मुंबई/नई दिल्ली: कांग्रेस ने अपने अल्पसंख्यक विभाग के अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के कवि 34 वर्षीय इमरान प्रतापगढ़ी को महाराष्ट्र से राज्यसभा उम्मीदवार के रूप में चुना है. इसके बाद से राज्य के कुछ पार्टी नेताओं के बीच ‘असंतोष’ और ‘नाराजगी’ है.
संजय निरुपम, मिलिंद देवड़ा और नसीम खान जैसे दिग्गजों को उच्च सदन के संभावित उम्मीदवारों के रूप में देखा जा रहा था. लेकिन पार्टी ने इन नामों को अनदेखा करते हुए प्रतापगढ़ी का राज्यसभा का टिकट पकड़ा दिया.
महाराष्ट्र के एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने नाम न छापने का अनुरोध करते हुए दिप्रिंट को बताया कि नेताओं में ‘असंतोष’ है. उन्होंने कहा, ‘यहां नाराजगी है क्योंकि उम्मीदवार एक बाहरी व्यक्ति है. स्थानीय स्तर पर किसी से कोई सलाह-मशविरा नहीं किया गया. नाम का फैसला सीधे दिल्ली से ले लिया गया है.’
वह आगे कहते हैं, ‘स्थानीय नेतृत्व को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया गया है. इस बार चूक हुई है. कुछ वरिष्ठ नेता थे जिनके बारे में सोचा जा सकता था. वह (प्रतापगढ़ी) बहुत जूनियर हैं.’
लेकिन कुछ नेता ऐसे भी हैं जो अपनी निराशा को सार्वजनिक तौर पर सबके सामने ले आए. महिला कांग्रेस की महासचिव और मुंबई कांग्रेस की उपाध्यक्ष नगमा ने इस लेकर सोशल मीडिया पर ट्वीट किया.
उन्होंने लिखा, ‘इमरान भाई के सामने हमारी 18 साल की तपस्या भी कम पड़ गई. उस समय की हमारी कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया जी ने व्यक्तिगत रूप से 2003/04 में मुझे राज्यसभा में शामिल करने का वादा किया था. मैं उनके कहने पर कांग्रेस पार्टी में शामिल हुई थी. तब पार्टी सत्ता में नहीं थी. उन बातों को 18 साल हो गए हैं लेकिन उन्हें मौका नहीं मिला. श्री इमरान को महाराष्ट्र से राज्यसभा से नामांकित किया गया है’ वह आगे लिखती है, ‘मैं पूछती हूं कि क्या मैं कम योग्य हूं.’
दिप्रिंट ने फोन के जरिए नगमा से टिप्पणी लेने की कोशिश की लेकिन उधर से कोई जवाब नहीं मिला.
महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने पार्टी के भीतर दरार या फिर नेता नामांकन को लेकर नाराजगी से इनकार किया. उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘यह आलाकमान, सोनिया गांधी और राहुल गांधी का निर्णय है. पूरी पार्टी उनके साथ है और उन्होंने जो भी फैसला लिया है उसे मानना हमारा फर्ज है.’
उन्होंने कहा, ‘पार्टी के भीतर कोई निराशा नहीं है. लोगों की अपनी व्यक्तिगत राय हो सकती है, जिसे वे सामने रख सकते हैं. पार्टी आलाकमान ने उम्मीदवार का चयन किया है और हम सभी एक युवा गतिशील नेता का अपने राज्यसभा उम्मीदवार के रूप में स्वागत करते हैं’
दिप्रिंट ने संजय निरुपम से संपर्क कर इस बारे में प्रतिक्रिया मांगी. उन्होंने भी कहा, ‘पार्टी ने जो भी निर्णय लिया है वह अंतिम है और मैं इसे स्वीकार करता हूं. कोई नाराजगी नहीं है.’
राज्यसभा चुनाव 10 जून को होने हैं, जिसमें महाराष्ट्र में छह सीटों के लिए लड़ाई है.
‘एक लोकतांत्रिक पार्टी’
प्रतापगढ़ी ने सोमवार को राज्य विधान भवन में नामांकन दाखिल करने के बाद संवाददाताओं से कहा कि कांग्रेस एक लोकतांत्रिक पार्टी है.
उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस एक लोकतांत्रिक पार्टी है और अगर परिवार में किसी ने कुछ राय रखी है तो हम उनके विचारों का सम्मान करते हैं. लेकिन पार्टी के भीतर कोई विरोध नहीं है और मुझे सीट जीतने का भरोसा है.’
नगमा की निराशा पर प्रतापगढ़ी ने कहा, ‘ आप उनके बाद के ट्वीट भी देखें, जहां उन्होंने (उम्मीदवारों) बधाई दी है. मेरा मानना है कि हर व्यक्ति को यह विश्वास होना चाहिए कि वह योग्य है. कांग्रेस एक लोकतांत्रिक पार्टी और एक परिवार है. इसलिए परिवार का मुखिया जो भी फैसला करता है, हम सब उसके साथ होते हैं.’
हालांकि पहले उद्धृत महाराष्ट्र कांग्रेस नेता इस बात से सहमत नहीं थे कि नामों को लोकतांत्रिक तरीके से चुना गया है. उन्होंने कहा, ‘कहा जाता है कि कांग्रेस में लोकतांत्रिक प्रक्रिया होती है लेकिन इस बार कुछ भी लोकतांत्रिक नहीं हुआ. लोकतांत्रिक प्रक्रिया में राज्य से संबंधित नामों को रखना, उन्हें बुलाना, उन पर चर्चा करना और उनकी बारीकी से जांच करना शामिल है. यही व्यवस्था थी. लेकिन फिलहाल ऐसा कुछ नहीं हुआ.’
कौन हैं इमरान प्रतापगढ़ी?
प्रतापगढ़ी के नाम की घोषणा से महाराष्ट्र में कई लोगों को आश्चर्य हुआ है. वो उम्मीद कर रहे थे कि कोई स्थानीय नेता कांग्रेस की सूची में जगह बनाएगा.
पार्टी के सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि प्रतापगढ़ी को अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) के भीतर ‘काफी समर्थन’ मिला हुआ है.
घटनाक्रम से वाकिफ एक कांग्रेस सूत्र ने बताया,’उन्हें न केवल राहुल गांधी का समर्थन प्राप्त है, बल्कि वह प्रियंका गांधी वाड्रा की भी पसंद हैं.’
कांग्रेस के एक अन्य सूत्र ने कहा कि उच्च सदन में पार्टी के मुस्लिम प्रतिनिधि के तौर पर प्रतापगढ़ी वरिष्ठ कांग्रेसी गुलाम नबी आजाद की जगह लेंगे.
सूत्र के मुताबिक, ‘वह युवा है, उनका बात करने का तरीका भी अच्छा है. और वह बेहतर तरीके से सदन में अपनी बात रख पाएंगे. हालांकि उनकी उम्र और अनुभव की कमी ने एआईसीसी में कई लोगों को बेवजह परेशान किया हुआ है.’
34 साल के प्रतापगढ़ी भारतीय युवा कांग्रेस का वो चेहरा हैं जिन्होंने संगठन में विभिन्न पदों पर काम किया है. मौजूदा समय में वह पार्टी के अल्पसंख्यक मामलों के विभाग के अध्यक्ष हैं. इस पद पर 2021 में उनकी नियुक्ति की गई थी. उन्होंने 2019 में मुरादाबाद से लोकसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्हें करारी हार का सामना करना पड़ा था. उनकी जमानत तक जब्त हो गई थी.
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