नई दिल्ली: मालदीव की संसद ने सोमवार को पेश उस प्रस्ताव को खारिज कर दिया जिसमें राष्ट्रपति इब्राहिम सोलिह की सरकार को भारत में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के दो नेताओं द्वारा पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ की गई अपमानजनक टिप्पणी की निंदा करने के लिए कहा गया था.
यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब कई अरब देशों ने इन विवादास्पद बयानों को लेकर भारत के खिलाफ कूटनीतिक मोर्चा खोल रखा है.
इस आपातकालीन प्रस्ताव को मालदीव के विपक्षी सांसद और पूर्व रक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा मंत्री एडम शरीफ ने दायर किया था. कुल 43 सांसदों ने इस प्रस्ताव पर मतदान किया और इसे केवल 10 सांसदों द्वारा पक्ष में मतदान किये जाने के साथ खारिज कर दिया गया, जबकि शेष 33 ने इसके खिलाफ मतदान किया था.
निंदा किये जाने का यह आह्वान भारत में बीजेपी प्रवक्ता नुपुर शर्मा और नवीन जिंदल के बयानों को लेकर सऊदी अरब, बहरीन और खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी) तथा इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) जैसी संस्थाओं सहित अरब दुनिया के अन्य मुस्लिम-बहुल देशों से मिल रही विपरीत प्रतिक्रिया का सामना करने के बीच आया था.
गंभीर राजनयिक विवाद के बीच पार्टी से निलंबित की गईं नूपुर शर्मा ने पिछले हफ्ते एक टीवी बहस के दौरान पैगंबर मोहम्मद के बारे में कथित तौर पर विवादास्पद टिप्पणी की थी. इसी तरह, दिल्ली भाजपा के मीडिया प्रमुख नवीन कुमार जिंदल को भी कथित रूप से ऐसी ही अपमानजनक टिप्पणी करने के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था.
सत्तारूढ़ मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी ने हालांकि इस विवाद पर टिप्पणी करने से परहेज किया है.
स्थानीय खबरों के अनुसार, मालदीव के गृह मंत्री इमरान अब्दुल्ला ने कहा कि पैगंबर मोहम्मद के अपमान पर सरकार के विचार व्यक्त करना उनकी जिम्मेदारी नहीं है.
यह भी पढ़ें: ज्ञानवापी मसले पर मोदी और भागवत के विचार मिलते हैं लेकिन इस पर संघ परिवार में क्या चल रहा है
मालदीव सरकार की चुप्पी की वहज से विपक्ष है ‘निराश’
स्थानीय अखबार सनऑनलाइन ने अपनी एक खबर में बताया कि मालदीव की संसद में सोमवार सुबह अपना प्रस्ताव पेश करते हुए विपक्षी दल, पीपुल्स नेशनल कांग्रेस (पीएनसी) के उपनेता शरीफ ने कहा कि वह इस तथ्य से ‘निराश’ हैं कि एक तरफ जहां अन्य मुस्लिम-बहुल देशों ने भारत के खिलाफ शिकायतें दर्ज की हैं, वहीं मालदीव सरकार अब तक चुप रही है.
शरीफ द्वारा प्रस्तुत प्रस्ताव में कहा गया है, ‘यह अत्यंत चिंताजनक बात है कि एक पूर्ण इस्लामी देश के रूप में मालदीव ने पैगंबर मोहम्मद की प्रति इस बदजुबानी पर एक शब्द भी नहीं कहा है, जबकि भारतीय मुसलमानों, इस्लामी देशों के नेताओं और नागरिकों ने इस कृत्य की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए इसका विरोध किया है. कुछ देशों के विदेशी संबंध से संबंधित संस्थाओ (फॉरेन रिलेशन्स बॉडीज) ने इस मामले पर भारतीय राजदूतों को तलब किया है और कुछ देशों में और भारत के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए सोशल मीडिया अभियान शुरू किए गए हैं.’
प्रस्ताव पर मतदान से पहले प्रोग्रेसिव कांग्रेस अलायंस- पीएनसी और एक अन्य प्रमुख मालदीव विपक्षी दल, प्रोग्रेसिव पार्टी ऑफ मालदीव (पीपीएम) द्वारा बनाया गया गठबंधन- ने भाजपा को लक्षित करते हुए एक बयान जारी किया, जिसमें इससे भारत में ‘बढ़ते इस्लामोफोबिया’ की तरफ तवज्जों देना का आग्रह किया गया है.
प्रोग्रेसिव कांग्रेस अलायंस के बयान में कहा गया है, ‘नूपुर शर्मा, और इसके विस्तृत रूप में भाजपा, द्वारा की गयी यह निंदनीय और भयावह टिप्पणी भारत में बढ़ते इस्लामोफोबिया, व्यवस्थागत नस्लवाद और जाति-आधारित हिंसा का प्रमाण है, जो भारत को अस्थिर करने का प्रयास कर रही है… हम भारतीय जनता पार्टी से गुजारिश करते हैं कि भारत की इन वास्तविक समस्याओं का समाधान करें और भारत की मुस्लिम आबादी के लिए एक सुरक्षित वातावरण तैयार करने हेतु सभी हितधारकों के साथ व्यापक बातचीत करें.’
The Progressive Congress Coalition unequivocally condemns the defamatory and deplorable comments by India’s ruling party Baharatiya Janata Party’s (BJP) spokesperson Nupur Sharma against the Prophet Mohammed (PBUH). pic.twitter.com/xHWjs2hnIo
— Progressive Party of Maldives (@ProgressPartyMV) June 6, 2022
ज्ञात हो कि इसी साल अप्रैल में मालदीव सरकार ने विपक्ष के ‘इंडिया आउट’ अभियान, जो 2020 से चल रहा था, पर प्रतिबंध लगा दिया था. यह अभियान इस दावे पर आधारित था कि मालदीव में भारतीय सैन्य अधिकारियों की तैनाती इस द्वीपीय देश की संप्रभुता का उल्लंघन हैं. हालांकि यह आरोप सच साबित नहीं हुआ.
(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
यह भी पढ़ें: पैगंबर के ‘अपमान’ के मामले में सऊदी अरब, बहरीन और तालिबान ने भारत पर बोला राजनयिक हमला