लखनऊ, 30 मई (भाषा) उत्तर प्रदेश विधानसभा में सोमवार को नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव ने बजट पर चर्चा करते हुए दावा किया कि यह बजट नहीं विभागों का बंटवारा है और इसे जनता तक पहुंचने में बहुत समय लगेगा, अभी जनता तक नहीं पहुंचा है।
अखिलेश ने कानून—व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश में ‘इज ऑफ डूइंग बिजनेस’ (सुगमता से कारोबार) नहीं हो रहा है, ‘इज ऑफ डूइंग क्राइम’ (सुगमता से अपराध) चल रहा है। भाजपा के लोग कानून हाथ में लेकर घूम रहे हैं। बजट पर दिये गये अपने लंबे भाषण में यादव ने कहा कि यह बजट केवल सपने दिखाने का है। उन्होंने दावा किया कि ‘भाजपा की नई स्कीम चल रही है—’वन नेशन, वन पूंजीपति’।’
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला बजट बृहस्पतिवार को विधानसभा में वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने पेश किया। वित्त वर्ष 2022-23 के लिए छह लाख 15 हजार 518 करोड़ रुपये का यह बजट प्रदेश का अब तक का सबसे बड़ा बजट बताया गया है।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि यह सरकार बता रही है कि अब तक का सबसे बड़ा बजट है लेकिन सरकार यह भूल जाती है कि हर बजट जो आता है वह पहले से बढ़कर आता है। उन्होंने दावा किया कि समाजवादी पार्टी की सरकार के समय की योजनाओं को ठप कर दिया गया और यह सरकार बजट में किसानों, बेरोजगारों, महिलाओं, गोवंश के हितों की रक्षा नहीं कर सकी।
यादव ने सत्तापक्ष की ओर इशारा करते हुए कहा, ”कभी कभी मुझे लोग समाजवाद सिखाने लगते हैं, नेता सदन सिखाएं तो कोई बात नहीं, जो पढ़ना नहीं जानते वे भी कभी कभी सिखाने लगते हैं।”
उन्होंने एक किताब का जिक्र किया और कहा कि सभी सदस्यों को यह किताब बांटना चाहता हूं। यादव ने दोहराया कि नेता सदन तो समाजवाद के बारे में जानते हैं, इसलिए उन्होंने अपने लिए एक किताब बनवाई और छपवाई, जिसके फ्रंट पर लिखा ‘द राइज ऑफ ए सैफरन सोशलिस्ट’।
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि ”अगर हम सोशलिस्ट हैं तो क्या गलत है, आप भी तो सोशलिस्ट हो। ये जो किसानों को पैसा बांट रहे, क्या ये सोशलिस्ट सिद्धांत नहीं है। क्या गरीब बेटियों को जो दे रहे हो वह समाजवादी सिद्धांत नहीं है।”
यादव ने कहा कि ”अगर सोशलिस्ट पर प्रश्न चिन्ह लगाते हैं तो आप डेमोक्रेटिक भी नहीं हैं, आप लोकतंत्र पर भरोसा नहीं करते, अगर लोकतंत्र पर भरोसा नहीं करते और समाजवादी नहीं हैं तो आप सेकुलर भी नहीं हो सकते हैं।”
यादव ने शिक्षा, चिकित्सा, स्वास्थ्य समेत विभागवार चर्चा करते हुए बजट की खामियां गिनाई और कहा कि यह बजट किसानों के साथ धोखा देने वाला बजट है। इतना बुरा हाल हाउसिंग सेक्टर का कभी नहीं दिखा जितना भाजपा सरकार में दिख रहा है।
उन्होंने कहा कि आपकी गलत नीतियों और फैसलों से गाय मां की संख्या कम होती जा रही है। उप्र में डेयरी क्षेत्र में सबसे ज्यादा समाजवादी सरकार ने काम किया, लेकिन भाजपा को पता नहीं क्या हो गया। क्यों इसके लिए बजट नहीं बढ़ा।
उन्होंने कहा कि नेता सदन (मुख्यमंत्री) ने कहा कि कन्नौज को भी कुछ दिया है, लेकिन कन्नौज की पहचान इत्र से है, गोबर से नहीं। हमें गोबर नहीं चाहिए, हमें परफ्यूमरी पार्क चाहिए।
वित्त मंत्री ने बजट पेश करते हुए कई शेर पढ़े थे। यादव ने उनके एक शेर का जवाब देते हुए शेर पढ़ा—
‘जब तक अमन और चैन नहीं आता,
काम हमारा है नफरत की खिलाफत करना।
मेरी पीढ़ी को एक मशाल बनकर चलना है,
जिसका फर्ज है इंसानियत की राह रोशन करना।’
इस पर वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि आपने तो हमारे शेर का पोस्टमार्टम कर दिया।
नेता प्रतिपक्ष ने शिक्षा की बदहाली का जिक्र करते हुए कहा कि ”शिक्षा सूचकांक में उप्र सबसे नीचे चौथे नंबर पर दिखता है, जिस उप्र ने इतने प्रधानमंत्री दिये और इनकी पार्टी के प्रधानमंत्री यूपी की वजह से बन रहे हैं, उस यूपी के शिक्षा का यह स्तर है।”
उन्होंने कहा कि ‘मैं एक प्राइमरी स्कूल में गया और एक बच्चे से पूछा कि मुझे पहचाना। छोटा सा बच्चा बोला कि हां, पहचान लिया। मैंने पूछा कि कौन हूं मैं? इस पर उसने बोला— राहुल गांधी।’
इस पर सत्ता पक्ष के सदस्यों ने ठहाके लगाए और तंज किया। यादव ने कहा कि इन्हें दुख इस बात का नहीं है कि प्रदेश का स्थान शिक्षा में नीचे से चौथे नंबर पर है, इन्हें दुख इस बात का है कि मैंने कांग्रेस के नेता का नाम ले लिया।
भाषा आनन्द रंजन
रंजन
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.