नई दिल्ली: पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ विवादास्पद बयानों के मामले में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की तरफ से अपनी राष्ट्रीय प्रवक्ता नूपुर शर्मा को निलंबित किए जाने और दिल्ली मीडिया सेल के प्रमुख नवीन कुमार जिंदल को निष्कासित करने के एक दिन बाद सोमवार को पार्टी नेताओं में खासी बेचैनी देखी गई. कई नेताओं ने दावा किया कि यह प्रकरण उन लोगों के लिए एक सबक है जो ‘बोलने से पहले कुछ सोचते नहीं हैं.’
हालांकि, राष्ट्रीय प्रवक्ताओं के लिए आधिकारिक तौर पर पार्टी की तरफ से कोई सलाह या आंतरिक निर्देश जारी नहीं किया गया है लेकिन दिप्रिंट को मिली जानकारी के मुताबिक, कम से कम दो राज्य इकाइयों ने अपने प्रवक्ताओं और मीडिया पैनलिस्ट को सलाह दी है कि केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार के आठ वर्षों के शासनकाल की उपलब्धियों पर ध्यान केंद्रित करें और टेलीविजन पर राजनीतिक बहसों में शामिल होने के दौरान ‘मर्यादा लांघने से बचें.’
भाजपा के भीतर कई लोगों ने यह दावा भी किया कि राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह के सभी धर्मों का सम्मान करने संबंधी बयान को पार्टी के भीतर ‘मुश्किल खड़ी करने वाले तत्वों’ के लिए एक संदेश के तौर पर देखा जा रहा है.
नूपुर शर्मा और जिंदल के खिलाफ कार्रवाई भाजपा की तरफ से किसी भी धार्मिक व्यक्तित्व के अपमान की निंदा करने वाला एक बयान जारी किए जाने के तुरंत बाद हुई है और माना जा रहा है कि यह कदम मुसलमानों के खिलाफ बयानों को लेकर पार्टी के प्रति बढ़ती नाराजगी को देखते हुए उठाया गया है.
इन दोनों भाजपा नेताओं की विवादास्पद टिप्पणियों ने भारत को कतर, कुवैत, ईरान, सऊदी अरब, बहरीन और पाकिस्तान जैसे देशों की तरफ से राजनयिक हमले का निशाना बना दिया जिन्होंने वहां तैनात भारतीय दूतों को तलब किया था. अफगानिस्तान की तालिबान सरकार और मक्का की ग्रैंड मस्जिद के इमाम शेख अब्दुर रहमान अल सुदैस भी इन विवादित बयानों की निंदा करने वालों में शामिल थे.
माना जाता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित भाजपा का पूरा नेतृत्व नूपुर शर्मा द्वारा एक टेलीविजन बहस के दौरान पैगंबर के खिलाफ दिए गए बयान से नाराज था.
हालांकि, भाजपा के कुछ लोगों का कहना है कि नूपुर शर्मा और जिंदल के खिलाफ भाजपा की कार्रवाई को सभी प्रवक्ताओं के लिए संदेश के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए और उनके दिए बयान वास्तव में एक ‘गलती’ है.
भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘मैं नूपुर शर्मा के प्रकरण को सभी प्रवक्ताओं के लिए एक संदेश के तौर पर नहीं देखूंगा. हमारा ध्यान हमेशा गरीब कल्याण और विकास पर केंद्रित रहा है. और अगर कुछ ऐसा होता है जिसकी वजह से हम इससे भटक जाते हैं तो उसमें सुधार करते हैं जैसा इस मामले में भी हुआ है. प्रधानमंत्री मोदी का ध्यान हमेशा गरीब समर्थक नीतियों और विकास पर रहा है और हम ऐसी किसी भी चीज की अनुमति नहीं दे सकते जो इससे ध्यान भटकाए.’
उन्होंने आगे कहा कि पार्टी को लगा कि यह प्रकरण सरकार के मुख्य एजेंडे से ध्यान हटा रहा है और इसलिए निलंबन जैसा कदम उठाने की जरूरत पड़ी.
नूपुर शर्मा और जिंदल के खिलाफ कार्रवाई पर टिप्पणी के लिए दिप्रिंट राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ तक भी पहुंचा, लेकिन आरएसएस ने इसे पार्टी का आंतरिक मामला बताते हुए टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.
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‘टीवी डिबेट में बहुत ज्यादा दबाव झेलना पड़ता है’
सूत्रों के मुताबिक, भारतीय जनता पार्टी की दिल्ली इकाई ने मीडिया प्रभारी नवीन कुमार जिंदल को उनके विवादास्पद बयान के लिए निष्कासित किए जाने के बाद एक एडवाइजरी जारी कर सदस्यों से कहा है कि चर्चा-बहस आदि के दौरान नरेंद्र मोदी सरकार के आठ वर्षों के शासनकाल और इस दौरान हासिल की गई उपलब्धियों पर ध्यान केंद्रित करे.
दिल्ली भाजपा के एक नेता ने कहा, ‘सभी को निर्देश दिया गया है कि केवल मोदी सरकार और उसकी नीतियों से जुड़े मुद्दों को रेखांकित करें और उसी पर बोलें. अगर उन्हें बहस के लिए आमंत्रित किया जाता है तो उन्हें केंद्र में मोदी सरकार द्वारा लाखों लोगों का जीवन आसान बनाने के लिए उठाए गए कदमों को सामने लाने पर ध्यान देना चाहिए.’
