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Sunday, 3 November, 2024
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जज, जूरी और सोशल मीडिया ट्रायल – जॉनी डेप UK में मानहानि मुकदमा हार गए थे, लेकिन वह USA में कैसे जीते

जॉनी डेप-एंबर हर्ड केस के बारे में दिप्रिंट यूके और यूएस में मानहानि कानूनों की व्याख्या करते हुए बता रहा कि कैसे सोशल मीडिया ने 'पाइरेट्स' स्टार के पक्ष में फैसले को मोड़ने में भूमिका निभाई.

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नई दिल्ली: पिछले हफ्ते एक जूरी ने ‘एक्वामैन’ कलाकार एंबर हर्ड और ‘पाइरेट्स ऑफ द कैरेबियन’ स्टार जॉनी डेप के बीच हाई प्रोफाइल मानहानि मामले में फैसला सुनाया है. जॉनी डेप ने दि वाशिंगटन पोस्ट के उस एक लेख पर एंबर हर्ड के खिलाफ मुकदमा दायर किया था जिसमें हर्ड ने जॉनी डेप द्वारा घरेलू हिंसा किए जाने की बात कही थी.

फेयरफैक्स काउंटी के सर्किट कोर्ट में जॉन सी डेप II  बनाम एंबर लौरा हर्ड के मामले की सुनवाई करने वाली जूरी ने पाया कि 36 वर्षीय हर्ड ने 58 वर्षीय डेप को उस समय बदनाम किया था, जब उन्होंने खुद को ‘घरेलू हिंसा से पीड़ित हस्ती’ बताया था. यह एक ऐसा मामला है जो कई हफ्तों से संयुक्त राज्य अमेरिका की सुर्खियों में रहा है.

जूरी ने डेप को कुल 15 मिलियन डॉलर का भुगतान करने के लिए कहा है. इसमें से 10 मिलियन डॉलर क्षतिपूर्ति और 5 मिलियन डॉलर दंडात्मक हर्जाने के तौर पर दिए जाएंगे. हालांकि, वर्जीनिया कानून के अनुसार कानूनी सीमा के चलते दंडात्मक हर्जाना  350,000 डॉलर तक कम हो गया है. नुकसान के तौर पर उन्हें वास्तव में 10.35 मिलियन डॉलर मिलेंगे.

जूरी ने यह भी पाया कि डेप के वकीलों में से एक ने हर्ड को बदनाम किया था. उसे क्षतिपूर्ति हर्जाने में 2 मिलियन देने का आदेश दिया गया. इस मुकदमे ने सोशल मीडिया पर काफी हो-हल्ला मचा दिया और इसे टीवी पर प्रसारित किया गया. इसके बाद डेप को लोगों का भारी समर्थन मिला और हर्ड का सार्वजनिक तौर पर मजाक बनाया गया.

इस मामले का नतीजा ब्रिटिश टैब्लॉयड दि सन के खिलाफ लाए गए मानहानि के एक मुकदमे से काफी अलग था. दो साल से भी कम समय पहले 2020 में अपने एक लेख में ‘वाइफ-बीटर’ कहने के लिए डेप ने उन पर मुकदमा दायर किया था और वह केस हार गए थे.

ब्रिटेन में अमेरिकी ट्रायल के उलट मामले की सुनवाई और निर्णय एक न्यायाधीश द्वारा की गई थी.

दिप्रिंट जानकारी दे रहा है कि मानहानि मुकदमे के इन दो मामलों के नतीजे अलग-अलग आने के क्या कारण रहे.

रेस्ट्राइनिंग ऑर्डर और वैवाहिक समझौता 

46 वर्षीय डेप कथित तौर पर 2009 में फिल्म ‘दि रम डायरी’ की शूटिंग के दौरान तत्कालीन 23 साल की हर्ड से मिले थे. कोर्ट के दस्तावेजों से पता चलता है कि दोनों ने 2012 के आसपास साथ रहना शुरू किया और जनवरी 2015 में शादी कर ली.

