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Wednesday, 20 November, 2024
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लोकलसर्किल्स का सर्वे- महंगाई और बेरोजगारी के बावजूद मोदी सरकार की लोकप्रियता बढ़ी

सर्वे के मुताबिक प्रभावशाली तरीके से कोविड की तीन लहरों से निपटना और इकोनॉमिक रिकवरी प्राथमिक वजहें हैं जिससे मोदी सरकार में लोगों का भरोसा बढ़ा है.

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नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार के 8 साल पूरा होने पर उसकी लोकप्रियता में इजाफा हुआ है. यह 51% से 67% हो गई है. ऐसा लोकलसर्किल्स के सर्वे में सामने आया है. जिसने 64000 लोगों से बात की है. ऐसा तब है जब देश में बेरोजगारी और महंगाई पर लोगों की चिंता बनी हुई है.

सर्वे के मुताबिक लोगों ने कहा है कि मोदी सरकार कोविड की तीसरी लहर से अच्छे से निपटा है, अर्थव्यवस्था को अच्छे से हैंडल किया है, हालांकि लोगों की बेरोजगारी महंगाई को लेकर चिंता बनी हुई है. 47 फीसदी लोगों ने कहा है कि सरकार बेरोजगारी के मुद्दे से निपट नहीं पाई है.

मोदी सरकार ने 30 मई को 2019 को दूसरे कार्यकाल के लिए शपथ ली थी. लोगों का ऐसा मानना है कि 3 साल में मोदी सरकार ने कोविड की तीन लहरों को बाद इकोनॉमिक रिकवरी की है. बड़े स्तर पर कोविड वैक्सीनेशन और नागरिकों व उद्योग के लिए उठाए कदमों से सरकार की लोकप्रियता बढ़ी है.

2021 में कोविड की दूसरी लहर में 51 फीसदी लोगों ने कहा था कि मोदी सरकार ने अच्छा प्रदर्शन किया है और ठीक एक साल बाद कोविड की तीसरी लहर के बाद बड़ी उछाल हुई है और 67 फीसदी लोगों ने मोदी सरकार को सराहा है.

लेकिन लोगों का भरोसा इस बात पर बढ़ा है कि सरकार बेरोजगारी से निपटने में कामयाब हो जाएगी. ऐसा मानने वाले 2020 में जहां 29 पर्सेंट लोग थे, वहीं 2021 में 27 फीसदी और 2022 में ऐसे लोगों की संख्या बढ़कर 37 फीसदी हो गई है.

जैसा कि मोदी सरकार 30 मई को अपना 3 साल का कार्यकाल पूरा किया है. लोकलसर्किल्स ने नागरिकों से बात करके 19 क्षेत्रों में रेटिंग के लिए कहा. इसमें 350 जिलों से 64 हजार लोगों से 2,21000 जवाब मिले. जवाब देने वालों में 65 फीसदी पुरुष और 35 फीसदी महिलाएं थीं.

67% लोगों ने कहा कि पिछले 3 सालों में सरकार उनकी अपेक्षाओं पर खरी उतरी है.

लोकलसर्किल्स ने मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के 2 साल पूरा होने पर पूछा था जिसमें 51% लोगों ने ही कहा था कि सरकार उनकी अपेक्षाओं पर खरी उतरी है. जो कि तीसरे साल यह बढ़तक 16 फीसदी हो गया है.

वहीं 73% भारतीयों ने कहा कि जरूरी चीजों की कीमतों उनकी रोजमर्रा की जिंदगी के लिए मुश्किल बनी हुई है.


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