दिप्रिंट को मिली जानकारी के मुताबिक, दिल्ली इकाई ने प्रवक्ताओं और नेताओं को सलाह दी है कि वे मर्यादा रेखा न लांघें और ‘सोच-समझकर बोलें’, खासकर टीवी डिबेट और सोशल मीडिया पर पोस्ट करने के दौरान.
दिल्ली भाजपा के नेता ने कहा, ‘शब्दों का असर काफी गहरा होता है और इसलिए उन्हें समझदारी से चुनना चाहिए. भाजपा हर धर्म का सम्मान करती है और इसलिए किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना स्वीकार्य नहीं है.’
उन्होंने आगे कहा कि ‘पार्टी की नीतियों और उसकी विचारधारा की रक्षा करना हमारे प्रवक्ताओं का काम है लेकिन यह ध्यान रखा जाना चाहिए कि हम किसी और की भावनाओं को ठेस न पहुंचाएं, खासकर धार्मिक भावनाओं का अनादर न करें.’
नेता ने यह भी कहा कि टीवी पर बहस या धार्मिक मुद्दों पर चर्चा करने वाले कार्यक्रमों में शामिल होने से बचने की तो कोई सलाह जारी नहीं की गई है लेकिन सदस्यों को अपने शब्दों को ‘सावधानीपूर्वक’ चुनने को जरूर कहा गया है.
एक दूसरे केंद्रीय भाजपा नेता ने कहा कि नूपुर शर्मा और जिंदल के मामले इसलिए भी काफी अहम हो गए क्योंकि विदेशों में आलोचना का सामना करना पड़ा और इससे प्रधानमंत्री मोदी की वैश्विक छवि भी जुड़ी थी.
उन्होंने कहा, ‘हमें सरकार भी चलानी है. यह प्रकरण प्रधानमंत्री मोदी की वैश्विक छवि को नुकसान पहुंचा रहा था. वह एक ऐसे नेता हैं जिन्हें खाड़ी समेत सभी देश पसंद करते हैं. हमारी सरकार ने जाति, पंथ और धर्म से ऊपर उठकर समाज के सभी वर्गों के लिए काम किया है और इस प्रकरण ने उस छवि को ही खतरे में डाल दिया जिसे बनने में सालों लगे हैं. और इसलिए ही कार्रवाई की गई.
भाजपा सूत्रों के मुताबिक मध्य प्रदेश की मीडिया इकाई को हमेशा ही अपने सार्वजनिक बयानों में राज्य और केंद्र सरकारों की विकास और गरीब समर्थक नीतियों पर ध्यान देने के लिए कहा जाता रहा है. सोमवार को प्रदेश इकाई के मीडिया विभाग की बैठक हुई थी.
मध्य प्रदेश के एक वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा, ‘सोमवार को हुई एक बैठक में अन्य मुद्दों पर चर्चा के अलावा यह भी बताया गया कि ‘फिजूल की बातों’ से दूर रहने और हमारे मुख्य एजेंडे पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है जो सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास है.’
भाजपा के एक तीसरे केंद्रीय नेता ने कहा कि पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता अपने विचार ‘दृढ़ता’ से रखेंगे.
सभी धर्मों के सम्मान करने संबंधी अरुण सिंह के बयान का जिक्र करते हुए नेता ने कहा, ‘वे (पार्टी के प्रवक्ता) टीवी डिबेट या सोशल मीडिया पर पार्टी का बचाव करना जारी रखेंगे लेकिन इसका ध्यान रखना होगा कि मर्यादा न लांघें. हालांकि केंद्र की ओर से कोई एडवाइजरी जारी नहीं की गई है लेकिन कई लोग अरुण सिंह के बयान को सभी के लिए एक संदेश के तौर पर देख रहे हैं.’
इस बीच, पार्टी के कुछ राष्ट्रीय प्रवक्ताओं ने इस पर भी बात की कि टेलीविजन पर होने वाली बहसों के दौरान उन्हें हर रोज किस कदर ‘दबाव’ का सामना करना पड़ता है.
एक प्रवक्ता ने कहा, ‘हर कोई हमें एक ही नजर से देखने में व्यस्त है. जब हम इन टीवी डिबेट्स के लिए जाते हैं तो हम पर बेहतर प्रदर्शन का बहुत ज्यादा दबाव होता है. केंद्रीय नेताओं से लेकर जनता तक सबकी हमारे प्रदर्शन पर नजर रहती है. जरा उन कुछ कार्यक्रमों के नाम देखें जहां हमें आमंत्रित किया जाता है (नाम विवादास्पद हैं) और फिर हमें जहरीली भाषा इस्तेमाल करने के लिए दोषी ठहराया जाता है.’
उन्होंने आगे कहा, ‘मुझे पूरी उम्मीद है कि यह प्रकरण (नूपुर शर्मा का मामला) ध्रुवीकरण को लेकर टीवी पर होने वाली उत्तेजक बहस पर लगाम कसने में मदद करेगा. निश्चित तौर पर एक स्तर पर मीडिया को भी आत्ममंथन की जरूरत है. नूपुर ने यह टिप्पणी एक बेहद उत्तेजक टीवी डिबेट के दौरान की थी.’
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