15 महीने साथ रहने के बाद वे अलग हो गए और हर्ड ने 23 मई 2016 को तलाक के लिए अर्जी दी. 27 मई 2016 को हर्ड के कैलिफोर्निया राज्य की अदालत में चले जाने के बाद तलाक की कार्यवाही मीडिया के तमाशे में बदल गई. उसके चेहरे पर चोट के निशान थे और वह डेप के खिलाफ रेस्ट्राइनिंग ऑर्डर और डेप को 52 सप्ताह के एंगर मैनेजमेंट कोर्स में भाग लेने के लिए जरूरी आदेश की मांग कर रही थीं. उसने अदालत से कहा कि ’वह डरी हुई है कि डेप शारीरिक और भावनात्मक रूप से (उसे) आतंकित करने’ के लिए वापस आ जाएंगे.  उनके साथ पहले भी घरेलू हिंसा की घटनाएं हुई हैं. ‘दिसंबर 2015 में एक गंभीर घटना के बाद से उसे डर था कि उसकी जान खतरे में है.’

और फिर डेप के खिलाफ एक रेस्ट्राइनिंग ऑर्डर जारी कर दिया गया.

यह आदेश तब जारी किया गया था जब डेप सुनवाई में उपस्थित नहीं थे या उनकी तरफ से कोई उनके मामले का प्रतिनिधित्व नहीं कर रहा था. लेकिन फिर डेप को अपना पक्ष रखने के लिए कुछ तारीखें मुकर्रर की गई. हालांकि वह सुनवाई कभी नहीं हुई क्योंकि दंपति 16 अगस्त 2016 को एक समझौते के लिए तैयार हो गई. इस ‘वैवाहिक समझौता’ की एक शर्त यह थी कि पहले लगाए गए सभी आरोपों को खारिज कर दिया जाएगा- जिसका अर्थ है कि मामला सुलझा लिया गया है और इसे अदालत में वापस नहीं लाया जा सकेगा.

चूंकि डेप और हर्ड के पास तलाक के मामले में अपनी संपत्ति और पैसे के बंटवारे के लिए पूर्व या विवाह के बाद का समझौता नहीं था, इसलिए डेप ने हर्ड को 7 मिलियन डॉलर का भुगतान किया. हर्ड ने इस पैसे को चैरिटी में दान कर दिया था.


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‘नाराजगी झेलनी पड़ी’

हालांकि, परेशानी फिर से तब शुरू हुई जब डेप ने मार्च 2019 में वाशिंगटन पोस्ट के लिए लिखे गए एक लेख पर 50 मिलियन डॉलर के लिए हर्ड पर मानहानि का मुकदमा दायर किया.

अपने 2018 के ओपिनियन पीस में हर्ड ने लिखा था, ‘मैंने यौन हिंसा के खिलाफ बात की और मुझे समाज की नाराजगी झेलनी पड़ी. इसे बदलना होगा’, हर्ड ने डेप का नाम लिए बगैर लिखा था कि वह ‘घरेलू हिंसा से पीड़ित हस्ती’ हैं.

डेप के मुकदमे के जवाब में हर्ड ने 100 मिलियन डॉलर का जवाबी मुकदमा दायर किया. हालांकि डेप और हर्ड दोनों कैलिफोर्निया में रहते हैं लेकिन इस मामले की सुनवाई वर्जीनिया काउंटी में हुई जहां वाशिंगटन पोस्ट अपनी प्रिंटिंग प्रेस चलाता है.

कोर्ट के बाहर ‘जॉनी, जॉनी, जॉनी’ की चीख-पुकार और नारों के बीच सात सदस्यीय जूरी ने तीन मामलों में डेप के पक्ष में फैसला सुनाया. डेप ने ओप-एड के शीर्षक पर आपत्ति जताई थी, जिसमें हर्ड ने खुद को ‘घरेलू हिंसा से पीड़ित हस्ती’ बताया था और वह पंक्ति जिसमें लिखा गया था कि कैसे संस्थाएं दुर्व्यवहार के आरोपी पुरुषों की रक्षा करती हैं.

