नयी दिल्ली, आठ जून (भाषा) चिकित्सा कर्मियों के खिलाफ हिंसा रोकने के उद्देश्य से राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (एनएमसी) ने अपने मसौदा पेशेवर आचरण नियमन में मरीजों या उनके रिश्तेदारों के दुर्व्यवहार या हिंसक व्यवहार करने पर चिकित्सकों द्वारा इलाज करने से इनकार करने का प्रस्ताव किया है।
मसौदा राष्ट्रीय आयुविज्ञान आयोग पंजीकृत मेडिकल प्रैक्टिशनर (पेशेवर आचरण) नियमन, 2022 के अनुसार, किसी अस्पताल में मरीज के इलाज के लिए जिम्मेदार चिकित्सक से मेडिकल रिकार्ड के लिए मरीज या अधिकृत तीमारदार द्वारा कोई अनुरोध किये जाने पर दस्तावेज मौजूदा 72 घंटे के प्रावधान के बजाय सात कार्य दिवस में उपलब्ध कराने होंगे।
चिकित्सा आपात स्थिति में मेडिकल रिकार्ड उसी दिन उपलब्ध कराना होगा।
मसौदा नियमन में कहा गया है, ‘‘मरीज का इलाज करने वाला चिकित्सक अपने कार्यों के लिए पूरी तरह से जवाबदेह होगा और उपयुक्त शुल्क पाने का हकदार होगा। मरीज या उसके रिश्तेदार द्वारा दुर्व्यवहार या हिंसक व्यवहार करने पर चिकित्सक मरीज का इलाज करने से इनकार कर सकता है। इस तरह के मरीजों को आगे के इलाज के लिए कहीं और भेज देना चाहिए। ’’
इसमें यह भी कहा गया है कि ड्यूटी के दौरान या ड्यूटी पर नहीं होने के दौरान शराब या अन्य नशीले पदार्थों के सेवन, जो पेशेवर कार्य को प्रभावित कर सकते हैं, को कदाचार माना जाएगा।
एनएमसी के आचार एवं मेडिकल पंजीकरण बोर्ड के सदस्य डॉ योगेंदर मलिक ने कहा कि शुल्क अदा नहीं किये जाने पर चिकित्सक इलाज करने से मना कर सकता है। यह नया प्रावधान जोड़ा गया है। हालांकि, यह सरकारी सेवा या आपात सेवा में शामिल चिकित्सकों पर लागू नहीं होगा तथा मसौदा नियमन में यह स्पष्ट किया गया है कि चिकित्सक यह अवश्य सुनिश्चित करेंगे कि मरीज को इलाज के बिना नहीं जाने दिया जाएगा
साथ ही, पहली बार आपात स्थिति (इमरजेंसी) को ‘जीवन और अंग बचाने वाली प्रक्रिया’ के रूप में परिभाषित किया गया है।
डॉ मलिक ने कहा कि पूर्व में इमरजेंसी को स्पष्ट रूप से परिभाषित नहीं किया गया था।
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सुभाष उमा
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