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Sunday, 3 November, 2024
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राइट बंधुओं से पहले भारत ने बनाया था हवाईजहाज़ :नये इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम का दावा

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एआईसीटीई इंजीनियरिंग कॉलेजों में वैकल्पिक पाठ्यक्रम पेश करनेवाली है जो प्राचीन भारतीयों को कई आविष्कारों का श्रेय देता है.

नई दिल्ली: आरएसएस और नरेंद्र मोदी सरकार के सदस्यों द्वारा समर्थित वैज्ञानिक खोजों से सम्बंधित कई विवादास्पद दावों को पूरे देश की इंजीनियरिंग कक्षाओं में पढ़ाया जा रहा है.

मानव संसाधन विकास (एचआरडी) मंत्रालय ने देश के इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम में किताब लगायी है जो कई विवादास्पद दावे करती है: चाहे वह राइट बंधुओं को खारिज करना हो या यह दावा कि बिजली और बैटरियां वैदिक काल की देन हैं. इसके अलावा पुस्तक यह दावा भी करती है कि प्राचीन भारतीय वैज्ञानिक आइज़क न्यूटन से पहले से ही गुरुत्वाकर्षण की खोज कर चुके थे.

भारतीय विद्या सार नामक यह पुस्तक अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) से संबद्ध इंजीनियरिंग संस्थानों में वैकल्पिक क्रेडिट कोर्स के रूप में पेश की जाएगी. यह भारतीय विद्या भवन के, जोकि एक शिक्षण ट्रस्ट है, दिमाग की उपज है.

‘इंडियन नॉलेज सिस्टम’ नाम का यह वैकल्पिक क्रेडिट कोर्स अगले शैक्षणिक सत्र से संशोधित पाठ्यक्रम का हिस्सा होगा. यह कोर्स भारतीय दर्शन, भाषाई और कलात्मक परंपराओं के साथ साथ योग और आधुनिक वैज्ञानिक विश्वदृष्टि के भारतीय परिप्रेक्ष्य पर केंद्रित है.

पाठ्यक्रम निर्माण में शामिल प्रोफेसर ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “हमारा उद्देश्य विद्यार्थियों को प्राचीन वैज्ञानिक ज्ञान के बारे में जागरूक करना है और यही कारण है कि इस पाठ्यक्रम को विकसित किया गया है.”

“अंग्रेज़ों ने हम पर सैकड़ों वर्षों तक शासन किया जिसके फलस्वरूप हम आजतक यही पढ़ते आये हैं कि उन्होंने ही सारे आविष्कार किये हैं. अब उन चीज़ों को बदलने का समय आ गया है और हम इस कोर्स के साथ ऐसा करने की उम्मीद करते हैं.”


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वेदों पर एक किताब

यह पुस्तक, जिसकी एक प्रति दिप्रिंट के पास है, न केवल “वैज्ञानिक खोजों में भारत के योगदान” का विवरण देती है बल्कि चारों वेदों – ऋग्वेद, सामवेद , यजुर्वेद और अथर्ववेद – “का महत्त्व” बताती है. इसके अलावा किताब में “भारतीय संस्कृति के महत्त्व” पर भी ज़ोर दिया गया है.

यह पुस्तक प्राचीन भारतीयों को बिजली उत्पादन के आलावा बैटरी, एयरोनॉटिक्स, समुद्री इंजीनियरिंग और गुरुत्वाकर्षण की खोज का भी श्रेय देती है.

“तथ्यों” को प्रस्तुत करने के लिए पुस्तक के विषयों को “मिथक” और “वास्तविकता” नामक दो खण्डों में विभाजित किया है.

उदाहरण के लिए, “एयरोनॉटिक्स” खंड के में “मिथक” की एक बानगी देखिये , “ऐसा माना जाता है कि 1 903 में राइट ब्रदर्स द्वारा एयरोनॉटिक्स का विकास किया गया था”. “सत्य” इसे दूर करने की कोशिश करता है. पुस्तक कहती है , “वैदिक युग में, महर्षि भारद्वाज ने यंत्र सर्वस्व नामक एक महाकाव्य लिखा और एयरोनॉटिक्स उसका हिस्सा है. यह राइट भाइयों के विमान के आविष्कार से 5,000 साल पहले था.”

यह किताब आगे कहती है , “यंत्र सर्वस्व अब उपलब्ध नहीं है लेकिन हम इस बारे में जितना जानते हैं उसके आधार पर हम विश्वास के साथ कह सकते हैं कि वैदिक युग में विमान वास्तविकता थे. भारत में तकनीकी अध्ययन पाठ्यक्रम में इसका उल्लेख किया जाना चाहिए.”

यह किताब का बिजली की खोज और बैटरी के आविष्कार से सम्बंधित “मिथक को ख़त्म” करने की कोशिश करती है . “ब्रिटिश वैज्ञानिक फ्रेडरिक डैनियल और बेंजामिन फ्रैंकलिन को बिजली के आविष्कार का श्रेय दिया जाता है, लेकिन अगस्त्य संहिता में महर्षि अगस्त्य इन वैज्ञानिकों से कहीं पहले इस बारे में बात कर चुके हैं.”


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एआईसीटीई ने इंडियन नॉलेज सिस्टम्स पाठ्यक्रम शुरू करने के अपने फैसले का बचाव किया है.

एआईसीटीई के चेयरमैन अनिल सहस्त्रबुद्ध ने कहा, “इस परिवर्तन को बाकी चीज़ों से अलग करके नहीं देखा जाना चाहिए. , “इंडियन नॉलेज सिस्टम्स को इंजीनियरिंग छात्रों के लिए संशोधित पाठ्यक्रम के एक हिस्से के रूप में पेश किया जा रहा है.”

“इसके अलावा छात्रों को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, मशीन लर्निंग, रोबोटिक्स जैसे अन्य विषयों की जानकारी भी दी गयी है. हमारा उद्देश्य संशोधित पाठ्यक्रम में ऐसी चीज़ों को शामिल करना है जो अधिक व्यावहारिक और कम सैद्धांतिक हों.

मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, “एआईसीटीई के तहत आने वाले 3,000 कॉलेजों में से 80 प्रतिशत से अधिक इस मॉडल पाठ्यक्रम को अपनाने पर सहमत हुए हैं.”

बेशुमार दावे

मोदी सरकार पर हिंदू समूहों द्वारा प्रचारित छद्म विज्ञान को बढ़ावा देने का आरोप लगाया गया है. प्रधानमंत्री समेत पार्टी के कई सदस्यों ने कई विवादस्पद वैज्ञानिक दावे किए हैं.

उदाहरण के लिए कनिष्ठ एचआरडी मंत्री सत्यपाल सिंह इस दावे का समर्थन करते हैं कि राइट बंधु हवाई जहाज़ का आविष्कार करने वाले पहले खोजकर्ता नहीं थे. सिंह का दावा है कि “पहली उड़न मशीन का आविष्कार भारतीय विद्वान शिवकर बापूजी तलपड़े ने किया था”. उन्होंने यह भी कहा है कि चार्ल्स डार्विन का विकासवाद का सिद्धांत गलत है.

राजस्थान के शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी उन लोगों में से हैं जो मानते हैं कि सातवीं शताब्दी के भारतीय खगोलविद ब्रह्मगुप्त द्वितीय ने आइज़क न्यूटन से कम से कम 1,000 साल पहले गुरुत्वाकर्षण के नियमों की खोज की थी. वे यह भी दावा कर चुके हैं कि गाय ऑक्सीजन लेने और छोड़ने वाली एकमात्र पशु है.

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