जूरी सदस्यों को ‘हां’ या ‘नहीं’ में सवालों की एक सीरिज का जवाब देना था – उनमें से एक यह था कि क्या उन्हें लगा कि डेप ने साबित कर दिया है कि हर्ड ने वास्तविक द्वेष के चलते उनके साथ ऐसा किया है.

वास्तविक द्वेष मानहानि साबित करने के लिए जरूरी आरंभ बिंदु है – खासकर जब इसमें एक हस्ती शामिल हो. एक व्यक्ति को यह साबित करने की जरूरत होती है कि मानहानिकारक बयान इस जानकारी के साथ दिए गए थे कि वे झूठे थे या लापरवाही से सच्चाई की अवहेलना के साथ दिए गए थे. जूरी ने इन सभी सवालों का जवाब ‘हां’ में दिया.

हालांकि यह पाया गया कि डेप ने अपने वकील एडम वाल्डमैन के जरिए हर्ड को तीन बयानों में से एक में बदनाम किया था. अपने इस बयान में उन्होंने धोखाबाजी का आरोप लगाया था.


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‘डेप के व्यक्तित्व का नकारात्मक पहलू’

डेप ने 2018 में अपनी फिल्म ‘फैंटास्टिक बीस्ट्स: दि क्राइम्स ऑफ ग्रिंडेलवाल्ड’ पर दि सन में प्रकाशित एक स्टोरी पर आपत्ति जताई थी. ‘गॉन पॉटी हाउ कैन जे के’ शीर्षक वाले इस लेख में लिखा था कि नई फैंटास्टिक बीस्ट्स फिल्म में वाइफ बीटर जॉनी डेप को कास्ट करने से राउलिंग ‘वास्तव में खुश’ होंगे? दरअसल घरेलू हिंसा के आरोपों के बावजूद फिल्म में डेप की कास्टिंग पर सवाल उठाए गए थे. हालांकि एक दिन बाद इस शीर्षक ‘गॉन पॉटी हाउ कैन जे के राउलिंग ‘जेनुअनली हैप्पी’ को कास्टिंग जॉनी डेप इन द न्यू फैंटास्टिक बीस्ट्स फिल्म आफ्टर एसेल्ट क्लेम? में बदल दिया गया था.’

डेप ने जून 2018 में दि सन पर मानहानि का मुकदमा किया.

हालांकि हाई कोर्ट (क्वीन’स बेंच डिवीजन) के जस्टिस एंड्रयू निकोल ने नवंबर 2020 में पाया कि दि सन ने साबित कर दिया था कि ‘उन्होंने जो प्रकाशित किया… वह काफी हद तक सच था.’ जज ने घरेलू हिंसा की चौदह ऐसी घटनाओं पर विस्तार से विचार किया और पाया कि इनमें से कम से कम बारह घटनाओं में आरोप ‘सिविल स्टैंडर्ड’ के थे. जज ने कहा कि उन्होंने ‘पाया कि डेप द्वारा हर्ड पर किए गए कथित हमले ज्यादा गंभीर नहीं थे.’

उन्होंने हर्ड के सबूतों को भी स्वीकार किया कि डेप के खिलाफ उनके द्वारा लगाए गए आरोपों से ‘एक कलाकार और कार्यकर्ता के रूप में उनके करियर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है’ और स्वीकार किया कि हमले के ऐसे मामलों ने हर्ड को ‘उनके जीवन को डर’ में तब्दील कर दिया है. जज ने कुछ उदाहरणों को ‘मिस्टर डेप के उन व्यवहार के लक्षणों’ को माना, जब उनके व्यक्तित्व पर उनका ‘राक्षस’ पक्ष हावी रहता था.

यूके के जज के समक्ष, डेप के साक्ष्य में एक रिकरिंग थीम यह थी कि हर्ड ने एक ‘धोखेबाज’ के तौर पर उन्हें ईमेल और टेक्स्ट संदेशों में प्रस्तुत किया था और शादी टूटने की स्थिति में उन्होंने ‘बीमा पॉलिसी’ के रूप में उपयोग करने के लिए एक ‘डोजियर’ बनाया था लेकिन जज ने दावों को खारिज कर दिया.

