने को लेकर अपनी राष्ट्रीय प्रवक्ता नुपुर शर्मा को रविवार को निलंबित कर दिया था और अपनी दिल्ली इकाई के मीडिया प्रमुख नवीन कुमार जिंदल को निष्कासित कर दिया था।
शाह ने एक निजी चैनल से कहा, ‘‘भारत सरकार ने जो कार्रवाई की, बहुत बहुत कम और बहुत देर से की। ’’
उन्होंने कहा, ‘‘पाकिस्तान, बांग्लादेश या अफगानिस्तान, जिन्हें हम एक दिन ‘अखंड भारत’ में शामिल करने की उम्मीद रखते हैं, ऐसे देशों में इस प्रकार के बयान का मतलब मौत की सजा होगा, क्योंकि इन्हें ईशनिंदा समझा जाएगा। यहां शीर्ष पर बैठे लोगों ने कुछ नहीं बोला और आस्था रखने वाले लाखों लोगों को हुई पीड़ा की बात किसी ने नहीं कही।’’
सत्तारूढ़ दल से निलंबित किए जाने के बाद शर्मा ने ‘‘बिना शर्त’’ माफी मांगी, जिसे अभिनेता ने ‘‘पाखंड’’ बताया।
उन्होंने कहा, ‘‘आहत भावनाओं को शांत करना शायद ही इसका मकसद था। यदि नफरत पैदा करने वाली इस प्रकार की बात फिर से की जाए, तो मुझे हैरानी नहीं होगी। यह विडंबना है कि आप शांति और एकता की बात करते हैं, तो आपको एक साल से अधिक समय तक जेल में बंद कर दिया जाता है। आप नरसंहार की बात करते हैं, तो आपको मामूली सी सजा मिलती है। यहां दोहरे मापदंड अपनाए जा रहे हैं। यह जॉर्ज ऑरवेल के उपन्यास ‘1984’ में दिखाई गई दोहरी सोच की तरह है।’’
जॉर्ज ऑरवेल ने अपने उपन्यास 1984 में दोहरी सोच को ‘‘एक दिमाग में दो परस्पर विरोधाभासी विचार बनाए रखने और दोनों पर एक साथ विश्वास करने’’ के रूप में परिभाषित किया है।
शाह ने कहा कि शर्मा कोई ‘‘हाशिए का तत्व’’ नहीं हैं, जैसा कि भाजपा ने दावा किया है।
उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि समझदार हिंदू मुस्लिम समुदाय के खिलाफ घृणा के विरुद्ध बोलें।
उन्होंने कहा कि वह ‘‘घृणा का प्रचार’’ के लिए टीवी समाचार चैनलों और सोशल मीडिया को ‘‘पूरी तरह जिम्मेदार’’ ठहराते हैं।
शाह ने वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के मौजूदा मामले का स्पष्ट जिक्र करते हुए कहा, ‘‘यह पैदा की गई घृणा है। यह एक तरह का जहर है जो तब उगलना शुरू हो जाता है, जब आपका सामना किसी विपरीत सोच वाले व्यक्ति से होता है।… मैं सोचता हूं कि वह समय कितनी दूर है, जब हर गिरजाघर के नीचे शिवलिंग खोजने शुरू कर दिए जाएंगे।’’
बहरहाल, उन्होंने शर्मा और उनके परिवार को जान से मरने को लेकर मिल रही धमकियों की निंदा की ।
शाह ने कहा, ‘‘यह रास्ता गलत है। इसलिए पाकिस्तान और अफगानिस्तान में इतनी अराजकता है। हम इन देशों का अनुकरण नहीं करना चाहते लेकिन क्या चाहे-अनचाहे हम ऐसा कर रहे हैं? केवल गोवध करने पर ही नहीं, बल्कि गोवध के संदेह में भी लोगों की पीट-पीट कर हत्या की जा रही है, मृत गाय की खाल उतारने वाले अछूत (समझे जाने वाले) लोगों को सार्वजनिक रूप से कोड़े मारे जाते हैं। भारत में ऐसी चीजें नहीं होती थी, बल्कि बर्बर इस्लामी देशों में होती हैं।’’
यह पूछे जाने पर कि शाहरुख शान, सलमान खान और सैफ अली खान क्या आज अपने विचार रख सकते हैं, शाह ने कहा कि वह इन बॉलीवुड कलाकारों की ओर से बात नहीं कर सकते।
उन्होंने शाहरुख खान की प्रशंसा करते हुए कहा कि नशीले पदार्थों के मामले में अपने बेटे आर्यन खान की गिरफ्तारी के समय उन्होंने मीडिया को बड़ी शालीनता से संभाला।
उन्होंने कहा कि लॉकडाउन में लोगों के लिए इतना काम करने के लिए सराहे जाने के बावजूद सोनू सूद के खिलाफ छापे मारे गए।
‘द कश्मीर फाइल्स’ को ‘‘कश्मीरी हिंदुओं की पीड़ा का लगभग काल्पनिक संस्करण’’ करार देते हुए अभिनेता ने कहा कि सरकार समुदाय की सुरक्षा और पुनर्वास सुनिश्चित करने के बजाय इसे बढ़ावा दे रही है।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं बस यही चाहता हूं कि किसी तरह लोगों में अच्छी समझ पैदा हो, लेकिन मुझे यह आशा नहीं है कि यह बहुत जल्द होगा। नफरत की यह लहर किसी दिन समाप्त हो जाएगी, भले ही यह मेरे जीवनकाल में नहीं होगा, लेकिन यह लहर एक दिन नष्ट होगी।’’
भाषा सिम्मी नरेश
नरेश
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