नई दिल्ली: कैलिफोर्निया स्थित एक दलित नागरिक अधिकार संगठन इक्वेलिटी लैब्स ने गूगल पर ‘कंपनी में जातिगत कट्टरता और उत्पीड़न को बड़े पैमाने पर’ चलने देने का आरोप लगाया है.
अमेरिका में रहने वाली एक दलित अधिकार कार्यकर्ता और संगठन की संस्थापक थेनमोजी सुंदरराजन दलित हिस्ट्री मंथ (अप्रैल) के लिए गूगल न्यूज के कर्मचारियों के साथ एक टॉक शो करने वाली थीं. जिसे कुछ कर्मचारियों द्वारा अपनी आशंका व्यक्त करने के बाद रद्द कर दिया गया. उसके बाद कंपनी पर यह आरोप लगाया गया है.
दि वाशिंगटन पोस्ट में 2 जून की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस शो को रोकने के लिए कंपनी के कर्मचारियों ने सुंदरराजन के बारे में ‘गलत जानकारी’ फैलाना शुरू कर दी, साथ ही उन पर यह आरोप भी लगाया गया कि वह ‘हिंदुओं से डरे हुए’ और ‘हिंदू विरोधी’ हैं. यह टॉक शो डॉक्यूमेंट्स और सुंदराजन की गुगल के वर्तमान कर्मचारियों के साथ साक्षात्कार पर आधारित था, जिसमें कर्मचारियों ने अपनी पहचान गुप्त रखने की शर्त पर शिरकत की थी.’
इक्वेलिटी लैब्स ने एक बयान में कहा, ‘इस पूरे समय में जातिगत समानता के विरोधी आंतरिक रूप से सुंदरराजन और इक्वेलिटी लैब्स के बारे में गलत सूचना प्रसारित करते रहे, जब तक की नागरिक अधिकारों के इस इवेंट को अंतिम रूप से रद्द नहीं किया गया.’
माना जाता है कि सुंदरराजन ने गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई को पत्र लिखकर इस टॉक शो को अनुमति देने की मांग की थी लेकिन वह इसमें सफल नहीं हो पाईं.
गुगल समाचार की वरिष्ठ प्रबंधक तनुजा गुप्ता ने सुंदरराजन को इस टॉक शो के लिए आमंत्रित किया था. इस मामले के बाद उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था.
दि पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, ‘गुप्ता ने अपने इस्तीफे में लिखा था कि आंतरिक आलोचना को संभालने के लिए बदले की कार्रवाई गुगल के लिए आम है और महिलाएं इसका खामियाजा उठाती हैं’
गुप्ता ने अपने पत्र में लिखा ‘अपना काम करने और कंपनी में जातिगत समानता को बढ़ावा देने की प्रक्रिया में मैंने चार महिलाओं को उनके रंग की वजह से प्रताड़ित होते और इस पर चुप्पी साधे देखा है. हकीकत यह है कि ये कोई अकेली घटना नहीं हैं, यह एक पैटर्न है.’
गुगल ने आरोपों का खंडन किया है. इसकी प्रवक्ता शैनन न्यूबेरी ने दि पोस्ट से कहा, ‘जातिगत भेदभाव की हमारे कार्यस्थल में कोई जगह नहीं है’ वह आगे कहती हैं, ‘ अपने कार्यालय में भेदभाव और जातीय उत्पीड़न के खिलाफ हमारे यहां स्पष्ट नीति है.’
न्यूबेरी के हवाले से कहा गया, ‘हमने प्रस्तावित टॉक शो को आगे नहीं बढ़ाने का फैसला किया क्योंकि यह समुदाय को एक साथ लाने और जागरूकता बढ़ाने के बजाय विभाजन और भेदभाव पैदा कर रहा था.’
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कर्मचारियों की शिकायत
वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट ने गुप्ता के ईमेल का हवाला देते हुए कहा, सुंदरराजन के टॉक शो से दो दिन पहले गूगल के सात कर्मचारियों ने कंपनी के नेतृत्व और गुप्ता को, भड़काऊ भाषा का इस्तेमाल करते हुए ईमेल किया था. उन्होंने ईमेल में लिखा था कि ‘जातिगत समानता की चर्चा से उन्हें कैसे नुकसान हुआ और उन्हें लगा कि उनकी जान जोखिम में है’.
पोस्ट की रिपोर्ट में कहा गया, ‘ईमेल में कथित तौर पर जोड़ा गया है कि कर्मचारियों की शिकायतें स्पीकर की प्रतिष्ठा को धूमिल करने के लिए गलत सूचना देने वाली कुछ वेबसाइटों से कॉपी की गई सामग्री हैं.’ इनमें कुछ ऐसी साइटें और संगठन शामिल हैं, जिन्होंने ‘संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा में उन शिक्षाविदों को टारगेट बनाया हुआ है जो हिंदू राष्ट्रवाद या वर्ग आधारित जाति व्यवस्था के आलोचक हैं.’
सुंदरराजन ने 27 अप्रैल को पिचाई और गूगल की चीफ डायवर्सिटी ऑफिसर मेलोनी पार्कर को लिखा कि वह गुगल द्वारा अपने टॉक शो के रद्द किए जाने परेशान है, ‘मैं पिछले तीन महीनों से गूगल समाचार कर्मचारियों के साथ ‘जाति समानता और न्यूज रूम’ को लेकर काम कर रहा था.’
उन्होंने कहा कि जाति गूगल जैसी तकनीकी कंपनियों को भी महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित कर रही है. उनके संगठन इक्वेलिटी लैब्स से संपर्क कर गूगल कर्मचारियों ने बताया था कि उन्हें किस तरह से जातिगत भेदभाव का सामना करना पड़ा था.
पत्र में उन्होंने पिचाई को उनके ‘नैतिक दायित्व’ की याद दिलाई और लिखा, ‘आप और मैं दोनों तमिल हैं. आप ब्राह्मण परिवार से हैं और मैं दलित परिवार से हूं. मदुरै में जहां से आप हैं, मेरे जैसे दलित लोगों को वहां भयानक हिंसा का सामना करना पड़ता है. जाति विशेषाधिकार वाले व्यक्ति के रूप में अब आप इस मुद्दे को हल करने के लिए सही तरीके से काम करने की भूमिका में हैं …’
सुंदरराजन ने दि पोस्ट को बताया कि अगर पिचाई ‘जॉर्ज फ्लॉयड के मद्देनजर गुगल की (विविधता, बराबरी और समावेशन) प्रतिबद्धताओं के बारे में भावुक बयान दे सकते हैं तो उन्हें उसी संदर्भ में वही प्रतिबद्धताएं यहां भी दोहरानी चाहिए.’
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