उन्होंने हर्ड को ‘गोल्ड डिगर’ बताए जाने वाले आरोपों को भी यह कहते हुए खारिज कर दिया कि ‘चैरिटी के लिए 7 मिलियन डॉलर का दान कोई ‘गोल्ड डिगर’ नहीं कर सकता है.


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क्यों डेप यूके में हारे लेकिन यूएस में जीते?

डेप इस तथ्य के बावजूद यूके में केस हार गए कि वहां मानहानि कानून को आम तौर पर वादी के अनुकूल माना जाता है, यहां तक कि यह लाइबल टुरिज्म के आरोप पर भी लागू होते है. लाइबल टूरिज्म दरअसल वो ट्रेंड है जहां लोग एक देश में मानहानि का दावा करते हैं, क्योंकि वहां जीतने की संभावना काफी ज्यादा होती है. इसके अलावा यूके में यूएस की तरह फ्री स्पीच प्रोटेक्शन का स्तर समान नहीं है.

दोनों देशों के कानूनों के बीच अंतर यह है कि अमेरिका में सबूत पेश करने का भार मानहानि का दावा दायर करने वाले व्यक्ति पर होता है लेकिन यूके में यह भार अभियुक्त पर होता है, जो मामले को मुश्किल बना देता है.

यूके में डेप के मामले में सबूत पेश करने की जिम्मेदारी सन के पास थी लेकिन अमेरिका में डेप को जूरी को यह समझाना पड़ा कि हर्ड ने न केवल उसे बदनाम किया बल्कि द्वेष के चलते ऐसा किया गया. दूसरे शब्दों में यूके में वादी को यह दिखाना होता है कि एक झूठा और मानहानिकारक बयान दिया गया था लेकिन अमेरिका में उन्हें सिद्ध करना होता है कि उन्हें कैसे बदनाम किया गया.

लेकिन जिस चीज ने वास्तव में अमेरिका में डेप के पक्ष में फैसले को मोड़ दिया, वह था जूरी का होना. ब्रिटेन के एक जज के उलट सात सदस्यों की जूरी ने उनके मामले को सुना था. विशेषज्ञों ने इस बात पर रोशनी डाली है कि कैसे डेप ने ‘इनकार, हमला और रिवर्स पीड़ित और अपराधी’ या ‘डार्वो’ नाम की रणनीति का इस्तेमाल किया जो यौन उत्पीड़न और घरेलू हिंसा के मामलों में एक कॉमन डिफेंस रणनीति है.

विशेषज्ञों का कहना है कि ये रणनीति ‘जूरी के समक्ष मामलों में बहुत, बहुत प्रभावी’ है. हालांकि ‘वकील और जज इसे इतनी आसानी से नहीं मानते हैं’ क्योंकि उन्हें सबूत देखने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है.

इस मामले में डेप के वकीलों ने प्रभावी ढंग से रणनीति का इस्तेमाल किया, उसे पीड़ित में बदल दिया और हर्ड को दुर्व्यवहार करने वाले बना दिया.

वही रणनीति सोशल मीडिया पर भी लागू की गई थी – हैशटैग #justiceforjohnnydepp को टिकटॉक पर 19 बिलियन व्यूज मिले और ट्विटर पर इसने हफ्तों तक ट्रेंड किया. इसके चलते ही मुकदमे की ओर जनता का ध्यान गया- पोल्स ने कथित तौर पर दिखाया कि अमेरिकियों ने यूक्रेन में चल रहे युद्ध या अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के गर्भपात पर ऐतिहासिक निर्णय की तुलना में कोर्ट रूम ड्रामा में अधिक रुचि दिखाई.

हालांकि जूरी सदस्यों को निर्देश दिया गया था कि वे मामले के बारे में कुछ भी ऑनलाइन न पढ़ें. लेकिन  उन्हें अलग-थलग नहीं किया गया था और उन्हें अपने फोन रखने की अनुमति दी गई थी.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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