नयी दिल्ली, तीन जून (भाषा) प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शुक्रवार को दिल्ली उच्च न्यायालय में कहा कि धनशोधन मामले में गिरफ्तार दिल्ली के मंत्री सत्येंद्र जैन से पूछताछ के दौरान वकील की उपस्थिति की अनुमति देने का निचली अदालत का आदेश उच्चतम न्यायालय के विभिन्न निर्णयों के विपरीत है।
प्रवर्तन निदेशालय ने इस संबंध में 31 मई के अदालत के आदेश को चुनौती दी है, जिसमें 31 मई से 9 जून के बीच हिरासत के दौरान जैन से पूछताछ के समय दूर से वकील की उपस्थिति की अनुमति दी गई थी।
न्यायमूर्ति योगेश खन्ना ने ईडी की याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया। इससे पहले उन्होंने फिलहाल निचली अदालत के निर्देश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। हालांकि एजेंसी ने तर्क दिया कि उसकी याचिका का कोई अर्थ नहीं रह जाएगा क्योंकि उसे मिली जैन की हिरासत 9 जून को समाप्त हो जाएगी।
अदालत ने कहा कि आदेश पारित करने से पहले वह रिकॉर्ड पर गौर करेगी।
ईडी की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू ने कहा कि निचली अदालत द्वारा दी गई अनुमति उच्चतम न्यायालय के विभिन्न आदेशों के विपरीत है। उन्होंने कहा कि पूछताछ की ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग की जा रही है।
उन्होंने कहा कि जैन की आपत्ति के बावजूद पूछताछ की ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग की जा रही है।
एजेंसी ने कहा कि ऐसा कोई आरोप नहीं है कि आम आदमी पार्टी (आप) के नेता जैन को धमकाया गया या पीटा गया। दिन में दो बार उनकी स्वास्थ्य जांच की जा रही है।
ईडी के वकील ने तर्क दिया कि वकील और जैन एक-दूसरे के साथ जानकारी साझा कर सकते हैं।
जैन की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने एजेंसी की याचिका का विरोध किया और कहा कि उच्चतम न्यायालय ने लगातार ऐसी व्यवस्था की अनुमति दी है जहां वकील कुछ दूरी पर उपलब्ध हो। लेकिन अभियोजन पक्ष उन्हें केवल आदेश के बारे में बता रहा है।
उन्होंने याचिका को कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग करार दिया और कहा कि इसे जुर्माना लगाकर खारिज किया जाना चाहिये।
भाषा जोहेब नरेश
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